मणिपुर में लगभग तीन महीनों से हिंसा जारी है। आज सुबह चुराचांदपुर जिले में हिंसा हुई। इसी जिला के थोरबुंग इलाकों में गोली चलने की घटना सामने आई है। वहां रुक-रुक कर फायरिंग हो रही है। इस घटना में कितने लोग हताहत हुए इसकी जानकारी अभी सामने नहीं आई है। यह इलाका हमेशा से संवेदनशील माना जाता है। हाल ही में दो महिलाओं के साथ हुई यौन हिंसा का वीडियो वायरल होने के बाद हालात और बिगड़ गए हैं। उस घटना के बाद प्रधानमंत्री मोदी ने कहा था कि इस घटना से देश की बेइज्जती हुई है। इसके साथ ही उन्होंने राज्यों के मुख्यमंत्रियों से कानून-वेवस्था मजबूत करने की अपील की थी।
मणिपुर के मुद्दे पर जब से मॉनसून सत्र शुरू हुआ है तब से विपक्ष का संसद के दोनों सदनों में हंगामा जारी है। विपक्ष सदन में मणिपुर के मुद्दे पर प्रधानमंत्री की प्रतिक्रिया चाहता है तथा वृस्तित चर्चा की मांग कर रहा है। विपक्ष को जब लगा की प्रधानमंत्री जवाब नहीं देने वाले हैं तो उसने लोकसभा में अविश्वास प्रस्ताव ले आया जिसे स्पीकर ने बुधवार को स्वीकार कर लिया। इस अविश्वास प्रस्ताव पर चर्चा कब होगी इसकी जानकारी अभी सामने नहीं आई है। आपको बताते चलें की लोकसभा अध्यक्ष के पास अविश्वास प्रस्ताव पर चर्चा करने को 10 दिनों का समय होता है। विपक्ष ये अविश्वास प्रस्ताव प्रधानमंत्री मोदी को मणिपुर के मुद्दे पर बोलने के लिए लाया है क्यूंकि अविश्वास प्रस्ताव पर हुए चर्चा का जवाब प्रधानमंत्री को देना होता है।
इस्तीफा क्यों नहीं दे रहे सीएम एन बीरेन सिंह ?
मणिपुर में महिलाओं के साथ हुई बर्बरता की घटना सामने आने के बाद मुख्यमंत्री एन बीरेन सिंह की इस्तीफे की मांग तेज हो गई। नागा पीपुल्स फ्रंट का कहना है कि बीरेन सिंह को या तो इस्तीफा दे देना चाहिए या फिर उन्हें बर्खास्त कर दिया जाना चाहिए। हालांकि, इन सबके बावजूद न तो बीरेन सिंह इस्तीफा देने के मूड मे हैं और न बीजेपी का केंद्रीय नेतृत्व उनसे इस्तीफा मांग रहा।
मुख्यमंत्री एन. बीरेन सिंह का इस्तीफा न देने का कारण है उनका मैतेई समुदाय से होना, जो बरसों से मणिपुर में अनुसूचित जनजाति का दर्जा मांग रहे हैं। राजनीतिक रूप से एन बीरेन सिंह बहुत मजबूत हैं। विधानसभा के 60 विधायकों में से 40 विधायक मैतेई समुदाय से ही आते हैं। राज्य में मैतेई समुदाय की आबादी 53% है।
बीजेपी का केंद्रीय नेतृत्व बीरेन सिंह का इस्तीफा या केंद्र की मोदी सरकार बीरेन सिंह के सरकार को बर्खास्त नहीं करने का कारण यह है कि चुनाव से पूर्व मोदी सरकार खुद को कमजोर साबित नहीं करना चाहती साथ ही वह विपक्ष को ये प्रचारित करने का मौका नहीं देना चाहती कि खुद की सरकार को कानून वेवस्था में नाकामी के कारण बर्खास्त करना पड़ा।