महाराष्ट्र में किसी भी पार्टी के सरकार न बना पाने के कारण अनुच्छेद 356 के तहत महाराष्ट्र में राष्ट्रपति शासन लगा दिया गया है। एक मई 1960 को अस्तित्व में आए प्रदेश में अब तक तीन बार राष्ट्रपति शासन लग चुका है। पहली बार जब शरद पवार ने 1978 में कांग्रेस की वसंत दादा पाटिल सरकार गिराई। शरद इस सरकार में मंत्री थे। उन्होंने प्रगतिशील लोकतांत्रिक फ्रंट बनाया और सत्ता पर काबिज होकर 1978 से 1980 तक सीएम रहे। लेकिन केंद्र में सत्ता में लौटी इंदिरा गांधी ने फरवरी 1980 में पवार सरकार को बर्खास्त करते हुए राष्ट्रपति शासन लगा दिया। इसके बाद उसी साल जून में चुनाव हुए। कांग्रेस ने प्रदेश की सत्ता हासिल की और एआर अंतुले सीएम पद पर काबिज हो गए।
दूसरी बार एनसीपी द्वारा 28 सितंबर 2014 को समर्थन वापस लेने के बाद प्रदेश की कांग्रेस सरकार के सीएम पृथ्वीराज चव्हाण ने इस्तीफा दे दिया। दोनों सहयोगियों में प्रदेश की सीटों और सीएम पद के बंटवारे को लेकर काफी विवाद हुआ। जिसके बाद यहां राष्ट्रपति शासन लगा दिया गया और फिर अक्तूबर में चुनाव कराए गए। जिसमें बीजेपी ने जीत हासिल की और देवेंद्र फडणवीस सीएम बने। हालांकि अलग से चुनाव लड़ने वाली शिवसेना भी बाद में इस सरकार में शामिल हो गई। इस बार महाराष्ट्र में चुनाव में बीजेपी 105 सीटें लेकर सबसे बड़ी पार्टी बनी, साथ चुनाव लड़ी शिव सेना को 56 सीटें मिलीं। एनसीपी-कांग्रेस ने भी 54 व 44 सीटें पाईं। भाजपा-शिवसेना ने बहुमत के लिए जरूरी 288 में से 145 से कहीं अधिक 161 सीटें पाईं थीं, लेकिन सीएम पद को लेकर हुए विवाद के बाद सरकार बनाने में देरी होती गई।