प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी आज मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल के दौरे पर हैं। उनके भोपाल पहुंचने से पहले ही पार्टी की वरिष्ठ नेत्री उमा भारती ने महिला आरक्षण में ओबीसी के लिए आरक्षण की मांग पीएम मोदी से कर दी है। मध्य प्रदेश की पूर्व मुख्यमंत्री और भारत सरकार की पूर्व मंत्री उमा भारती ने X (ट्वीटर) पर पोस्ट करते हुए कहा कि आज दीनदयाल उपाध्याय जी की जयंती पर ही प्रधानमंत्री जी का भोपाल आगमन हो रहा है। दीनदयाल जी ने अंत्योदय का विचार दिया था। विश्वव्यापी समाजवाद,साम्यवाद, पूंजीवाद के अपूर्ण सिद्धांत थे,दीनदयाल जी ने समग्र विश्व को एक करने वाला सिद्धांत दिया था अंत्योदय। इसी कारण से मैं दीनदयाल जी की विचारधारा का अनुसरण करते हुए ही महिला आरक्षण में ओबीसी, एससी, एसटी आरक्षण की बात करती हूं। उमा भारती ने पिछले दिनों ट्वीट कर महिला आरक्षण में ओबीसी के लिए 27% और एससी/एसटी वर्ग के लिए 22% आरक्षण की मांग की थी।
1. आज दीनदयाल उपाध्याय जी की जयंती पर ही प्रधानमंत्री जी का भोपाल आगमन हो रहा है। दीनदयाल जी ने अंत्योदय का विचार दिया था।
2. विश्वव्यापी समाजवाद,साम्यवाद, पूंजीवाद के अपूर्ण सिद्धांत थे,दीनदयाल जी ने समग्र विश्व को एक करने वाला सिद्धांत दिया था अंत्योदय।@narendramodi @PMOIndia
— Uma Bharti (मोदी का परिवार) (@umasribharti) September 25, 2023
उमा भारती चल रही पार्टी से नाराज
मध्य प्रदेश की पूर्व मुख्यमंत्री रही उमा भारती इस बार के विधानसभा के चुनाव में पार्टी द्वारा तवज्जो नहीं दिए जाने से नाराज है। मध्य प्रदेश विधानसभा चुनाव में पार्टी द्वारा चलाया जा रहा जन आशीर्वाद यात्रा में शामिल होने के लिए निमंत्रण न मिलने पर वो खुलकर अपनी नाराजगी जाहिर की थी। उमा भारती ने कहा था कि अगर आप उन नेताओं के वजूद को पीछे धकेल देंगे, जिनके दम पर पार्टी का वजूद खड़ा है, तो आप एक दिन खुद ख़त्म हो जाओगे। साथ ही उन्होंने ये भी कहा था कि अगर अब उनको निमंत्रण भी मिला तो भो वह अब जन आशीर्वाद यात्रा में शामिल नहीं होगी।
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जिस राज्य की मुख्यमंत्री रही, उसी राज्य से राजनीतिक रूप से निर्वासित होना पड़ा था
उमा भारती हिंदुत्व आंदोलन की अग्रणी रही है। उन्होंने दिग्विजय सिंह के नेतृत्व में 10 साल से चल रही कांग्रेस की सरकार को सत्ता से बेदखल करती हुई 2003 में भाजपा की सरकार बनाई थी और खुद मुख्यमंत्री की कुर्सी संभाली थी। उमा भारती अधिक दिनों तक मुख्यमंत्री की कुर्सी पर नहीं रह पाई और एक साल बाद ही उन्हें इस्तीफा देना पड़ा। उनके खिलाफ 1994 के हुबली दंगों के सम्बन्ध में गिरफ़्तारी वारंट जारी जारी हुआ था। 2004 में लाल कृष्ण आडवाणी की आलोचना करने पर उन्हें पार्टी से हटा दिया गया। 2011 में भाजपा में उनकी वापसी हुई। 2012 में वो उत्तर प्रदेश की चरखारी सीट से विधानसभा सदस्य बनी और फिर 2014 में यूपी के ही झांसी लोकसभा सीट से संसद सदस्य चुनी गई और मोदी सरकार में मंत्री बनी। मध्य प्रदेश के नेताओं के विरोध के कारण उन्हें एमपी से यूपी की और जाना पड़ा था।