India Bangladesh Border: अचरज की बात है कि देश भर में भारत की सरकार का विरोध करने की जिम्मेदारी दुनिया भर के लोगों ने ले रखी है . भारत सरकार हो या उसे चलाने वाली बीजेपी या भारत का राष्ट्रवाद या भारत के राष्ट्रवादी -सब पर निशाना लगाने वाले ढेरों विपक्षी राजनेता और कई बिके हुए पत्रकार और बहुत से छिपे हुए गद्दार सब इस अहम मुद्दे पर चुप क्यों हैं?
बांग्लादेश से लगी भारत की लगभग नौ सौ किलोमीटर खुली सीमा को लेकर देश में इस चुप्पी का राज़ क्या है? चूंकि देश की सीमा देश की सुरक्षा का मामला है इसलिए ज़ाहिर है सुरक्षा पर लगने वाली सेंध पर दिखाई दे रही ये चुप्पी जहरीली चुप्पी है.
अचम्भा तो दरअसल इस बात का है कि मोदी की राष्ट्रवादी सरकार इस विषय पर इतनी निश्चिन्त क्यों है? ख़ास कर तब जब बांग्लादेश की जिहादी जनता भारत के खिलाफ चार चार बड़े खतरों का सबब बन सकती है लगभग नौ सौ किलोमीटर खुली इस सीमा का इस्तेमाल करके?
इसके पहले कि हम अपने चार निमंत्रित खतरों पर आगे बात करें एक दृष्टि डालिये भारत-बांगलादेश सीमा के महत्वपूर्ण आंकड़ों पर. भारत के इस बॉर्डर की कुल सीमा लंबाई: 4,096 किलोमीटर है. भारत की ये सीमा पश्चिम बंगाल में 2,217 किलोमीटर लम्बी है. पश्चिम बंगाल में ही ये सीमा बिना बाड़ वाली हो कर करीब 963 किलोमीटर की लम्बाई वाली है. कूचबिहार में ये बिना बाड़ वाली सीमा की 50 किलोमीटर लम्बी है.
नदी, वन और दूरदराज के गांवों से होकर गुजरती है भारत-बांगलादेश सीमा. यह चार हज़ार से ज्यादा किलोमीटर लम्बाई वाला एक जटिल क्षेत्र है जिसको सुरक्षित करना असम्भव नहीं तो दुष्कर अवश्य है. वर्षों तक भारत की कांग्रेस सरकारें इस बारे में बात करती रहीं पर किया कुछ नहीं. आज भी इस सीमा का एक बड़ा हिस्सा बाड़बंदी से मुक्त हैं.
बांग्लादेश की तरफ से इस लगभग एक चौथाई खुली सीमा से भारत पर चार खतरे मंडरा नहीं रहे हैं, बल्कि भारत के भीतर घुस चुके हैं. ये खतरे हैं घुसपैठ जिहाद के, ड्रग जिहाद के, तस्करी जिहाद के और आतंक जिहाद के. इस खुली सीमा ने इन चार किस्म के जिहादों को भारत में खुल्ले-आम न्योता दे रखा है.
बांग्लादेश वाली ये भारत की सबसे लंबी अंतर्राष्ट्रीय सीमाओं में से एक है. ये लंबी सीमा लंबे समय से भारत की सुरक्षा की जड़ों में सेन्ध लगा रही है और भारत के कानों में जूं भी नहीं रेंग रही है. हैरानी है इस बात की है, जो एक संकेत भी है कि ये बेवकूफी नहीं हो सकती, न ही कोई नासमझी. साफ तौर पर दुश्मनी और नफरत पालने वाले लोगों के लिये सीमा की बाड़ाबन्दी न करना या तो कोई खुली चालाकी है या छुपी साजिश.
अब बांग्लादेश और पाकिस्तान जैसे देशों के लिये पड़ौसी शब्द का इस्तेमाल उचित नहीं है. आजकल इस शब्द का इस्तेमाल भारत के खिलाफ भारत में रह कर साजिश करने वाले तमाम देशद्रोही तत्व ही कर रहे हैं. ऐसे में जो देश पड़ौस में हो पर पड़ौसी का न हो और दोस्त का भी न हो – जाहिर है वो देश बहुत बड़ा खतरा है भारत जैसे शांतिपूर्ण देश के लिये.
बांग्लादेश में बढ़ती राजनीतिक अस्थिरता ने भारत-बांगलादेश सीमा को और भी चुनौतीपूर्ण बना दिया है. एक ज़हरीले बिच्छुओं से भरे डिब्बे का मुँह खुल जाए तो सबसे पहला डर उस घर के लिए होता है जिसकी दरवाजा खुला होता है. लगभग चार हज़ार किलोमीटर लम्बा ये बॉर्डर भारतीय अधिकारियों के लिए बहुत बड़ी चुनौती बनता जा रहा है.
लगभग नौ सौ किलोमीटर लम्बी सीमा पर अगर बाड़ाबंदी नहीं है तो कम से खौफ तो होना ही चाहिए जो जिहादियों को भारत में आसानी से घुस जाने से रोक सके. मगर कोई खौफ या डर जैसी बात भी नहीं है यहां क्योंकि सुनते हैं कि यहां सीमा सुरक्षा बल को रायफल से गोली चलाने की अनुमति नहीं है. उम्मीद है कि सीमा पर हमारे जवानो को गुलेल और डंडे चलाने की अनुमति तो अवश्य होगी ताकि किसी तरह से तो कुछ करके अवांछित तत्वों को रोका जा सके.
कमाल की बात ये है कि पिछले कुछ माह से हिन्दुओं के नरसंहार करने वाली बांग्लादेश की जिहादी जनता से बचने के लिये भागकर भारत में घुसना चाह रहे बंगाली बांग्लादेशी हिन्दुओं को तो बॉर्डर पर रोक कर वापस भेज दिया गया किन्तु बॉर्डर पर बाड़ाबंदी फिर भी नहीं हुई. ऐसा क्यों?