राजस्थान का कोटा शहर पूरे भारत में कोचिंग हब के रूप में जाना जाता है। यहां पूरे भारत से नौनिहाल अपने सपना को पूरा करने के उम्मीद में आते हैं लेकिन कई बार उस सपने के टूटने के साथ-साथ छात्र-छात्राएं भी इस कदर टूट जाते है कि वो खुदकशी जैसे कदम उठा लेते हैं। कोटा में एक 20 साल के छात्र ने अपने कमरे में फांसी लगाकर खुद की जान ले ली। छात्र का नाम तनवीर बताया जा रहा है जो मूलरूप से उत्तर प्रदेश के महराजगंज जिले का रहने वाला था। मृतक छात्र के पिता कोटा स्थित किसी कोचिंग संस्थान में शिक्षक हैं। छात्र नीट की तैयारी कर रहा था।
मृतक छात्र किसी प्रतियोगी परीक्षा की तैयारी कर रहा था। छात्र ने खुदकुशी क्यों किया इसका अभी पता नहीं चल पाया है। इसकी जांच जारी है। शव को पोस्टमार्टम के लिए भेज दिया गया है। पुलिस मृतक के घरवालों से पूछताछ कर रही है।
साल 2015 से अबतक कुल 114 छात्र-छात्राओं ने खुदकुशी की है जिसमें से इस साल जनवरी से अबतक 27 छात्रों ने खुदकुशी की है। पिछले और इस महीने को ही मिला ले तो संख्या 9 तक पहुंच चुकी है जोकि बहुत ही दुखद है। बच्चे, शिक्षक, समाज और सरकार को कुछ ऐसे कदम उठाने चाहिए जिससे की ये दुखद घटना पर रोक लगे। पिछले महीने अगस्त में आत्महत्या के मामले सामने आने पर प्रशासन द्वारा टेस्ट लेने पर दो महीने तक के लिए रोक लगा दिया गया है।
2015 से अबतक कुल 114 छात्र-छात्राओं ने की खुदकुशी
कोटा पहुंचने वाले अधिकतर छात्र मध्यवर्गीय परिवार से आते हैं। कोटा में रहकर तैयारी कर रहे छात्रों को दो साल में कम से कम 5 लाख रूपये तक की खर्च आती है। छात्र जब कोटा आते हैं तो इस सोच के साथ आते हैं कि उन्हें बेहतर शिक्षक मिलेंगे और अच्छे बैच में नामांकन मिलेगा। कोटा आने वाले छात्रों की संख्या लाखों में आती है और सभी छात्रों को टॉप के बैच मिलना संभव नहीं है। साथ ही इंटरनल एग्जाम भी होते हैं जिसके आधार पर उन्हें बैच दिया जाता हैं। अगर किसी छात्रों को अच्छे बैच नहीं मिल पाता तो उनमें एक निराशा की भावना आ जाती है। इसके साथ ही इंटरनल एग्जाम में अच्छे मार्क्स न आने का दवाब, अच्छे शिक्षक न मिलना, सिलेबस समय पर पूरा न होना और हमेशा कोचिंग संस्थान द्वारा लिए गए टेस्ट में अच्छा मार्क्स लाना जैसे दवाब उनपर आ जाता हैं और वो इस कदर मानसिक दवाब के शिकार हो जाते हैं कि आत्महत्या जैसे कदम उठा लेते हैं।
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इस समस्या से निपटने के लिए माता-पिता को अपने बच्चों से हमेशा बात करनी चाहिए। उनपर किसी तरह का दवाब नहीं डालना चाहिए। कोचिंग संस्थानों को समय-समय पर छात्रों की काउंसलिंग करनी चाहिए उन्हें दूसरे करियर ऑप्शन के बारे में बताना चाहिए। छात्रों को ये समझाना पड़ेगा की जिस समय वो सब कुछ ख़त्म होने की और रास्ते बंद होने की सोच रहे होते हैं वह समय उनका कई रास्ते के खुलने का समय होता हैं। इस लिए अपनी आत्मबल को मजबूत करें और जो भी कठिनाइयां आती हैं उसके बारे में खुल कर अपने माता-पिता, दोस्तों, शिक्षकों या जिसके साथ वो कम्फर्टेबल हैं उससे बातचीत करनी चाहिए।