गाजीपुर के कूड़े का पहाड़ में आग लग जाने के कारण एकबार फिर यह चर्चा में आ गई है। गाजीपुर का यह कूड़े का पहाड़, सरकार की विफलताओं, असंवेदनशीलता और भ्रष्टाचार का जीता जागता प्रमाण है। चुनाव आते ही राजनीतिक पार्टियां इस मुद्दे को उठाती है, एक-दूसरे पर आरोप लगाती है, सत्ता में आती है और फिर भूल जाती है।
गाजीपुर के कूड़े की पहाड़ में आग लगने से वसुंधरा, इंद्रापुरम, मयूर विहार फेज 3 तक का इलाका जहरीली गैस और धुंए से भर गया। लोगों को सांस लेने में परेशानी हो रही। उसके आस पास के लोग बुरी तरह से प्रभावित हो रहे और गंभीर बीमारी उन तक दस्तक दे रही है। इसके कारण भूमिगत जल प्रदूषित हो रहा लेकिन सरकार में बैठे लोगों को कोई फर्क नहीं पड़ रहा।
केजरीवाल ने बताया था भ्रष्टाचार का पहाड़
दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविन्द केजरीवाल ने गाजीपुर के इस कूड़े के पहाड़ पर पहुंच कर इसे बीजेपी के भर्ष्टाचार का पहाड़ बताया था। उस समय दिल्ली नगर निगम में बीजेपी का मेयर था। अब आम आदमी पार्टी का मेयर है। आज बीजेपी इसे केजरीवाल के भर्ष्टाचार का पहाड़ बता रही है।
केजरीवाल के भ्रष्टाचार का प्रत्यक्ष प्रमाण है गाजीपुर में कूड़े का पहाड़: वीरेंद्र सचदेवा
दिल्ली बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष वीरेंद्र सचदेवा ने गाजीपुर पहुंच कर इसे अरविंद केजरीवाल के भ्रष्टाचार का प्रत्यक्ष प्रमाण बताया है। उन्होंने कहा कि गाजीपुर लैंडफिल साइट पर आग लगने से मयूर विहार और कोंडली के आस-पास के इलाकों में लोगों को सांस लेने में दिक्कत हो रही है, नगर निगम के चुनावों में अरविंद केजरीवाल ने घोषणा की थी कि वे दिसंबर 2023 तक इस लैंडफिल को हटा देंगे।
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70 एकड़ में फैली है गाजीपुर लैंडफिल साइट
गाजीपुर लैंडफिल साइट 70 एकड़ में फैली है। इस कूड़े का पहाड़ की ऊंचाई 50 मीटर से अधिक है। सरकार ने इसे 2024 तक हटाने का लक्ष्य रखा था लेकिन फिर इसे 2026 तक के लिए बढ़ा दिया गया है। दिल्ली नगर निगम के मुताबिक 2019 से अबतक 46 मैटिक टन कूड़े का निष्पादन किया गया है। अभी भी 84 मीट्रिक टन कूड़ा बचा हुआ है।
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दिल्ली नगर निगम की स्थिति ऐसी है कि वह अभीतक स्टैंडिंग कमेटी का गठन तक नहीं कर पाई है। जिसके कारण कूड़ा हटाने के लिए दूसरे एजेंसी को काम देने के लिए टेंडर नहीं निकला जा रहा है। टेंडर जारी नहीं होने का कारण स्टैंडिंग कमेटी का गठन नहीं होना है। दिल्ली नगर निगम के नियम के मुताबिक कोई भी टेंडर बिना स्टैंडिंग कमेटी मंजूरी के बिना नहीं लाया जा सकता है।