उत्तराखंड को अब उत्तरप्रदेश के नर्सरी एक्ट (बागवानी कानून) से निजात मिल जाएगी। सरकार की ओर से नर्सरी एक्ट की तैयारी अब अंतिम मुकाम पर पहुंच गयी है। इसके अनुसार सरकारी और निजी सभी नर्सरियां इस एक्ट के दायरे में आएंगी। बागवानी मिशन के तहत इस एक्ट में व्यवस्था की गयी है। इसके तहत सभी नर्सरियों को राज्य सरकार की ओर से पचास फीसदी सहायता प्रदान की जाएगी। इसके अलावा एक्ट के उल्लंघन में सज़ा और जुर्माना दोनों में वृद्धि का प्रस्ताव है। इस एक्ट को मंज़ूरी के लिए आगे आने वाली केबिनेट की बैठक में रखा जाएगा।
राज्य सरकार ने बागवानी के साथ-साथ नर्सरियां पर भी ध्यान दिया है। यही कारण है की राज्य का अपना नर्सरी कानून बनाया जा रहा है। एक्ट का मसौदा तैयार कर लिया गया है। सूत्रों के मुताबिक,मसौदे पर इस बात का ज़ोर दिया गया है कि 0.2 हेक्टेयर से कण भूमि वाले नर्सरियां को भी नर्सरी मानकर उन्हें एक्ट में आने वाली सभी सुविधा दी जाय।
पहले 0.2 हेक्टेयर से कम क्षेत्र वाले पौधालयों को इस श्रेणी में नहीं रखा जाता था। साथ ही इस मसौदे में यह उल्लेख है कि इस एक्ट को उल्लंघन करने वाले को पच्चास हज़ार का जुर्माना और दो साल के कारावास की सज़ा का प्रावधान है। उत्तरप्रदेश के एक्ट में जो अब तक इस राज्य में भी चलता था उसमे जुर्माना 5 हज़ार ओर 6 माह की अवधि की सज़ा निर्धारित है। इस एक्ट में यह भी प्रावधान किया गया है कि किसी भी प्रकार की नर्सरी के लिए राष्ट्रीय बागवानी बोर्ड से मान्यता लेनी अनिवार्य होगी। इसके अलावा अन्य कई प्रावधान भी प्रस्तावित किये गए है।
राज्य में 65 नर्सरियां राष्ट्रीय बागवानी बोर्ड से पंजीकृत,170 के करीब उत्तराखंड उद्यान विभाग से पंजीकृत और 93 सरकारी क्षेत्र की नर्सरियां राज्य में हैं।