गांधी मंडेला पुरस्कार के लिए डेनिस बुकुमी नर्कुन्निज़ा को नामांकित किया गया है। वह 2005 से बुरुंडी की पहली महिला और मंत्री रही हैं। गांधी मंडेला पुरस्कार के तहत भारत, नेपाल और बांग्लादेश के दिग्गजों की एक अनुकरणीय समिति देश के इन महान स्तंम्भो को सम्मानित करेंगी। ‘गांधी मंडेला अवॉर्ड के इस अनोखे मंच की शुरुआत Interactive Forum On Indian Economy व गांधी मंडेला फाउंडेशन के महासचिव श्री नंदन झा ने की है।
डेनिस बुकुमी नर्कुन्निज़ा ने 1 अगस्त 1993 से 2002 तक प्रवास अधिकारी के रूप में कार्य किया। उन्होनें समाज कल्याण की दिशा में कई कार्य किए हैं जिसमें विशेषकर महिला और बच्चों के उत्थान के लिए कई कार्य किएं हैं। वे कई ऐसे अभियानों का नेतृत्व करती है, जो महिलाओं को समाज में एक स्थान मिल सके। बुरुंडी के नागरिकों का भविष्य मजबूत बनाने की दृष्टि से वे युवाओं के साथ कई बैठकों में हिस्सा लेती हैं।
प्रभावी रूप से जरूरतमंदों की मदद के लिए डेनिस नरकुंजिजा ने "बंटू" नाम से एक परोपकारी संगठन की स्थापना की। जिसके बाद नवंबर 2005 "बंटू फाउंडेशन" शुरू हुआ। बंटू फाउंडेशन का उद्देश्य अनाथों, विधवाओं, बुजुर्गों, और गरीब लोगों की मदद करना है। डेनिस बुकुमी नर्कुन्निज़ा समय-समय पर अस्पतालों का दौरा भी करती है जिसमें मरीजों की सभी जरूरतों को पूरा किया जा सके। साथ ही संक्रामक रोगों से बचाव के लिए डेनिस बच्चों और गर्भवती महिलाओं को अभियानों के ज़रिए टीकाकरण के लिए प्रेरित करती है।
वह पर्यावरण की सुरक्षा, खाद्य सुरक्षा व स्वच्छता को बढ़ावा देने कि दिशा में प्रयासरत है। 2009 में, बुरुंडी की पहली महिला ने एक और बड़ा अभियान चलाया, जिसके माध्यम से उन्होनें देश भर में कई अनाथालयों और विकलांग केंद्रों की मदद की। वह स्टेट हाउस में अपने परिवार के साथ रहने वाले 10 से अधिक बच्चों की देखभाल करती है। 17 मार्च 2010 को, संयुक्त राज्य अमेरिका में यूनाइटेड ग्रेजुएट कॉलेज और कैलिफोर्निया के सेमिनरी द्वारा उन्हें मानद डॉक्टरेट की उपाधि प्रदान की गई।