बांग्लादेश इस समय एक गहरे राजनीतिक और प्रशासनिक संकट से गुजर रहा है। अंतरिम सरकार के प्रमुख मोहम्मद यूनुस ने संकेत दिए हैं कि वह अपने पद से इस्तीफा देने पर गंभीरता से विचार कर रहे हैं। ढाका में हुई एडवाइजरी काउंसिल की बैठक में यूनुस ने स्पष्ट किया कि मौजूदा हालात में शासन चलाना उनके लिए अत्यंत कठिन हो गया है। उनका यह बयान न केवल एक व्यक्तिगत हताशा को दर्शाता है, बल्कि देश की लोकतांत्रिक व्यवस्था में गहराते संकट की ओर भी इशारा करता है।
राजनीतिक सहमति का अभाव और बढ़ती अस्थिरता
यूनुस ने कहा कि वे खुद को “बंधक” की स्थिति में महसूस कर रहे हैं। यह टिप्पणी साफ दर्शाती है कि राजनीतिक दलों के बीच न्यूनतम सहमति भी बनाना मुश्किल होता जा रहा है। सरकार के सामने न तो स्पष्ट दिशा है और न ही विपक्ष के साथ संवाद की कोई प्रभावी प्रक्रिया। इससे देश के प्रशासनिक ढांचे की विफलता उजागर होती है।
म्यांमार सीमा पर मानवीय गलियारे की योजना और सेना की नाराजगी
राजनीतिक तनाव उस समय और बढ़ गया जब यह खबर सामने आई कि यूनुस सरकार ने अमेरिका के साथ मिलकर म्यांमार सीमा पर एक मानवीय गलियारे की योजना तैयार की थी। यह प्रक्रिया सेना की जानकारी के बिना चुपचाप आगे बढ़ाई गई, जिससे सेना प्रमुख जनरल वकार-उज-जमान नाराज हो गए। उन्होंने अंतरिम सरकार को दिसंबर तक चुनाव कराने का अल्टीमेटम देते हुए सख्त रुख अपनाया है। इससे स्पष्ट है कि सिविल और सैन्य प्रशासन के बीच गहरा अविश्वास उत्पन्न हो गया है।
सड़क पर जनता, विपक्ष और छात्र संगठन
यूनुस सरकार का विरोध अब केवल सत्ता के गलियारों तक सीमित नहीं है। देशभर में छात्र संगठनों और आम जनता के साथ विपक्षी दलों ने भी सरकार के खिलाफ प्रदर्शन तेज कर दिए हैं। लोग मांग कर रहे हैं कि महफूज आसिफ और खलीलुर्रहमान जैसे विवादित नेताओं को सरकार से हटाया जाए। यह व्यापक असंतोष सरकार की वैधता पर गंभीर प्रश्नचिन्ह लगाता है।
शेख हसीना की विदाई के बाद बनी थी यह सरकार
बांग्लादेश की यह अंतरिम सरकार पिछले वर्ष तब बनी थी जब शेख हसीना अचानक भारत चली गई थीं और देश में एक सैन्य तख्तापलट हुआ था। मोहम्मद यूनुस को उस समय देश को स्थिरता देने और नए चुनावों तक व्यवस्था संभालने की जिम्मेदारी दी गई थी। लेकिन मौजूदा हालात देखकर यह स्पष्ट हो रहा है कि यह प्रयोग अब विफल हो रहा है।
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बांग्लादेश एक बार फिर अस्थिरता के दौर में पहुंच गया है। अंतरिम सरकार के प्रमुख मोहम्मद यूनुस का इस्तीफा देना इस संकट को और गहरा कर सकता है। राजनीतिक नेतृत्व, सैन्य दबाव और जनता के असंतोष के बीच देश के सामने एक बड़ी चुनौती खड़ी हो गई है—क्या वह लोकतंत्र की ओर लौटेगा या फिर एक और राजनीतिक उथल-पुथल की ओर बढ़ेगा?