सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को वक्फ संशोधन अधिनियम को चुनौती देने वाली याचिकाओं की सुनवाई करते हुए केंद्र सरकार से ‘वक्फ बाय यूजर’ पर सवाल पूछे। मुख्य न्यायाधीश डी.वाई. चंद्रचूड़ की अनुपस्थिति में मुख्य न्यायाधीश संजीव खन्ना की अध्यक्षता वाली तीन-न्यायाधीशों की पीठ ने ‘वक्फ बाय यूजर’ से जुड़ी संपत्तियों के पंजीकरण और वैधता पर विशेष रूप से चिंता जताई।
क्या है ‘वक्फ बाय यूजर’?
‘वक्फ बाय यूजर’ वह संपत्ति होती है जिसका लंबे समय से धार्मिक या परोपकारी कार्यों के लिए उपयोग होता आया है, भले ही उसके पास वैध दस्तावेज न हों। ऐसे मामलों में ऐतिहासिक प्रयोग ही संपत्ति के वक्फ होने का आधार बनता है।
सुप्रीम कोर्ट के सवाल
पीठ ने केंद्र सरकार से पूछा कि यदि किसी पुरानी मस्जिद या धार्मिक संपत्ति के पास कोई बिक्री विलेख (sale deed) नहीं है, तो उसका रजिस्ट्रेशन कैसे किया जाएगा? अदालत ने टिप्पणी की कि 14वीं से 16वीं शताब्दी के बीच बनी अधिकांश मस्जिदों के पास दस्तावेज नहीं होंगे — ऐसे में ‘वक्फ बाय यूजर’ के सिद्धांत को हटाना व्यावहारिक नहीं होगा।
सुप्रीम कोर्ट ने स्पष्ट किया, “ऐसी संपत्तियों को डिनोटिफाई करना जिनका उपयोग लंबे समय से वक्फ के तौर पर हो रहा है, कानून की स्थिरता के लिए खतरा होगा। आप यह नहीं कह सकते कि ऐसे कोई मामले नहीं होंगे।”
गैर-मुस्लिमों की भागीदारी पर सवाल
कोर्ट ने यह भी सवाल उठाया कि जब वक्फ बोर्डों और केंद्रीय वक्फ परिषद में गैर-मुस्लिमों को शामिल करने का प्रावधान है, तो क्या केंद्र सरकार हिंदू धार्मिक ट्रस्टों में मुसलमानों को भी शामिल करने की अनुमति देगी? इस सवाल पर अदालत का रुख धर्मनिरपेक्षता और समानता के सिद्धांतों की ओर संकेत करता है।
सरकारी भूमि और वक्फ संपत्ति पर विवाद
अदालत ने उस प्रावधान पर भी सवाल उठाया जिसके तहत तब तक किसी संपत्ति को वक्फ नहीं माना जाएगा जब तक कलेक्टर यह निर्धारित न कर ले कि वह सरकारी जमीन है या नहीं। अदालत ने इस पर टिप्पणी की, “ऐसा प्रावधान व्यावहारिक तौर पर निष्क्रिय हो जाता है।”
केंद्र का पक्ष
सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने सरकार की ओर से जवाब देते हुए कहा, “अगर कोई वक्फ संपत्ति विवाद में है, तो उसका उपयोग नहीं रोका गया है, केवल लाभ लेने से रोका गया है जब तक फैसला नहीं हो जाता।” इस पर मुख्य न्यायाधीश ने सवाल किया कि तब तक उस संपत्ति से मिलने वाला किराया या लाभ कहां जाएगा?
देशभर में विरोध
वक्फ संशोधन अधिनियम को लेकर देशभर में विरोध प्रदर्शन हो चुके हैं। खासकर पश्चिम बंगाल के मुर्शिदाबाद जैसे मुस्लिम बहुल इलाकों में इस कानून के खिलाफ आक्रोश देखने को मिला, जहां हिंसा की घटनाएं भी हुईं।
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सुप्रीम कोर्ट की इन टिप्पणियों से स्पष्ट है कि अदालत इस मामले में संवेदनशील और सतर्क रुख अपना रही है। ‘वक्फ बाय यूजर’ की वैधता, ऐतिहासिक धार्मिक संपत्तियों का भविष्य, और धार्मिक संस्थानों में धर्म के आधार पर प्रतिनिधित्व— ये सभी मुद्दे आने वाले समय में कानून और समाज दोनों के लिए अहम साबित होंगे।