What Is Biochar: भारत में, लगभग 70% लोग किसान हैं। वे देश की अर्थव्यवस्था की रीढ़ की हड्डी की तरह हैं। कृषि क्षेत्र में 64% आबादी लगी हुई है, जिसमें से 75% कृषक मजदूर हैं। लगभग 70% ग्रामीण परिवार अपनी आजीविका के लिए मुख्य रूप से कृषि पर निर्भर है।
लेकिन किसानों को कई बार मेहनत करने के बाद भी फसल की पैदावार नहीं मिल पाती। ऐसे में एक नई तकनीकी उभर कर आई है जो कि किसानों के लिए वरदान साबित होगी।
इस तकनीकी का नाम है बायोचार तकनीकी। बायोचार चारकोल जैसा उत्पाद है जिसमें पेट्रोलियम नहीं होता। इसे बायोमास जैसे कि घास या लकड़ी के फसल अवशेष, गैर-बचाई जा सकने वाली लकड़ी और स्लैश या पशु खाद को एक बंद सिस्टम में गर्म करके बनाया जाता है। बायोचार के कई संभावित उपयोग हैं जिनमें जल उपचार, भूमि सुधार और कार्बन पृथक्करण शामिल हैं।
ये एक ऐसी तकनीक है जो आपकी ज़मीन की सेहत भी सुधारेगी, और आपकी पैदावार भी बढ़ाएगी। बायोचार
का जिक्र हाल ही में केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी ने भी किया था और देश के किसानों से इस नई तकनीक को अपनाने की अपील की थी।

बायोचार दरअसल एक तरह का जैविक कोयला है, जो फसल के बचे हुए अवशेषों, जैसे पराली या सूखे पत्तों को कम ऑक्सीजन में जलाकर बनाया जाता है। ये न केवल मिट्टी में कार्बन बढ़ाता है, बल्कि उसकी पानी सोखने और पोषक तत्वों को रोकने की क्षमता भी बढ़ाता है।
जानिए, इससे क्या-क्या फायदे होंगे?
- मिट्टी की उर्वरता बढ़ती है।
- कम खाद की ज़रूरत होती है।
- पानी की बचत होती है।
- फसल का उत्पादन और गुणवत्ता दोनों बढ़ते हैं।
- जैविक खेती के लिए बहुत लाभदायक है।
- जलवायु परिवर्तन के खिलाफ कार्बन को ज़मीन में बांधने का काम करता है।
अब जरा सोचिए जो पराली किसान जलाते हैं, अगर उसी से बायोचार बना लें, तो प्रदूषण भी नहीं होगा और खेत की ताकत भी बढ़ेगी। बायोचार तकनीक ना सिर्फ पर्यावरण के लिए फायदेमंद है, बल्कि आपके खेत और आमदनी दोनों को मजबूत बनाती है।