बिहार सरकार ने राज्य के ग्रामीण निवासियों को बड़ी राहत देने वाला कदम उठाया है। अब जन्म और मृत्यु प्रमाणपत्र के लिए प्रखंड कार्यालयों के चक्कर लगाने की जरूरत नहीं पड़ेगी। सरकार ने इस प्रक्रिया को पंचायत स्तर तक ले जाने का निर्णय लिया है, जिससे ग्रामीणों को न केवल समय और पैसे की बचत होगी, बल्कि दलालों की परेशानी से भी मुक्ति मिलेगी।
पंचायत सरकार भवन में बनेगा नया काउंटर
नई व्यवस्था के तहत प्रत्येक पंचायत सरकार भवन में जन्म और मृत्यु प्रमाणपत्र जारी करने के लिए एक विशेष काउंटर खोला जाएगा। इस काउंटर पर आवेदन जमा होंगे और पंचायत सचिव द्वारा उनका सत्यापन किया जाएगा। सत्यापन के बाद उसी स्थान से प्रमाणपत्र जारी कर दिए जाएंगे। इसके लिए अर्थ एवं सांख्यिकी निदेशालय ने कार्य योजना तैयार कर ली है और इसे जल्द ही राज्य सरकार की अंतिम मंजूरी मिलने की उम्मीद है।
अब नहीं लगानी होगी लंबी लाइन
अब तक ग्रामीणों को प्रमाणपत्र बनवाने के लिए प्रखंड सांख्यिकी पदाधिकारी के कार्यालय जाना पड़ता था, जहां संसाधनों की कमी और सीमित स्टाफ के कारण लंबा इंतजार करना पड़ता था। इसके अलावा दलालों की सक्रियता से भी जनता को कठिनाइयों का सामना करना पड़ता था। इस नई पहल से न केवल प्रक्रिया सरल होगी, बल्कि पारदर्शिता भी बढ़ेगी।
राज्य में हर साल बनते हैं 30 लाख से अधिक प्रमाणपत्र
वर्तमान में बिहार में हर वर्ष औसतन 30 लाख जन्म प्रमाणपत्र बनाए जाते हैं, लेकिन ग्रामीण क्षेत्रों में इनकी भागीदारी अपेक्षाकृत कम रही है। सरकार की यह नई पहल ग्रामीण क्षेत्र में प्रमाणपत्र बनवाने की संख्या और गुणवत्ता दोनों में सुधार लाएगी।

ग्राम विकास शिविर में ट्रायल शुरू
इस योजना को ज़मीन पर उतारने से पहले राज्य के विभिन्न पंचायतों में ग्राम विकास शिविर आयोजित किए जा रहे हैं। इन शिविरों में उन बच्चों का प्रमाणपत्र बनाया जा रहा है, जिनका जन्म प्रमाणपत्र अब तक नहीं बन पाया था। यह अभियान राज्य के आधारभूत आंकड़ों को मजबूत करने की दिशा में एक अहम कदम है।
प्रमाणपत्र निर्गत की नई समय-सीमा व्यवस्था
- 30 दिन के भीतर आवेदन: पंचायत सचिव स्तर से प्रमाणपत्र निर्गत
- 1 माह से 1 वर्ष के बीच: प्रखंड सांख्यिकी पदाधिकारी की अनुशंसा आवश्यक
- 1 वर्ष से अधिक पुराने मामलों में: बीडीओ की अनुशंसा पर प्रमाणपत्र जारी
शहरी क्षेत्रों में भी सुधार की उठी मांग
हालांकि यह सुविधा फिलहाल ग्रामीण क्षेत्रों के लिए लागू की जा रही है, लेकिन शहरी क्षेत्रों में भी नागरिकों ने वार्ड स्तर पर ऐसी व्यवस्था की मांग की है। शहरी निवासियों को रजिस्ट्रार कार्यालय में प्रमाणपत्र बनवाने में कई तरह की समस्याओं का सामना करना पड़ता है।
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बिहार सरकार की यह पहल डिजिटल गवर्नेंस और ग्राम स्तर पर सेवाओं की सुलभता की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है। इससे न केवल ग्रामीण जनता को सुविधा होगी, बल्कि सरकारी व्यवस्था पर विश्वास भी बढ़ेगा।