भारत सरकार ने 18 अक्टूबर को एक आदेश निकाला जिसमें कहा गया है कि मोदी सरकार द्वारा पिछले 9 सालों में किये गए कामकाज का प्रचार करने के लिए पुरे देश में “विकसित भारत संकल्प यात्रा” निकाला जायेगा। इस यात्रा के लिए भारत सरकार द्वारा संयुक्त सचिव, निदेशक और उप सचिव जैसे अधिकारियों को रथ प्रभारी के रूप में तैनात किया जायेगा। इस रथ यात्रा के माध्यम से मोदी सरकार के कामों का प्रचार ग्राम पंचायत के स्तर पर किया जायेगा। मोदी सरकार के इस निर्णय का कांग्रेस ने विरोध किया है।
कांग्रेस अध्यक्ष ने पीएम को पत्र लिख कर जताया विरोध
कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे ने इस सम्बन्ध में प्रधानमंत्री मोदी को पत्र लिख कर अपना विरोध जताया है। कांग्रेस अध्यक्ष ने 18 अक्टूबर के पत्र का उल्लेख करते हुआ कहा कि संयुक्त सचिव, निदेशक और उप सचिव जैसे उच्च बैंक के वरिष्ठ अधिकारियों को भारत के सभी 765 जिलों में रथ प्रभारी के रूप में तैनात किया जाना गंभीर चिंता का विषय है।
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केंद्रीय सिविल सेवा (आचरण) नियम, 1964 का स्पष्ट उल्लंघन
मल्लिकार्जुन खरगे ने कहा कि यह केंद्रीय सिविल सेवा (आचरण) नियम, 1964 का स्पष्ट उल्लंघन है, जो निर्देश देता है कि कोई भी सरकारी कर्मचारी किसी भी राजनीतिक गतिविधि में भाग नहीं लेगा। जबकि सरकारी अधिकारियों के लिए जानकारी का प्रसार करना स्वीकार्य है, उन्हें “जश्न मनाने” और उपलब्धियों का प्रदर्शन” करने के लिए उन्हें सत्तारूढ़ दल के राजनीतिक कार्यकर्ताओं में बदल दिया जाता है। यह तथ्य कि केवल पिछले वर्षों की उपलब्धियों पर विचार किया जा रहा है, इस तथ्य को दर्शाता है कि यह पांच राज्यों के चुनावों और 2024 के आम चुनावों के लिए एक पारदर्शी राजनीतिक व्यवस्था है।
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9 अक्टूबर को रक्षा मंत्रालय द्वारा पारित आदेश का भी किया उल्लेख
कांग्रेस अध्यक्ष ने 9 अक्टूबर को रक्षा मंत्रालय द्वारा पारित आदेश का उल्लेख किया, जिसमे वार्षिक छुट्टी पर सैनिकों को सरकारी योजनाओं को बढ़ावा देने में समय बिताने का निर्देश दिया गया था, उन्हें “सैनिक राजदूत” बनाया गया था। खरगे ने कहा कि सेना प्रशिक्षण कमान, जिसे राष्ट्र की रक्षा के लिए हमारे जवानों को तैयार करने पर ध्यान केंद्रित करना चाहिए, सरकारी योजनाओं को बढ़ावा देने के लिए स्क्रिप्ट और प्रशिक्षण नियमावली तैयार करने में व्यस्त है।
सशस्त्र बलों को राजनीति से बाहर रखा जाए
मल्लिकार्जुन खरगे ने कहा कि लोकतंत्र में यह अत्यंत महत्वपूर्ण है कि सशस्त्र बलों को राजनीति से बाहर रखा जाए। प्रत्येक जवान की निष्ठा राष्ट्र और संविधान के प्रति है हमारे सैनिकों को सरकारी योजनाओं के विपणन एजेंट बनने के लिए मजबूर करना सशस्त्र बलों के राजनीतिकरण की दिशा में एक खतरनाक कदम है।