प्रयागराज महाकुंभ के दौरान गंगा और यमुना नदियों में प्रदूषण बढ़ने की गंभीर रिपोर्ट सामने आई है। केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (CPCB) ने सोमवार को अपनी रिपोर्ट नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (NGT) को सौंपी, जिसमें यह बताया गया है कि महाकुंभ के दौरान प्रयागराज में फेकल कोलीफॉर्म बैक्टीरिया का स्तर काफी बढ़ गया है। इससे नदी के जल में प्रदूषण का स्तर उच्चतम सीमा तक पहुंच गया है, जिससे श्रद्धालुओं के लिए स्नान करना सुरक्षित नहीं माना जा रहा है।
रिपोर्ट के अनुसार, जब से महाकुंभ का आयोजन शुरू हुआ है, प्रयागराज में गंगा और यमुना नदियों के विभिन्न हिस्सों में फेकल कोलीफॉर्म बैक्टीरिया की मात्रा बढ़ी है, जो नहाने के लिए प्राथमिक जल गुणवत्ता मानकों से काफी अधिक है। केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड ने अपनी रिपोर्ट में यह भी बताया कि सीवेज से जुड़े गंदे पानी के संकेतक, जैसे कि फेकल कोलीफॉर्म बैक्टीरिया, 2500 यूनिट प्रति 100 मिली से ऊपर बढ़ गए हैं।
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एनजीटी ने यूपी सरकार को दिए निर्देश
नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल ने यूपी सरकार से यह सुनिश्चित करने को कहा था कि श्रद्धालुओं को उस पानी की गुणवत्ता के बारे में जानकारी दी जाए, जिसमें वे स्नान करने जा रहे हैं। हालांकि, कई रिपोर्ट्स में दावा किया गया है कि सरकार इस दिशा में सही कदम नहीं उठा रही है और श्रद्धालुओं को पानी की गुणवत्ता के बारे में कोई स्पष्ट सूचना नहीं दी जा रही है। एनजीटी ने यह भी निर्देश दिया था कि महाकुंभ के दौरान गंगा जल की उपलब्धता पर्याप्त हो और वह नहाने और पीने के लिए सुरक्षित हो।
2019 कुंभ में भी थी पानी की गुणवत्ता में कमी
यह पहली बार नहीं है जब प्रयागराज के कुंभ मेले में पानी की गुणवत्ता पर सवाल उठाए गए हैं। 2019 के कुंभ मेले के दौरान भी केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड की रिपोर्ट में यह उल्लेख किया गया था कि प्रमुख स्नान के दिनों में गंगा और यमुना के पानी की गुणवत्ता खराब थी। 2019 के कुंभ में 130.2 मिलियन श्रद्धालु आए थे। रिपोर्ट में कहा गया था कि करसर घाट पर बीओडी (बॉयलोगिकल ऑक्सीजन डिमांड) और फेकल कोलीफॉर्म का स्तर अपनी सीमा से ज्यादा था। यमुना में घुलनशील ऑक्सीजन का स्तर मानकों के अनुसार था, लेकिन अन्य संकेतक, जैसे पीएच, बीओडी और फेकल कोलीफॉर्म बार-बार निर्धारित सीमा से ऊपर पाए गए थे।
सीवेज प्रबंधन और प्रदूषण नियंत्रण की आवश्यकता
प्रयागराज में सीवेज के गंदे पानी के बहाव को रोकने के लिए नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल ने यूपी सरकार को निर्देश दिए थे, लेकिन फिलहाल प्रदूषण के नियंत्रण में कोई ठोस कदम नहीं उठाए गए हैं। एनजीटी ने यूपी सरकार को महाकुंभ के दौरान सीवेज प्रबंधन पर विशेष ध्यान देने की सलाह दी थी, ताकि नदियों का प्रदूषण रोका जा सके और श्रद्धालुओं के लिए सुरक्षित जल उपलब्ध हो सके।
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महाकुंभ के दौरान गंगा और यमुना के प्रदूषण को लेकर उठते सवाल यह दिखाते हैं कि प्रयागराज में जल गुणवत्ता की स्थिति में सुधार के लिए सरकारी प्रयासों की सख्त जरूरत है। सरकार को नदियों के जल को साफ करने और श्रद्धालुओं की सुरक्षा के लिए जल्द ही ठोस कदम उठाने होंगे।