BMC चुनाव: सुप्रीम कोर्ट ने महाराष्ट्र में लंबे समय से लंबित स्थानीय निकाय चुनावों को लेकर सख्त रुख अपनाया है। कोर्ट ने राज्य चुनाव आयोग को निर्देश दिया है कि वह आगामी चार सप्ताह के भीतर चुनाव अधिसूचना जारी करे और कोशिश करे कि आगामी चार महीनों में चुनावी प्रक्रिया पूरी कर ली जाए।
राज्य में बृहन्नमुंबई म्युनिसिपल कॉर्पोरेशन (BMC) सहित कई शहरी निकायों के चुनाव 2022 से टलते आ रहे हैं। इसका मुख्य कारण ओबीसी आरक्षण को लेकर चला आ रहा विवाद है। अब सुप्रीम कोर्ट ने इस मुद्दे पर भी स्पष्ट दिशा-निर्देश देते हुए कहा है कि जब तक ओबीसी आरक्षण से जुड़ी याचिकाओं पर अंतिम निर्णय नहीं आता, तब तक चुनावों में पुरानी आरक्षण व्यवस्था ही लागू की जाए।
बंथिया कमेटी की रिपोर्ट पर याचिकाएं लंबित
कोर्ट ने बताया कि ओबीसी आरक्षण से जुड़ी बंथिया कमेटी की रिपोर्ट जुलाई 2022 में आई थी। हालांकि, इस रिपोर्ट को लेकर दायर याचिकाएं अब भी सुप्रीम कोर्ट के समक्ष विचाराधीन हैं। कोर्ट ने यह भी कहा कि कई नगर निकायों में चुनाव इस रिपोर्ट के आने से पहले से ही रुके हुए हैं, इसलिए पुराने आरक्षण प्रारूप पर ही चुनाव कराना उचित होगा।
लोकतंत्र की मजबूती के लिए चुनाव जरूरी
सुनवाई के दौरान जस्टिस सूर्यकांत और जस्टिस एन कोटिश्वर सिंह ने कहा कि स्थानीय चुनाव लोकतंत्र की आत्मा होते हैं और इनका समय पर आयोजन जरूरी है। जस्टिस सूर्यकांत ने कहा, “चुने हुए जनप्रतिनिधियों की जगह पर प्रशासनिक अधिकारी शासन करें, यह लोकतंत्र की मूल भावना के खिलाफ है।”
आरक्षण पर तीखी टिप्पणी
सुप्रीम कोर्ट ने आरक्षण व्यवस्था की सीमाओं पर भी टिप्पणी की। जस्टिस सूर्यकांत ने कहा कि आरक्षण अब ऐसा रेल का डब्बा बन गया है, जिसमें पहले से बैठे लोग नए यात्रियों को चढ़ने नहीं देना चाहते। उन्होंने सरकार से अपील की कि वह आरक्षण के वास्तविक हकदार वर्गों की पहचान कर उन्हें लाभ पहुंचाने के लिए व्यवस्था बनाए।
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क्या आगे होगा?
सुप्रीम कोर्ट के इस निर्देश के बाद अब राज्य चुनाव आयोग पर दबाव है कि वह तेजी से चुनावी प्रक्रिया शुरू करे। महाराष्ट्र में स्थानीय स्तर पर सत्ता का लोकतांत्रिक हस्तांतरण लंबे समय से रुका हुआ है, और सुप्रीम कोर्ट के इस आदेश से उम्मीद है कि जनता को जल्द ही अपने निर्वाचित प्रतिनिधि मिलेंगे।