शंकराचार्य स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती ने अयोध्या राम मंदिर के बारे में कहा कि राम मंदिर का निर्माण कंबोडिया के अंकोरवाट मंदिर की तर्ज पर होना चाहिए। उन्होंने कहा कि पहले चालुक्य नरेशों का राज वहां तक था। 11वीं शताब्दी में इन नरेशों ने वहां पर एक भव्य मंदिर का निर्माण कराया था। मंदिर एक बार बनना है इसलिए इसकी विशालता और भव्यता का ध्यान रखा जाना जरूरी है। शंकराचार्य ने पत्रकारों को अंकोरवाट मंदिर की एक फोटो दिखाते हुए कहा कि अयोध्या में राम मंदिर का निर्माण का कार्य योग्य व्यक्तियों के हाथ में होना चाहिए।
उन्होंने कहा ये भूमि अब उनको नहीं लौटाई जाएगी, जो नया ट्रस्ट बनेगा ये भूमि उसे दी जाएगी। शंकराचार्य ने कहा कि इस घटना के बाद नरसिम्हाराव ने कहा था कि अगर धर्माचार्य ये भूमि मांगेगे तो उन्हे दे दी जाएगी। इन बातों के लिखित दस्तावेज मेरे पास उपलब्ध हैं। इसके बाद कई जगह सम्मेलन करके हमने रामानुज ट्रस्ट का गठन किया। जो अधिग्रहण के बाद बना है। इसलिए केंद्र सरकार को ये 67 एकड़ जमीन रामानुज ट्रस्ट को दे दी जानी चाहिए और उसी को अयोध्या में राम मंदिर का निर्माण कराना चाहिए। गौरतलब है कि अंकोरवाट कंबोडिया में दुनिया का सबसे बड़ा धार्मिक स्मारक है, जो करीब 162.6 हेक्टेयर क्षेत्र में फैला है।