Ahmedabad plane crash: अहमदाबाद प्लेन हादसे ने देश-विदेश के सभी लोगों को झकझोर कर रख दिया है। घटना के बाद से हादसे के शिकार हुए लोगों के परिजन सदमे में हैं। कोई परिवार के साथ यूके बसने जा रहा था तो कोई घूमने जा रहे थे। वहीं किसी ने भारत से यूके जाते समय स्टेटस लगाया था… ‘Going back happily’..लेकिन इनको क्या पता था कि अगले ही पल मौत उनका इंतजार कर रही है।

वहीं, एक शख्स थे अरुण पाटोलिया। अरुण, अपनी पत्नी की आखिरी इच्छा पूरी करने भारत आए थे। उनकी अस्थियों को उनके पुश्तैनी गांव के तालाब में विसर्जित करने। लेकिन उन्हें यह अंदाज़ा नहीं था कि जब वे अहमदाबाद से लंदन के लिए उड़ान भरेंगे, तो वे अपनी बेटियों के पास वापस नहीं लौट पाएंगे।
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अरुण पाटोलिया, जो लंदन में अपनी पत्नी भारती और दो बेटियों (आठ और चार साल) के साथ रहते थे, कुछ दिन पहले अपनी पत्नी के निधन के बाद भारत आए थे। परिजनों ने बताया कि, भारती की इच्छा थी कि उनकी अस्थियां गुजरात के अमरेली ज़िले के वडिया गांव के तालाब में विसर्जित की जाएं। अरुण ने गांव में उनकी याद में एक श्रद्धांजलि सभा का आयोजन भी किया और कुछ दिन भारत में रहकर सारे धार्मिक अनुष्ठान पूरे किए। इस दौरान उनकी बेटियां लंदन में ही थीं।
शुक्रवार को, अरुण अहमदाबाद से लंदन के गैटविक एयरपोर्ट जाने वाली एयर इंडिया फ्लाइट AI-171 में सवार हुए, लेकिन वह उड़ान उनकी आखिरी साबित हुई। एक महीने के अंदर ही उनकी बेटियों ने अपने माता-पिता दोनों को खो दिया।
पड़ोसियों का कहना है कि पूरा परिवार सदमे में है। एक पड़ोसी ने बताया, ‘अरुण के पिता अब नहीं हैं और उनकी मां सूरत में रहती हैं।’
एयर इंडिया की फ्लाइट AI-171, जिसमें 242 लोग सवार थे, उड़ान भरने के केवल 32 सेकंड बाद अहमदाबाद एयरपोर्ट के पास बी.जे. मेडिकल कॉलेज परिसर की एक इमारत से टकरा गई। यह विमान अधिकतम 672 फीट की ऊंचाई तक ही पहुंच सका और फिर उसकी ऊंचाई कम होने लगी, जिससे वह मेघाणी नगर में दुर्घटनाग्रस्त हो गया।
एयर इंडिया ने शुक्रवार तड़के पुष्टि की, एक यात्री बचा बाकी 241 यात्री हादसे में मारे गए। मरने वालों में गुजरात के पूर्व मुख्यमंत्री विजय रूपाणी भी शामिल थे, जो अपने बेटे और परिवार से मिलने लंदन जा रहे थे।
एयर इंडिया और टाटा संस के चेयरमैन एन. चंद्रशेखरन ने शुक्रवार को एक बयान में कहा, ‘यह हमारे लिए बेहद कठिन समय है। जो कुछ कल हुआ, वह अविश्वसनीय है और हम गहरे शोक में हैं। एक व्यक्ति की मौत भी एक त्रासदी होती है, लेकिन इतने सारे लोगों की जान जाना हमारी समझ से परे है। टाटा समूह के इतिहास का यह सबसे काला दिन है। शब्द इस समय कोई सांत्वना नहीं दे सकते, लेकिन मेरी संवेदनाएं उन सभी परिवारों के साथ हैं जिन्होंने अपने प्रियजनों को खोया है या जो घायल हुए हैं। हम उनके साथ हैं।’