रंगो का त्योहार होली इस साल 25 मार्च को मनाई जाएगी। होली से पहले होलिका दहन (Holika Dahan) किया जाता है और आज होलिका दहन का मुहूर्त है। हिंदू धर्म में हलिका दहन का खास महत्व बताया गया है। बताया जाता है कि इस दिन होलिका की आग में सभी तरह के नकारात्मक विचार, अशुद्धियों और दरिद्रता का दहन किया जाता है।
यह भी पढ़ें- Chandra Grahan on Holi: होली पर चंद्रग्रहण का साया, क्या होली के त्योहार पर पड़ेगा कोई असर?
ज्योतिष शास्त्र के अनुसार इस साल होलिका दहन के लिए एक घंटा और 20 मिनट का समय मिल रहा है। लेकिन इस बार होलिका दहन तक भद्रा का साया है। यानी कि 24 मार्च को भद्रा सुबह 9:55 से आरंभ होकर मध्य रात्रि 11:13 तक पृथ्वी लोक में विचरण कर रही हैं। तो इस हिसाब से होलिका दहन का मुहूर्त मध्य रात्रि 11:13 से मध्य रात्रि 12:33 के मध्य तक बन रहा है। इस साल होलिका दहन के दिन सर्वार्थ सिद्धि योग और रवि योग भी बन रहे हैं।
क्या है पूजा विधि
होली और होलिका दहन का पर्व भक्त प्रह्लाद और होलिका माता से जुड़ा पर्व है। शास्त्रों के अनुसार इस त्योहार को बसंत ऋतु के आगमन का प्रतीक भी माना जाता है।
होलिका दहन की तैयारियां कई दिन पहले से शुरू हो जाती है। होलिका दहन के स्थान पर लकड़ियां, उपले और पराली रखी जाती है।
फिर शुभ मुहूर्त के अनुसार होलिका में आग लगाई जाती है। फिर होलिका की परिक्रमा करके लोग उसमें पूजा की सामग्री डालते हैं।
होलिका दहन में ये ना करें
होलिका में कूड़ा या गंदी चीजें बिल्कुल ना डालें। ना ही इस दिन काले रंग के कपड़े पहनें। इस दिन तंत्र-मंत्र की विधाएं जागृत की जाती हैं। इसलिए कहीं भी रास्ते में पड़ी चीजों को ना छुएं।
क्या है पौराणिक कथा?
पौराणिक कथा के अनुसार, प्रह्लाद के पिता हिरण्यकश्यप भगवान विष्णु को अपना शत्रु मानते थे। उनकी बहन होलिका को आग में ना जलने का वरदान था। उन्होंने अपनी बहन को विष्णु भक्त प्रह्लाद को गोद में लेकर अग्नि में बैठने का आदेश दिया। जब होलिका प्रह्लाद को लेकर अग्नि में बैठीं तो वह खुद जल गईं और भक्त प्रह्लाद बच गए।