असम पंचायत चुनाव में इस बार नतीजों के साथ-साथ कुछ रोचक घटनाएं भी देखने को मिलीं। राज्य के नागांव और गोलाघाट जिलों में दो पंचायत वार्डों में ऐसी स्थिति बनी, जहां दो-दो उम्मीदवारों को बराबर वोट मिले। परिणामस्वरूप चुनावी नियमों के तहत इन दोनों वार्डों में विजेता का फैसला सिक्का उछालकर किया गया। दोनों ही मामलों में महिला उम्मीदवारों की किस्मत ने साथ दिया और वे विजेता घोषित हुईं।
टॉस से तय हुई जीत, दोनों बार महिलाओं के पक्ष में गया सिक्का
गोलाघाट जिले के रंगबोंग पंचायत के वार्ड नंबर 6 से नलिन लेखाथोपी चुनावी मैदान में थीं। इस वार्ड में कुल चार उम्मीदवार थे और मुकाबला बेहद कांटे का रहा। मतदान के बाद नलिन और उनकी एक प्रतिद्वंद्वी को बराबर संख्या में वोट मिले। नियमानुसार, ऐसी स्थिति में टॉस यानी सिक्का उछालकर विजेता का चयन किया गया और किस्मत ने नलिन का साथ दिया।
इसी प्रकार, नागांव जिले के प्रमिला पंचायत के वार्ड नंबर 7 में पूरबी राजखोवा और ब्यूटी भुइयां को बराबर 618-618 वोट मिले। यहां भी जीत का फैसला टॉस से किया गया और पूरबी को विजेता घोषित किया गया।
चुनाव अधिकारियों और उम्मीदवारों को नहीं थी जानकारी
चुनाव प्रक्रिया का यह नियम कि बराबरी की स्थिति में टॉस के जरिए फैसला लिया जाएगा, न सिर्फ आम लोगों के लिए नया था, बल्कि कुछ चुनाव अधिकारियों और उम्मीदवारों को भी इसकी जानकारी नहीं थी। यह नियम चुनाव प्रक्रिया की पारदर्शिता और निष्पक्षता बनाए रखने के लिए तय किया गया है, ताकि बराबर वोट मिलने की स्थिति में किसी प्रकार की बहस या विवाद से बचा जा सके।
एक-एक वोट बना निर्णायक
बैलेट पेपर आधारित इन पंचायत चुनावों में कई जगहों पर बेहद करीबी मुकाबले देखने को मिले। कई उम्मीदवार महज एक वोट के अंतर से जीते, जिससे स्पष्ट है कि हर वोट की अहमियत कितनी बड़ी है।
महिलाओं की बढ़ती भागीदारी और सफलता
इन घटनाओं ने एक बार फिर यह साबित कर दिया कि राजनीति में महिलाओं की भागीदारी बढ़ रही है और वे चुनौतियों का सामना कर विजयी भी हो रही हैं। न केवल उन्होंने बराबरी की टक्कर दी, बल्कि किस्मत की इस परीक्षा में भी सफल रहीं।
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असम पंचायत चुनावों में जहां भारतीय जनता पार्टी को निर्णायक बढ़त मिली, वहीं कुछ सीटों पर नतीजों ने चुनाव प्रक्रिया की अनूठी और दिलचस्प तस्वीर पेश की। टॉस से तय हुई जीत न केवल कानूनी प्रक्रिया का हिस्सा थी, बल्कि इन चुनावों को यादगार भी बना गई।