उत्तर प्रदेश के मुरादाबाद मंडल में अन्त्योदय राशन कार्ड योजना में बड़े पैमाने पर फर्जीवाड़ा सामने आने के बाद राज्य सरकार ने कड़ा रुख अपनाया है। गरीबों को मिलने वाले इस महत्वाकांक्षी खाद्यान्न योजना में अपात्र लोगों को लाभ मिलने की बात उजागर होते ही मुख्यमंत्री कार्यालय सक्रिय हो गया है। अब पूरे प्रदेश में अन्त्योदय राशन कार्डों की जांच और सत्यापन अभियान चलाया जाएगा।
यह मामला तब सामने आया जब मुरादाबाद मंडल के आयुक्त आईएएस ऑञ्जनेय कुमार सिंह ने ग्रामीण क्षेत्रों में अन्त्योदय कार्ड धारकों की पात्रता की जांच के आदेश दिए। इसके तहत मंडल के मुरादाबाद, अमरोहा, बिजनौर, संभल और रामपुर जिलों की 50 ग्राम पंचायतों में सैंपल जांच कराई गई।
जांच के लिए एक ब्लॉक की एक ग्राम पंचायत को चुना गया और वहां के 95 उचित दर विक्रेताओं की दुकानों पर उपलब्ध राशन कार्डों की गहन जांच की गई। कुल 4,343 अन्त्योदय राशन कार्डों की जांच में चौंकाने वाला खुलासा हुआ—करीब 25 प्रतिशत कार्ड अपात्र लोगों को जारी किए गए थे।
जिलेवार अपात्र राशन कार्डों की संख्या:
- संभल: 307
- रामपुर: 232
- अमरोहा: 120
- मुरादाबाद: 249
- बिजनौर: 185
➡ कुल अपात्र कार्डधारक: 1,063
गौर करने वाली बात यह रही कि इस जांच प्रक्रिया में खाद्य एवं रसद विभाग के किसी भी अधिकारी को शामिल नहीं किया गया, जिससे निष्पक्षता बनी रहे और जांच पर किसी भी स्तर पर प्रभाव न पड़े।
IAS ऑञ्जनेय कुमार सिंह का सख्त रुख
कमिश्नर ऑञ्जनेय कुमार सिंह ने कहा, “यह तो सिर्फ सैंपल जांच थी। अगर व्यापक स्तर पर हर गांव की जांच हो तो अपात्र कार्डधारकों की संख्या कहीं अधिक हो सकती है। गरीबों के हक पर डाका डालने वालों को किसी भी कीमत पर बख्शा नहीं जाएगा। दोषियों पर एफआईआर कर कार्रवाई की जाएगी।”
उन्होंने बताया कि संबंधित जिलाधिकारियों को यह निर्देश दे दिए गए हैं कि अपात्र पाए गए कार्डों को तुरंत पात्रता सूची से हटाया जाए और इस गड़बड़ी के लिए जिम्मेदार कर्मचारियों/अधिकारियों पर कार्रवाई की जाए।
राज्यव्यापी जांच के आदेश
घोटाले के उजागर होते ही राज्य के मुख्य सचिव मनोज कुमार सिंह ने भी तत्काल संज्ञान लेते हुए 15 जून से 21 जून 2025 तक पूरे प्रदेश के सभी ग्राम सभाओं में अन्त्योदय राशन कार्डों की जांच और सत्यापन के आदेश जारी कर दिए हैं। यह आदेश मिलते ही जिला प्रशासन में हड़कंप मच गया है और सभी जिलाधिकारियों को विस्तृत जांच रिपोर्ट प्रस्तुत करने को कहा गया है।
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उत्तर प्रदेश सरकार अब गरीबों के अधिकार की रक्षा के लिए कठोर कदम उठाने के मूड में है। यह जांच अभियान न केवल अपात्र लाभार्थियों को बेनकाब करेगा बल्कि सरकारी योजनाओं में पारदर्शिता और जवाबदेही की दिशा में भी एक अहम कदम साबित होगा।