असम पंचायत चुनाव 2025 में भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने भारी बढ़त बनाते हुए एक बार फिर राज्य की ग्रामीण राजनीति पर अपना दबदबा कायम कर लिया है। 2 और 7 मई को दो चरणों में हुए मतदान की मतगणना 11 मई से शुरू हुई, और शुरुआती रुझानों में एनडीए (भाजपा और उसकी सहयोगी असम गण परिषद) स्पष्ट बढ़त में दिखाई दे रही है।
एनडीए की बड़ी बढ़त
असम राज्य निर्वाचन आयोग के अनुसार, 397 जिला परिषद (जिला परिषद) सीटों में से 263 पर एनडीए ने जीत दर्ज की है या आगे चल रही है। वहीं, 2,192 अंचलिक पंचायत सीटों में से 631 पर एनडीए प्रत्याशी बढ़त में हैं। कांग्रेस मात्र 46 जिला परिषद और 62 अंचलिक पंचायत सीटों पर आगे चल रही है, जबकि एआईयूडीएफ को अब तक सिर्फ 12 जिला परिषद और 10 अंचलिक पंचायत सीटों पर बढ़त मिली है।
गोलाघाट, माजुली और जोरहाट में भाजपा का बोलबाला
गोलाघाट, माजुली, जोरहाट और बिस्वनाथ जिलों में भाजपा का प्रदर्शन बेहद प्रभावशाली रहा। माजुली के रावणापार गांव पंचायत की सभी 10 वार्ड सदस्य सीटों पर भाजपा प्रत्याशियों ने जीत हासिल की। जोरहाट में घोषित 10 में से 9 ग्राम पंचायत सीटें भाजपा ने अपने नाम की हैं।
325 सीटों पर निर्विरोध जीत
चुनाव से पहले ही भाजपा और उसके सहयोगियों ने 325 सीटों पर निर्विरोध जीत दर्ज कर ली थी, जिनमें 37 जिला परिषद और 288 अंचलिक पंचायत सीटें शामिल हैं। इसमें भाजपा को 294 और एजीपी को 31 सीटें मिलीं।
मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा ने जताई खुशी
मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा ने इस जनादेश को “ऐतिहासिक और अभूतपूर्व” बताया और इसका श्रेय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की नेतृत्व क्षमता तथा एनडीए सरकार की नीतियों को दिया। उन्होंने प्रदेश भाजपा अध्यक्ष दिलीप सैकिया के प्रयासों की भी सराहना की, जिन्होंने 51 से अधिक जनसभाएं कीं।

कांग्रेस में अंदरूनी कलह और टिकट विवाद
वहीं, कांग्रेस अंदरूनी कलह और टिकट वितरण में कथित ‘कैश फॉर टिकट’ घोटाले से जूझती रही। पार्टी अध्यक्ष भूपेन बोरा ने चुनावों में देरी और सरकारी तंत्र के दुरुपयोग का आरोप भाजपा पर लगाया, जबकि भाजपा नेताओं ने पलटवार करते हुए कहा कि कांग्रेस कई सीटों पर उम्मीदवार ही नहीं उतार सकी।
महिलाओं की भागीदारी और बैलेट पेपर की वापसी
इस बार चुनावों में 50% सीटें महिलाओं के लिए आरक्षित थीं। साथ ही, ग्राम पंचायत चुनावों में पार्टी चिन्ह न होने और बैलेट पेपर से मतदान होने के कारण मतगणना की प्रक्रिया काफी जटिल रही। अलेक कुमार, राज्य चुनाव आयुक्त के अनुसार, हर पंचायत के लिए तीन बैलेट पेपरों की गिनती करना एक बड़ा लॉजिस्टिक चैलेंज था।
नए दल पिछड़े, कुछ अपवाद भी
असम जातीय परिषद (एजेपी) और राइजर दल जैसे नए दलों को उम्मीद के मुताबिक सफलता नहीं मिल पाई। हालांकि डिब्रूगढ़ के खवांग गांव पंचायत में एजेपी समर्थित प्रत्याशियों ने छह सीटें जीतकर उपस्थिति दर्ज कराई।
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2026 विधानसभा चुनाव की नींव
जैसे-जैसे मतगणना अंतिम चरण में पहुंच रही है, भाजपा की स्पष्ट बढ़त यह दर्शा रही है कि पार्टी की जड़ें असम के ग्रामीण क्षेत्रों में काफी मजबूत हैं। यह जीत 2026 के विधानसभा चुनाव के लिए भाजपा को मजबूत आधार देती है।