Pakistan Google searches: प्रयागराज महाकुंभ 2025 की शुरुआत हुए आज चार दिन हो गए हैं। आंकड़ों के अनुसार, अभी तक संगम में पौष पूर्णिमा और मकर संक्राति के मौके पर करीब 6 करोड़ लोगों ने पवित्र स्नान किया।
महाकुंभ की धूम न केवल भारत बल्कि विदेशों में भी देखने को मिल रही है। अरब देश से लेकर पाकिस्तान तक के लोग गूगल पर महाकुंभ सर्च कर रहे हैं। खबरों से पता चला है कि हाल ही में महाकुंभ मेले के प्रति पाकिस्तान सहित अन्य देशों में भी रुचि बढ़ी है। पाकिस्तानी नागरिक इंटरनेट पर महाकुंभ से संबंधित जानकारी खोज रहे हैं।

यह भी पढ़ें- Mahakumbh 2025: प्रयागराज महाकुंभ जाने के लिए अपनाएं ये रूट, यहां पढ़ें ट्रेन की लिस्ट
प्रयागराज में भारतीय वायुसेना के तेजस विमान की प्रदर्शनी से पाकिस्तान में खलबली मच गई जिससे गूगल पर पाकिस्तान के लोग महाकुंभ सर्च कर रहे हैं। इससे संबंधित वीडियो और समाचार पाकिस्तान में देखे और साझा किए गए, जिससे वहां के लोगों में महाकुंभ के प्रति जिज्ञासा और बढ़ी।
पाकिस्तान ही नहीं बल्कि कतर, यूएई और बहरीन जैसे इस्लामी बहुल देशों में भी महाकुंभ को लेकर जबरदस्त उत्साह देखा जा रहा है।
महाकुंभ की खास बातें..
महाकुंभ भारत का सबसे बड़ा और विश्व प्रसिद्ध धार्मिक और सांस्कृतिक आयोजन है। यह हिंदू धर्म में पवित्रता, आस्था और आध्यात्मिकता का प्रतीक माना जाता है। महाकुंभ मेले का आयोजन हर 12 साल में भारत के चार पवित्र स्थलों—प्रयागराज, हरिद्वार, उज्जैन, और नासिक—में होता है। इसे दुनिया का सबसे बड़ा शांतिपूर्ण मानव सम्मेलन माना जाता है।
महाकुंभ का धार्मिक महत्व:
हिंदू मान्यता के अनुसार, महाकुंभ में पवित्र नदियों (गंगा, यमुना, क्षिप्रा, और गोदावरी) में स्नान करने से सभी पापों का नाश होता है और मोक्ष की प्राप्ति होती है।

आध्यात्मिक महत्व:
महाकुंभ मेले में संत, साधु, नागा साधु और अन्य धार्मिक व्यक्तित्व आध्यात्मिक साधनाओं और प्रवचनों के माध्यम से ज्ञान और धर्म का प्रचार करते हैं।
ऐतिहासिक और सांस्कृतिक महत्व:
महाकुंभ का इतिहास सैकड़ों वर्षों पुराना है। यह भारतीय संस्कृति और परंपराओं का जीवंत प्रतीक है, जो विभिन्न क्षेत्रों, जातियों और समुदायों को एक साथ लाता है।

कब होता है महाकुंभ का आयोजन ?
महाकुंभ हर 12 साल में एक बार निम्नलिखित स्थानों पर आयोजित होता है:
- प्रयागराज (इलाहाबाद): गंगा, यमुना, और सरस्वती नदियों के संगम पर।
- हरिद्वार: गंगा नदी के किनारे।
- उज्जैन: क्षिप्रा नदी के किनारे।
- नासिक: गोदावरी नदी के किनारे।
महाकुंभ के प्रकार:
- महाकुंभ: हर 12 साल में।
- अर्धकुंभ: हर 6 साल में।
- पौष कुंभ/माघ मेला: हर साल माघ महीने में।
महाकुंभ के पीछे पौराणिक कथा
पौराणिक कथा के अनुसार, समुद्र मंथन के दौरान अमृत कलश के लिए देवताओं और असुरों के बीच संघर्ष हुआ। अमृत की कुछ बूंदें पृथ्वी के चार स्थानों (प्रयागराज, हरिद्वार, उज्जैन, और नासिक) पर गिरीं। इन्हीं स्थानों पर महाकुंभ का आयोजन होता है।