एक समय था जब दक्षिण-मध्य एशिया के देशों विशेषकर भारत के पर्यटकों के लिए खरीददारी का एकमात्र डेस्टिनेशन बैंकॉक और सिंगापुर हुआ करते थे। लेकिन पिछले डेढ़ दशक में अपने लिबरल अप्रोच के कारण मुस्लिम राष्ट्र होने के बावजूद मलयेशिया ने किस तरह इन सबको पछाड़कर अपने आप को नंबर वन पर स्थापित किया है यह जानना विशेष रोचक है। इस समय मलयेशिया व्यापारिक दर्जे में हॉन्गकॉन्ग को भी पछाड़ चुका है। भारत में अक्सर सुनाई देनेवाले सर्वधर्म समभाव, सामाजिक सौहार्द्र व समरसता, धार्मिक सामंजस्य और भाईचारा जैसे शब्द अब अपना अर्थ खो चुके हैं और ऐसे में यह ऐसा देश है जो ‘मुस्लिम राष्ट्र’ होने के बावजूद इन शब्दों को सही अर्थ देता है। धर्म, भाषा और संस्कृति में पूर्णत: विभिन्न होने के बावजूद मलयेशिया आज दुनिया के समक्ष एक मिसाल बनकर पेश है। धार्मिक कट्टरता से कोसों दूर मलयेशिया के सभी संस्कृतियों को समेटने से धार्मिक बंधनों की कोई जकड़न नहीं दिखाई देती।
पूरे मलयेशिया में एक बुर्का नहीं दिखता
मलयेशिया में साधारण जीवन दिखता है तो आधुनिकता और भव्यता की चकाचौंध अपने सर्वश्रेष्ठ अंदाज में दिखती है। देश भर में पूरे शरीर को ढ़कनेवाला बुर्का पहने हुए एक भी महिला देखने नहीं मिलती। ना तो जालीदार टोपी दिखेगी। अधिक से अधिक सिर के इर्द-गिर्द स्कार्फ लपेटे महिलाएं पुरूषों के क्षेत्र में आगे बढ़ती दिखाई देती हैं। ना तो रास्ते को रोककर कोई नमाज पढ़ता दिखा और ना ही अजान सुनाई दी। रमजान के धार्मिक महीने के दौरान भी यहां सामाजिक उदारता के दर्शन होते हैं। राष्ट्रीय सरकार के संस्कृति और कला विभाग द्वारा स्वत: क्वालालंपुर के सभी वर्ग के निवासियों और पर्यटकों के लिए इफ्तार का आयोजन डेटरन मर्डेका, इंडिपेंडेंस स्क्वेयर और सुलतान अब्दुल समद बिल्डिंग के पास बीच सड़क पर किया जाना बताता है कि प्रशासन इसे कितना प्रोत्साहित करता है।
बहुभाषी संस्कृति का उत्तम मिलन
वास्तव में तो ‘मलय’ एक संस्कृत शब्द है जिसका मतलब होता है ‘पहाड़ों की भूमि’। भले ही यह पहाड़ की भूमि हो लेकिन इसने जंगल, जमीन और जल के प्राकृतिक स्त्रोतों को जिस तरह संभाला है, उसकी दुनियाभर में मिसाल दी जाती है। मलयेशिया और भारत दोनों राष्ट्रसंकुल के देश हैं। मलयेशिया स्ट्रीट फूड के स्वरूप, विविधता और स्वाद की वजह से दुनिया भर में प्रसिद्ध है। यहां के स्ट्रीट फूड पर्यटकों को बेहद ललचाते हैं। मलाका मलेशिया का सबसे प्राचीन ऐतिहासिक शहर है। यहां चीनी, पुर्तगाली, डच और ब्रिटिश प्रभावों का दिलचस्प मिश्रण देखने को मिलता है। मलयेशिया के मलाका शहर पर डच, पुर्तगाल, जापान और ब्रिटिश शासकों की हमेशा से नजर रही और वे बार-बार इस पर कब्जे के लिए लड़ाइयां लड़ते हुए इस पर आधिपत्य बनाते रहे। इस वजह से यहां वास्तुशिल्प, संस्कृति, व्यंजन, संगीत, भाषा सहित कई पहलुओं पर उनके शासन की छाप स्पष्ट दिखती है।
हिंदुओं से रिश्ते दर्शाती बाटु गुफाएं
शहर क्वालालंपुर से एक घंटे की दूरी पर स्थित रामायण काल की बाटु गुफाएं पर्यटकों विशेषकर हिन्दुओं के लिए एक बहुत बड़ा आकर्षण हैं। यह भारत के साथ के इसके हजारों साल के संबंधों को उजागर करती हैं। मीलों दूर से दिखनेवाली भगवान मुरूगन की प्रतिमा बरबस ही सभी का ध्यान आकर्षित करती हैं। वार्षिक ‘थाईपुसम’ उत्सव के दौरान देश के अधिकांश हिंदू भक्त यहां जरूर आते हैं। एक समय सिंगापुर और थाईलैंड भारत सहित मध्य एशियाई देशों के पर्यटकों के लिए शॉपिंग डेस्टिनेशन हुआ करते थे लेकिन अब उसकी जगह मलयेशिया के शॉपिंग मॉल्स ने ले ली है। विशालता, विविधता और शॉपिंग के इतर एडवेंचर व मनोरंजन का बुके पेश करनेवाले इन शॅापिंग मॉल्स में अगिनत फैशन ब्रैन्ड, व्यंजन और मनोरंजन की विविधता के कारण आकर्षित करते हैं। दक्षिण-पूर्व के सबसे बड़े और दुनिया के सातवें सबसे बड़े संचार इमारतवाले ‘केएल टॉवर’, 88 मंजिला और 2004 तक दुनिया की सबसे दुनिया के सबसे ऊंचे ट्ववीन टॉवर यानी पेट्रोनास टॉवर के दर्शन से होते हैं। बुर्ज खलीफा के बनने से पहले यह दुनिया की सबसे बड़ी इमारत थी।
जेंटिंग हाईलैंड्स नामक मानवनिर्मित जन्नत
इस पर्वतीय शहर को मलयेशिया का ‘लॉस वेगास’ और ‘सिटी ऑफ एंटरटेनमेंट’ भी कहा जाता है। बादलों से आच्छादित सुन्दर पहाड़ों के बीच बसाए गए मानवनिर्मित हिल स्टेशन गेंटिंग हाइलैंड्स की यात्रा बिना मलयेशिया की यात्रा अधूरी ही कही जाएगी। गोहटोंग जया स्थित अवाना स्काईवे केबल कार स्टेशन से गेंटिंग हाइलैंड्स 10 मिनट में वर्षा, वन और पहाड़ों के सुरम्य दृश्यों व कड़कड़ाती ठंड के बीच पहुंचा जा सकता है। पहांग प्रांत स्थित गेंटिंग हाईलैंड्स अपने आप में जन्नत से कम नहीं।