पीपल बाबा का वास्तविक नाम स्वामी प्रेम परिवर्तन है. अट्ठावन साल के पीपल बाबा का जन्म हुआ चंडीगढ़ के भारतीय सेना में एक मेडिकल डॉक्टर के घर. छोटी उम्र में ही पूरे देश की यात्रा कर लेने वाले पीपल बाबा को बहुत कम उम्र में ही पहाड़ों, नदियों और जंगलों के साथ दोस्ती हो गई. जब वे ग्यारह साल के थे तभी से उन्होंने अपने आस-पास पेड़ लगाने शुरू कर दिये थे. देखते ही देखते ये शौक एक जुनून में तब्दील हो गया.
पहला पेड़ पीपल बाबा ने पूना में लगाया था 11 साल की छोटी सी उम्र में. लगाना शुरू किया. उस समय वे चौथी कक्षा में थे जब एक दिन अपने शिक्षक की बात सुन कर उन्होंने प्रेरणा ली और उसी दिन से पेड़ लगाने का सिलसिला शुरू कर दिया. 26 जनवरी, 1977 को पूना के मिलिट्री स्टेशन पर पीपल बाबा ने अपना पहला पेड़ लगाया.
उन्होंने गिव मी ट्रीज़ नाम से एक हॉबी क्लब शुरू किया और अपने दोस्तों और सहपाठियों, राहगीरों और अजनबियों को पेड़ लगाने और उन्हें पानी देने के लिए इकट्ठा किया. ये सिलसिला कुछ ऐसा चल निकला कि फिर उन्होंने पीछे मुड़ कर नहीं देखा. आज ‘गिव मी ट्रीज़’ का वो छोटा सा पौधा एक विशाल वृक्ष बन गया है जो कि पूरी तरह पंजीकृत धर्मार्थ ट्रस्ट है जिसका मुख्य कार्यालय दिल्ली में है.
गिव मी ट्रीज़ ट्रस्ट आज भारत में सबसे बड़ा समुदाय आधारित स्वैच्छिक वृक्षारोपण और प्रकृति-संरक्षण आंदोलन है.
इन्हीं स्वामी प्रेम परिवर्तन लोगों ने पीपल बाबा के नाम से इसलिए जाना क्योंकि उनका नाम भारत में वृक्षारोपण के कार्य से और विशेषकर पीपल के वृक्ष के रोपण और संरक्षण लोगों के मध्य लोकप्रिय हो गया.
पीपल बाबा का गिव मी ट्रीज़ नामक यह प्रयास तीन तरह के उड़ने वाले बी के लिए पौधे लगाने के उद्देश्य से गतिमान है. ये तीन बीज़ हैं – बी, बर्ड्स और बटरफ्लाई. इनके लिए छायादार और फलदार पेड़, देशी पेड़ों का रोपण, संरक्षण और संवर्धन की प्राथमिकता तय की गई है. आज दुनिया में गिव मी ट्रीज ट्रस्ट ही ऐसा संगठन है जिसने दुनिया में सबसे ज़्यादा पीपल के पेड़ लगाए हैं.
सभी क्षेत्रों के स्वयंसेवक गिव में ट्रीज़ की टीम में शामिल हैं. देश भर में लगभग साढ़े ग्यारह हज़ार से अधिक स्वयंसेवक और प्रशिक्षु पेड़ों के पौधों को संरक्षित करने में सहायता करते हैं, इन पेड़ों को विभिन्न सार्वजनिक और निजी स्थानों जैसे बगीचों, सड़कों के किनारे, राजमार्गों, एक्सप्रेसवे, सड़क के मध्य भाग, स्कूलों, कॉलेजों, विश्वविद्यालय क्षेत्रों, सैन्य स्टेशनों, पहाड़ों और नदी के किनारों पर लगाया जाता है.
अभियान टीम गिव मी ट्रीज़ की अभियान टीम के लिए सबसे अहम गतिविधि सामुदायिक शिक्षा, जागरूकता और स्वयंसेवक जुटाने वाली गतिविधि है.
पीपल बाबा ने व्यक्तिगत रूप से एवं गिव मी ट्रीज ट्रस्ट के अभियान के माध्यम से भी कुल मिला कर आज तक 20 मिलियन से अधिक पेड़ लगाए हैं और उनके संरक्षण में मदद की है. यही कारण है कि पीपल बाबा का संगठन गिव मी ट्रीज भारत में सबसे बड़ा स्वैच्छिक वृक्षारोपण आंदोलन बन गया है.
पीपल बाबा ने अंग्रेजी साहित्य में स्नातकोत्तर की डिग्री के साथ ही मास कम्युनिकेशन में मास्टर डिग्री भी ली है. वे कॉलेज के छात्रों को पढ़ाते हैं और अपना शेष समय यात्रा करते हुए लोगों को पेड़ लगाने की कला सिखाने में बिताते हैं.
प्रोफ़ेसर पीपल बाबा न केवल प्राकृतिक खेती की तकनीकों को बढ़ावा देते हैं बल्कि वे जैविक खेती की भी बात करते हैं. वे गिव मी ट्रीज़ के साथ ही देसी गाय, गोबर खाद, खाद बनाने, अपशिष्ट प्रबंधन और हरित पट्टी और शहरी वनों के रूप में सघन वृक्षारोपण को भी बढ़ावा दे रहे हैं. उन्होंने लगभग पंद्रह लाख से अधिक पीपल के पेड़ लगा दिए हैं. उनके द्वारा लगाए गए वृक्षों में पीपल के अतिरिक्त अन्य किस्में बरगद, पिलखन, जामुन, आम, नीम, शीशम और बबूल के पेड़ों की किस्में शामिल हैं. देश भर में अपनी यात्राओं के माध्यम से पीपल बाबा बच्चों, सामाजिक क्लबों, समाजों, गैर सरकारी संगठनों, कॉलेजों, विश्वविद्यालयों और अन्य संस्थानों के बीच जाकर लोगों के मन में वृक्षों व प्रकृति के प्रति प्रेम को जगाते हैं.