बिहार की राजधानी पटना में 23 जून को 15 विपक्षी दलों की महाबैठक हुई। इस महाबैठक में आगामी लोकसभा चुनाव की रणनीति पर विपक्षी दलों द्वारा मंथन किया गया। इस महाबैठक की अध्यक्षता मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने की। इस बैठक में कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे, राहुल गांधी समेत 6 राज्यों के वर्तमान मुख्यमंत्री, 6 पूर्व मुख्यमंत्री एवं अन्य नेता शामिल हुए। जिस राज्य के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार इस विपक्षी एकता के अगुवा बने हुए हैं उस राज्य बिहार में भाजपा को कोई बड़ा नुकसान होते हुए नहीं दिख रहा है। 2019 लोकसभा चुनाव में भाजपा को कुल 303 सीटें मिली थी जिसमें से बिहार में भाजपा को 17 सीटें एवं उसके गठबंधन के सहयोगी JDU को 16 और LJP को 6 सीटें मिली थी। 2019 में बिहार की कुल 40 लोकसभा सीटों में 39 भाजपा गठबंधन के खाते में गई थी और एकमात्र सीट कांग्रेस को मिली थी।
अभी के वर्तमान स्थिति में भाजपा का जेडीयू से गठबंधन टूट चूका है। भाजपा एलजेपी, कुशवाहा, मांझी और मुकेश सहनी की पार्टी के साथ गठबंधन कर अगली लोकसभा चुनाव लड़ने जा रही है। अभी भाजपा के पास बिहार में 17 खुद की और 6 लोजपा के दोनों गुटों को मिलाकर भाजपा गठबंधन के पास कुल 23 सीटें हैं।
आगामी लोकसभा चुनाव में 2014 वाली स्थिति बनती दिख रही बिहार में
2014 लोकसभा चुनाव में भाजपा, लोजपा और उपेंद्र कुशवाहा की उस समय की पार्टी रालोसपा के साथ चुनाव लड़ी थी। जेडीयू अकेले चुनाव लड़ी थी और राजद, कांग्रेस के साथ मिलकर 2014 का चुनाव लड़ी थी। 2014 के लोकसभा चुनाव में बिहार को 40 सीटों में भाजपा गठबंधन को 31 सीटें, जेडीयू को दो सीटें और कांग्रेस गठबंधन को 7 सीटें जिसमें से राजद को 4, कांग्रेस को 2 और एनसीपी को एक सीट मिली थी।
2024 में भाजपा गठबंधन को बिहार में लगभग 11 सीटें मिलती दिखाई दे रही है
जेडीयू का भाजपा से गठबंधन तोड़कर राजद-कांग्रेस के साथ मिल जाना भाजपा के लिए मुसीबत खड़ी हो गई है। 2014 लोकसभा चुनाव के नतीजों का अध्यन करने से पता चलता है कि भाजपा को 2024 में 11 सीटें मिलती दिखाई दे रही है। 2014 लोकसभा चुनाव में उस समय के प्रधानमंत्री उम्मीदवार नरेंद्र मोदी की आंधी चल रही थी। राजद अपने सबसे बुरे दौर से गुजर रही थी और जेडीयू अकेले चुनाव लड़ रही थी। राजद को राजनीतिक जीवनदान 2015 के विधानसभा चुनाव में मिली जब राजद जेडीयू के साथ विधानसभा का चुनाव लड़ी थी। खैर लौटते है 2014 के लोकसभा चुनाव के नतीजों पर।
अगर आप 2014 के लोकसभा चुनाव में राजद गठबंधन और जेडीयू को मिले वोट को जोड़ेंगे और फिर उसे बीजेपी गठबंधन को मिले वोट से तुलना करेंगे तो पाएंगे की …
13 लोकसभा की सीटें जहां जेडीयू + राजद गठबंधन का वोट बीजेपी को मिले वोट से सवा लाख (1,25,000) या उससे अधिक है। (अररिया (3,68,273), पूर्णिया (2,41,013), कटिहार (2,15,505), बांका (2,30,852), भागलपुर (1,41,741), झंझारपुर (1,28,183), मधेपुरा (4,29,131), किशनगंज (2,50,434), नालंदा (1,36,897), समस्तीपुर (1,93,252), सुपौल (3,56,489), बेगुसराय (1,34,000), खगड़िया (1,44,313)) ये वो सीटें हैं जहां 2024 में महागठबंधन को जीतने में कोई मुश्किल नहीं होगी।
5 लोकसभा की सीटें जहां बीजेपी गठबंधन का वोट राजद गठबंधन + जेडीयू से सवा लाख (1,25,000) या उससे अधिक है। (गया, मुजफ्फरपुर (1,37,279), गोपालगंज (2,92,256),हाजीपुर (1,29,710), पटना साहिब) ये वो सीटें हैं जहां बीजेपी गठबंधन को 2024 की लोकसभा चुनाव जीतने में कोई मुश्किल नहीं होगी।
2 लोकसभा की सीटें जहां राजद गठबंधन + जेडीयू का वोट बीजेपी के वोट से (75,000 – 1,25,000) वोट अधिक है। जमुई (1,12,652) और महराजगंज (1,11,068)
10 लोकसभा की सीटें जहां राजद गठबंधन + जेडीयू का वोट बीजेपी के वोटों का अंतर (50,000 – 75,000) के बीच है जिसमे 1 सीट (पूर्वी चम्पारण-63,559 ) पर बीजेपी आगे है और 9 (औरंगाबाद (69,790), बक्सर (52,450), दरभंगा (69,451), जहानाबाद (58,511), मुंगेर (73,833), पाटलिपुत्र (56,906), सारण (66,060), शिवहर (29,983), उजियारपुर (59,200)) पर महागठबंधन आगे है।
10 लोकसभा की सीटें जहां राजद गठबंधन + जेडीयू का वोट और बीजेपी के वोटों का अंतर 50,000 या उससे कम का है जिसमें 5 सीटों (सीतामढ़ी (50,777), आरा (37,065), काराकाट (38,532),वाल्मीकि नगर (36,183), सिवान (32,841)) पर बीजेपी गठबंधन आगे है और 5 सीटों (नवादा (28,060), मधुबनी (35,857), पश्चिम चम्पारण (11,546), सासाराम (29,983), वैशाली (45,540)) पर महागठबंधन।