बिहार राज्य के पंचायती राज विभाग ने अब हर सात पंचायत पर एक अंकेक्षक (ऑडिटर) की नियुक्ति करने का फैसला लिया है।
आगरा में कुआ खेड़ा गांव में अधिकतर लोग जानवर पालते हैं। इस गांव की एक अनोखी मान्यता है। दरअसल, यहां के लोग आस-पास के गांवों में दूध दे आते हैं या फिर दान कर देते हैं।
दक्षिण गुजरात के किसान अब बिजली के मामले में भी अन्य राज्यों के किसानों से आगे बढ़ रहे हैं। सचिन क्षेत्र का कनसाड गांव दक्षिण गुजरात का एक ऐसा गांव बनेगा जहां के किसान अब बिजली खरीदेगें नहीं बल्कि बचेगें।
पंचायती राज की सबसे ऊपरी संस्था ज़िला परिषद है। ज़िला परिषद ग्राम पंचायतों एवं पंचायत समितियों का मूलत: नीति निर्धारण एवं मार्गदर्षन का काम करती है।
गांव के लोगों को रोज़गार दिलाने हेतु ग्रामीण क्षेत्रों में संसाधनों का प्रबंधन करना एवं उत्पादन संबंधी कार्य को सुचारु रुप से चलाना एक प्रमुख कार्य है। गांव में प्राकृतिक संसाधनों की कमी नहीं है ज़रूरत है उसका प्रबंधन करना।
जानते हैं ग्राम पंचायत की समितियां और उनके कार्य के बारें में
देश की करीब 70 फीसदी आबादी गाँवों में रहती है और पूरे देश में दो लाख 39 हजार ग्राम पंचायतें हैं। त्रीस्तरीय पंचायत व्यस्था लागू होने के बाद पंचायतों को लाखों रुपए का फंड सालाना दिया जा रहा है। कैसे करें प्रधान और उपप्रधान को पदमुक्त?
बिहार में अपने बच्चों से परेशान माता-पिता अपनी शिकायत अब गांव में भी कर सकते हैं। शिकायत के लिए उन्हें अब एसडीओ के दफ्तर में नहीं जाना पड़ेगा।
पतारा विकास खंड के एक ग्राम विकास अधिकारी (पंचायत सेक्रेटरी) से नाराज़ ग्राम प्रधानों ने उसके खिलाफ मोर्चा निकाल दिया है।
डीएम ने खजौली के बीडीओ और सीओ को एक बार फिर सख्त निर्देश दिए कि संयुक्त जाँच कर प्रतिवेदन समर्पित करना सुनिश्चित करें।
केंद्र और राज्य सरकार द्वारा गरीबी दूर करने के लिए कई योजनाएं चल रही हैं। लेकिन धरातल पर उसका असर नहीं दिख रहा है। हिमाचल प्रदेश में गरीबों की गरीबी दूर नहीं हो रही है।