सोच लीजिये, क्या आप वास्तव में चाहते हैं बम्पर कमाई ? यदि ऐसा है तो अमरूद का बाग़ की बाग से बंपर उत्पादन
यदि आप उत्तर भारत में रहते हैं तो सर्दियों के दौरान अमरूद की फसल का सही प्रबंधन आपके लिए बेहतर उपज लेकर आएगी. सही प्रबंधन हेतु आपको ध्यान देना होगा सही किस्म के चयन पर, मिटटी के प्रबंधन पर, उर्वरक-कीट नियंत्रण और सिंचाई पर साथ ही तापमान पर भी देना होगा ध्यान. इस तरह आप अपनी उपज में सुधार और भी बेहतर कर सकते हैं।
जैसा कि हम जानते हैं, भारत में अन्य फलों की तुलना में एक बड़े हिस्से में अमरूद की खेती की जाती है. अमरुद की कुछ किस्में हमको साल भर उत्पादन देती रहती हैं. सर्दियों का मौसम लेकिन हमारी खेती-किसानी और बागवानी के लिए कई तरह की चुनौतियों ले कर आता है. इससे हमारे उत्पादन पर भी असर पड़ता है.
यदि हम सर्दियों के मौसम में अपनी खेती किसानी और बागवानी का सही प्रबंधन करें तो अपने परिश्रम से अधिकतम उत्पादन हमें मिल सकता है. चलिए दृष्टि डालते हैं उन महत्वपूर्ण बिंदुओं पर जो सर्दियों में अमरूद की फसल के सही प्रबंधन हेतु अनिवार्य हैं:
सही किस्म का चयन करना सबसे अहम है
हमें अमरूद की किस्म चुनते ध्यान रखना होगा कि ठंड सहने की क्षमता का उसमे कितनी है. वैसे तो आमतौर पर उत्तर भारत में ‘लखनऊ 49’, ‘इलाहाबाद सफेदा’ और ‘सरदार’ जैसी अमरुद की किस्में प्रचलित हैं और ये किस्में ठंडे मौसम में भी अच्छी पैदावार देती हैं. इनके चयन से हम अमरुद की बेहतर उपज और उसके पेड़ों के स्वास्थ्य की बेहतरी को सुनिश्चित कर सकते हैं.
कटाई-छंटाई तो जरूरी है ही
कटाई-छंटाई सर्दियों के दौरान पौधों की सेहत के लिए बहुत आवश्यक है. अपने पेड़ों की मृत और रोगग्रस्त शाखाओं को हटाने के लिए हल्की छंटाई की आवश्यकता होती है. ऐसा करने से पेड़ में सूर्य के प्रकाश का बेहतर प्रवाह और वायु का प्रभावी संचार होता है. हलकी छंटाई नई शाखाओं के विकास को भी प्रोत्साहित करती है जिससे फलों की गुणवत्ता में भी सुधर आता है.
मिटटी का प्रबंधन न भूलें
अमरूद की फसल के लिए मिटटी का उर्वर होना बहुत महत्वपूर्ण है. सर्दियों के मौसम के आने से पहले मिट्टी को ढंग से जांच लें और उसमें उसके पोषक तत्वों के आधार पर कम्पोस्ट या जैविक खाद डालन न भूलें. मिट्टी में नमी बनाए रखने के लिए मल्चिंग करना आवश्यक है, इस तरह खरपतवार को रोका जा सकता है और मिट्टी के तापमान को संतुलित करने में भी सहायता मिलती है.
सिंचाई की सही पद्धति का उपयोग करें
ये जानना अनिवार्य है कि सर्दियों के मौसम में अमरूद के पेड़ को कम पानी चाहिए होता है. और इसके विपरीत शुष्क मौसम में उसे गहरी सिंचाई की आवश्यकता होती है. पेड़ के तने के चरों तरफ भूमि में जलभराव नहीं होना चाहिए. इससे पेड़ की जड़ में सड़न का संकट पैदा हो सकता है. सर्दियों में ड्रिप सिंचाई प्रणाली का उपयोग अत्यंत प्रभावी हो सकता है. इससे पानी की बर्बादी नहीं होती है अमरुद के पेड़ की जड़ों को आवश्यक नमी भी मिल जाती है.
उर्वरक प्रबंधन सावधानी से करें
सिर्फ उर्वरक डालना काफी नहीं होता, अधिक महत्वपूर्ण सही उर्वरक का चयन और उसका संतुलित उपयोग करना होता है. उर्वरक ही वह तत्व है जिससे पौधों के विकास में सहायता मिलती है. चयन की दृष्टि से फास्फोरस, पोटेशियम और नाइट्रोजन से युक्त उर्वरकों का प्रयोग महत्वपूर्ण है. रासायनिक और जैविक उर्वरकों का सही संयोजन पौधों के लिए फायदेमंद होता है. उर्वरक का आधा भाग सर्दियों से पहले उपयोग में लाइए और शेष तब इस्तेमाल कीजिये जब पेड़ में फूल आ जाएँ.
पेड़ों हेतु कीट और रोग प्रबंधन स्वास्थ्यकारी
सर्दियों में पेड़ पर कीड़े लगने के अवसर बढ़ जाते हैं और इस मौसम में ही पेड़ रोगों से बचाने की अधिक आवश्यकता होती है. इसके लिए नियमित निगरानी करनी होगी ताकि आप अपने पेड़ों को मीलीबग और फल मक्खी जैसे कीटों से बचा सकें. ध्यान रखिये कि नीम आधारित कीटनाशक का उपयोग करें और पेड़ के नीचे गिरे हुए फलों और मलबे को हटाकर सफाई को बरकरार रखें.
तापमान के प्रबंधन का यथासम्भव ध्यान रखें
सर्दी के मौसम में अमरूद के पौधों को बीमार होने से बचाने के लिए सुरक्षात्मक उपाय करने होंगे. नए नए बढ़ रहे पौधों को ठंढ से बचाने के लिए कवर या पॉलीहाउस का उपयोग करना चाहिए. ठंडी हवाएं पौधों को तंग न करें इसके लिए पौधों को वायुरोधक स्थानों पर लगाना चाहिए.
कटाई का पहले और बाद का प्रबंधन
अमरूद की कटाई उस समय करनी चाहिए जब उसके फल पूरी तरह पक चुके हों और साथ ही अब तक कड़े भी हों. कटाई के बाद फलों को अच्छी तरह छांटकर सही परिस्थितियों का ध्यान रखते हुए संग्रहीत करें जिससे उनकी शेल्फ लाइफ अधिक लंबी हो सके और नुकसान भी कम से कम हो.