उत्तर भारत दिसंबर और जनवरी के महीने में कोहरे की चपेट में आ जाता है। जिसका बुरा असर कुछ फसलों पर पड़ता है। किसानों को अपनी फसलों की सुरक्षा के लिए कोहरे को लेकर भी सावधान रहना चाहिए। गेहूं, आलू और लाही की फसल पर कोहरे का ज़्यादा असर होता है, जबकि मटर पर इसका कोई खास असर नहीं होता।
आलू पर कोहरे का असर ज़्यादा होता है। कई दिनों तक सूरज न दिखे तो आलू को झुलसा रोग मार जाता है। झुलसा रोग फसल को एक ही सप्ताह में बर्बाद कर देता है। गेहूं की फसल में गेरुई नामक बीमारी लग जाती है। इस रोग में फसल की पत्तियां पीली पड़ जाती हैं और धीरे-धीरे फसल बर्बाद होने लगती है। इसी के विपरीत यदि आपने कोहरे को मैनेज कर लिया तो फसल बहुत अच्छा झाड़ (उपज) देगी।
आलू और गेहूं की फसल पर कोहरे की मार पड़ने से बचाने के लिए किसानों को चाहिए कि वे समय-समय पर हल्की-हल्की सिंचाई करते रहें।
लाही को भी कोहरे से काफी ज़्यादा नुकसान होता है। लाही का फूल झड़ जाता है और पैदावार घट जाती है। लाही की फसल के लिए ज़रूरी है कि किसान ठीक समय पर इसकी बुवाई करें, ताकि कोहरा आने से पहले ही लाही पर फूल आ जाएं। दरअसल, लाही की वही फसल कमज़ोर होती है जो सही समय निकल जाने के बाद बोई जाती है।
फसलों को बीमारियों से बचाने के लिए फसलों की हल्की सिंचाई करें। ज़्यादा मात्रा में पानी देना हानिकारक हो सकता है।
लाही की फसलों के पास रात के समय में धुंआ किया जा सकता है, जोकि कोहरे के असर को कम करता है।
फसल में ओस दिख रही हो तो उस समय खाद का छिड़काव न करें। ओस में खाद पत्ती पर चिपक जाता है, जिससे पौधे के खराब होने की आशंका बढ़ जाती है।
यदि कोई रोग नज़र आए तो उससे जुड़ी दवा का इस्तेमाल जल्दी करें, क्योंकि कोहरे में फसल की बीमारियां तेज़ी से बढ़ती हैं।