दुनिया भर में लोग लम्बे जीवन (long life) के लिए अलग अलग तरह की कोशिशें करते रहते हैं लेकिन कितने लोगों को कामयाबी मिलती है या मिली है ये बताना मुश्किल है. डॉक्टरों ने भी इस दिशा में प्रयास किया है और इसी तरह दुनिया भर में वैज्ञानिकों ने भी अपनी खोज का केंद्र दीर्घजीविता (longevity) को बनाया है.
अब आ गया है शुभ समाचार. अब वैज्ञानिकों ने ही आखिरकार इसका फार्मूला ढूंढ निकाला है. स्वास्थ्य-वैज्ञानिकों ने आपके जीवन की अवधि का सबसे अच्छा पूर्वानुमान लगाने के लिए एक शोध और उसके आंकड़ों का सहारा लिया और उनका विश्लेषण करके वो आश्चर्यजनक निष्कर्ष पर पहुंचे.
एक ऐसा काम जो है बहुत आसान ..एक ऐसा काम जो सब कर सकते हैं ..एक ऐसा काम जिसमे बिलकुल पैसे खर्च नहीं होते हैं – यही है वो काम जिसे यदि आप कर सके तो बस हो गया आपका काम. यानी आपकी जिन्दगी का काम पक्का हो गया यानी आप जियेंगे लम्बी उमर.
एलेक्स हचिंसन एक राष्ट्रीय पुरस्कार विजेता पत्रकार हैं जो ‘स्वेट साइंस’ नामक स्तंभ के लेखक भी हैं और आउटडोर खेलों पर नवीनतम शोध ढूंढ-ढूंढ कर लाते हैं और उनको अपने लेखों की विषयवस्तु बनाते हैं. इस महत्वपूर्ण जीवनदायी शोध के लिए श्रेय उन्ही को जाता है. यदि हम नोबल पुरस्कार देने वाले होते तो इस वर्ष एक पुरस्कार एलेक्स हचिंसन को ही देना पसंद करते.
अपनी लंबी उम्र का अनुमान लगाने के लिए आमतौर पर हमारे पास दो मुख्य विकल्प होते हैं हैं. इनमे से एक है डॉक्टर द्वारा आपके लिए लिखे और कराये जाने वाले नियमित परीक्षण और उनके रिज़ल्ट्स. ये वो रिज़ल्ट्स होते हैं जिनसे आपके रक्तचाप, कोलेस्ट्रॉल का स्तर, वजन, इत्यादि का कम या ज्यादा होना पता चलता है. इस तरह भी आपकी जिंदगी का अनुमान लगाया जा सकता है और आपकी उम्र का भी. पर इसमें अपनी उमर बढ़ाने के लिए आप क्या कर सकते हैं सिवाए स्वास्थ्य का ध्यान रखने के या स्वास्थ्य के नियमों को जीवन में उतारने के. ये तो बहुत अछ्छी बात है यदि आप ऐसा कर सकें.
दूसरा तरीका अधिक सहज है और सरल भी. जो काम मेडिकल टेस्ट्स करते हैं और आपकी अंदर की समस्याओं की जानकारी देते हैं या आपके अंदर-बाहर के स्वास्थ्य का परीक्षण और विशलेषण करते हैं, वही काम आप भी कर सकते हैं. आप इस काम को दो तरह से कर सकते हैं अर्थात आप अपनी आयु बढ़ा सकते हैं अर्थात अपना लीवन लम्बा कर सकते हैं स्वयं अपने प्रयासों से.
अपने लम्बे जीवन या दीर्घायु होने की दिशा में आप दो प्रकार के प्रयास कर सकते हैं. पहला तो ये है जो सब करते हैं किन्तु आप नहीं करते. अब आप भी कीजिये लेकिन बाकी लोगों से बेहतर करना होगा. तब आपकी दीर्घायु होने की संभावना और लोगों से अधिक हो जायेगी. याने स्वास्थ्य के नियमों को और लोगों से अधिक अपनाइये और चलाइये.
दूसरा प्रयास इस दिशा में आप ये कर सकते हैं कि आप स्वयं अपने स्वास्थ्य के चढ़ते-गिरते हालात का जायज़ा लें और उनका आकलन कर अपने जीवन की दिशा समझने का प्रयास करें. इस तरह कुछ सालों में ये तो आपको पता चल ही जाएगा कि आपके स्वास्थ्य को गिराने वाली आपकी आदतें कौन सी हैं और आपकी सेहत को बेहतर बनाने वाली आपकी कोशिशें कौन सी हैं.
मान लेते हैं दोनों ही काम आपको दुष्कर प्रतीत होते हैं तो फिर आप ये तीसरा काम कीजिये. ये आसान भी है और इसमें कोई आकलन या परीक्षण नहीं करना है. न ही कुछ हिसाब-किताब रखना है न ही कोई व्यायाम करना है. बस एक काम करना है. और हाँ, फिर वही काम करते भी रहना है.
लेकिन पहले इसके पहले वाले विकल्प की बात करते हैं जो शायद एक अच्छा विकल्प है. स्व-मापन का लक्ष्य यह जांचना है कि कौन से कारक वास्तव में आपके दीर्घायु की भविष्यवाणी करते हैं. इनमे वो कारक भी हो सकते हैं जिन्हें समय रहते बदल देने से आप दीर्घायु हो सकते हैं और इनमे वो भी कारक हो सकते हैं जिन्हें आप लगातार जीवन में अपनाये रख कर दीर्घायु बन सकते हैं.
अब बात होगी तीसरे और आखिरी विकल्प के लिए जो सबके लिए है और सबसे आसान है. बस एक आदत को जिंदगी में लाना है फिर ज़िंदगी भर चलाना है. अगर ये आदत आपके साथ चलेगी तो आप ज्यादा चलेंगे. ज्यादा चलने के लिए चलना शुरू कर दीजिये. याद रखिये चलेंगे तो ज्यादा चलेंगे. यही है वो फार्मूला जिसे जानने के लिए आप ये लेख पढ़ रहे हैं.
चलेंगे आप तो जियेंगे आप. ज्यादा चलेंगे तो ज्यादा जियेंगे और जितना चलेंगे उतना जियेंगे. मतलब ये है कि सिर्फ एक ही काम लगातार करते रह कर आप स्वास्थ्य का वरदान पा सकते हैं. स्वास्थ्य का वरदान याने लम्बी जिंदगी. चलिए और चलते रहिये. चलेंगे तो आप चलेंगे !
स्वास्थ्य के वैज्ञानिकों ने एक शोध किया और इस दिशा में एक विश्लेषणपूर्ण निष्कर्ष प्राप्त किया. उनको पता था कि ये बात निश्चित है कि बेहतर डेटा बेहतर भविष्यवाणियाँ देता है. अपने शोध के लिए उन्होंने 50 से 80 वर्ष की आयु के बीच 3,600 लोगों पर ध्यान केंद्रित किया.
उन्होंने लगातार निगरानी के दौरान ध्यान दिया कि इस शोध के मूल समयांतराल (time period) के वर्षों में कौन मर गया और कौन जीता रहा. उनकी शारीरिक गतिविधियाँ लगातार दर्ज की जाती रहीं और ये भी देखा कि इनमे से कितने लोग मौत को आमंत्रित करने की दिशा में प्रसिद्ध पारंपरिक जोखिम उठा रहे हैं अर्थात कौन कौन सी ऐसी सेहत की हत्या करने वाले काम ये लोग अपने दैनिक जीवन में कर रहे हैं. इसके लिए ऐसे 14 अच्छे और बुरे कारक अर्थात इनकी ऐसी 14 अच्छी और बुरी आदतें दर्ज की जाती रहीं.
पूर्ण मूल्यांकन हेतु इन लोगों की बुनियादी जनसांख्यिकीय जानकारी (आयु, लिंग, बॉडी मास इंडेक्स, जाति या जातीयता, शैक्षिक स्तर), जीवनशैली की आदतें (शराब का सेवन, धूम्रपान), पहले से मौजूद चिकित्सा स्थितियाँ (मधुमेह, हृदय रोग, कंजेस्टिव हार्ट फेलियर, स्ट्रोक, कैंसर, गतिशीलता की समस्याएँ) आदि समस्त जानकारियां शोध से पहले और शोध के दौरान मूल्यांकन के लिए आधार बनाई गईं.
अंत में स्वास्थ्य-वैज्ञानिकों के इस शोध का जो निष्कर्ष सामने आया वो बिलकुल ये था कि ज्यादा चलने वाले लोग ज्यादा जिए या दूसरे शब्दों में कहें तो ज्यादा चलने वाले ज्यादा लम्बी उम्र की दिशा में बढ़ रहे हैं और कम चलने या कम जिए याने जल्दी चले गए और नहीं चलने वाले उनसे भी पहले चले गए. इसका मतलब ये है कि यदि जिंदगी की तरफ आप नहीं चलेंगे तो मौत की तरफ चलेंगे. यानी आपको तो चलना ही पड़ेगा !
इस बात को समझने के लिए आपको कुछ समय निकालन होगा कि आप कितना चलते हैं और कितनी तीव्रता से चलते हैं. यह आपकी आगे की आयु की जानकारी के लिए अधिक महत्वपूर्ण है, क्योंकि यह इस बात का पूर्वानुमान है कि आपके पास कितने वर्ष शेष हैं. वैसे कमोबेश आपको ही ये तय करना है कि आप कितना चलें कब तक चलें और कितनी तेजी से चलें.
देखा जाए तो टेक्नॉलजी ने आपसे पहले ये बात जान ली और मान भी ली है. इसके लिए पिछले एक दशक में पहनने योग्य फिटनेस ट्रैकर्स के उत्पाद भी बढ़े हैं और उनका प्रचार भी. Apple Watches, Fitbits और Whoop बैंड जैसे कलाई पर पहने जाने वाले एक्सेलेरोमीटर आपके भविष्य के स्वास्थ्य के सबसे शक्तिशाली भविष्यवक्ता को ट्रैक कर रहे हैं.
परिणाम बताते हैं कि औपचारिक कसरत के बजाय पूरे दिन अपने कुल चलने को ट्रैक करना एक शक्तिशाली स्वास्थ्य जांच हो सकती है.
व्यायाम सही है किन्तु सबके लिए नहीं, सबके स्वास्थ्य की दशाएँ अलग-अलग होती हैं जिनके अनुसार उन्हें व्यायाम भी अलग-अलग तरह के और अलग-अलग तरह से करने होते हैं. दशा बदलती है तो व्यायाम भी बदलता है. आयु के अनुसार भी व्यायाम अलग-अलग तरह के होते हैं. ये अलग-अलग किस्म के व्यायाम आप स्वयं नहीं चुन सकते. हर बात के लिए आपको डॉक्टर की आवश्यकता है. और आवश्यकता एक दिन नहीं रोज़ है और जीवन भर है.
अब सर्वाधिक अपरिहार्य प्रश्न यह है कि हमें लंबे समय तक जीने के लिए कितनी और किस प्रकार की गतिविधि की आवश्यकता है. हमें किस तरह इस लक्ष्य को प्राप्त करना चाहिए? याद रखिये, डॉक्टर्स भी कहते हैं कि व्यायाम कीजिये. और यदि व्यस्तता या किसी कारण से आप व्यायाम नहीं कर पाते तो डॉक्टर्स आपको चलने की सलाह देते हैं. चलना याने वाक (Walk) सबसे सरल सलाह भी है और सबसे काम की भी.
नक्शा सड़क नहीं होता है, पर नक्शा आपको दिशा देता है और आप उस दिशा में खुद चल कर रास्ता बना देते हैं. इसलिए कुल मिला कर सार यही है कि बहुत सारी छोटी चीज़ों को छोड़ कर उस एक बड़ी चीज़ पर ध्यान केंद्रित करना बेहतर होगा जो वास्तव में काम करती है. वास्तव में यह अपनेआप में एक सार्थक लक्ष्य भी सिद्ध हो सकता है हम सभी के लिए.
हमे तय करना होगा कि क्या हम वास्तव में लंबे समय तक जीना चाहते हैं? यदि उत्तर हाँ है तो दरवाजा खोलिये, बाहर कदम रखिये और चलना शुरू कीजिये. याद रखें, अब आप दीर्घ जीवन की दिशा में बढ़ रहे हैं.