दिल्ली उच्च न्यायालय ने बुधवार को वन विभाग को फटकार लगाते हुए उसके अधिकारियों को राजधानी की वायु गुणवत्ता के लिए जिम्मेदार ठहराया। अदालत ने विभाग से यह सुनिश्चित करने के लिए कदम उठाने को कहा कि राष्ट्रीय राजधानी में वायु गुणवत्ता सूचकांक (एक्यूआई) में सुधार हो। अदालत दिल्ली में वैकल्पिक वन के निर्माण और वन विभाग में रिक्तियों को भरने से संबंधित मामलोंकी सुनवाई कर रही थी
न्यायमूर्ति जसमीत सिंह ने कहा कि प्रदूषित हवा में सांस लेने के कारण बच्चे अस्थमा से पीड़ित हो रहे हैं। उन्होंने कहा कि अतिक्रमण राष्ट्रीय राजधानी के फेफड़े माने जाने वाले रिज क्षेत्र में, सरकारी अधिकारियों की “नाक के ठीक नीचे” हो रहा था।
वन विभाग के प्रमुख सचिव को “युद्ध स्तर” पर रिक्तियां भरने के लिए कहते हुए, अदालत ने कहा, “हम जिस हवा में सांस लेते हैं उसकी गुणवत्ता के लिए आप जिम्मेदार हैं। यह सुनिश्चित करना आपका दायित्व है कि AQI में कमी आए।” सांस लेने में दिक्कत हो रही है।(दिसंबर–जनवरी में) लोगों को बाहर यात्रा करनी पड़ती है जब यह यहां रहने का सबसे अच्छा समय होता है,” अदालत ने अफसोस जताया।
अदालत ने इस बात पर जोर दिया कि दिल्ली के निवासियों को सांस लेने के लिए स्वच्छ हवा का मौलिक अधिकार है और हरियाली इसमें बहुत मदद करती है। वरिष्ठ अधिकारी ने अदालत को सूचित किया कि विभाग 136 एकड़ की “पर्यावरण–पुनर्स्थापना” करने जारहा है।