तारीख 2 जून, दिन शुक्रवार, समय शाम का, जगह ओडिशा के बालासोर का बहानगा बाजार स्टेशन और तीन ट्रेनें जिसमें एक खड़ी मालगाड़ी और बाकी दो दौड़ती ट्रेन कोरोमंडल एक्सप्रेस (12841) , हावड़ा बेंगलुरु एक्सप्रेस (12864)। ये वो मनहूस तारीख, दिन, समय है जो कई लोगों का आखिरी साबित हुआ। ये वो दिन था जब कई लोगों की सांसे बंद हो गई, कई परिवारों के जीवन में वेदना, तड़प और शून्यता पैदा कर गया। ये वो समय था जब कई पिता के जीवन में बेबसी, भाइयों के जिंदगी में तड़पना, बहन के जिंदगी में सिसकना, माताओं के जिंदगी में शून्यता, पत्नियों के जिंदगी में अकेलापन, बच्चों के जिंदगी में बेसहारापन लेकर आया।
किसे पता था कि बालासोर का बहानगा बाजार स्टेशन पर जो पटरी बिछी है उस पर रेल की डब्बों की जगह मौत दौड़ने लगेगी, बोगियों के साथ छोड़ने से कई सौ लोगों की सांसे छूट जाएगी। किसे पता था कि वो उस सफर पर चल परे हैं जो उनकी आखिरी होगी, किसे पता था कि वो अपनी जिंदगी के आखिरी मंजिल की और जा रहे हैं। लेकिन दुर्भाग्य से ये सब हुआ हमारी सरकार और सिस्टम के निक्कमापन के कारण। कितनी अजीब बात है कि जिस रोज रेल मंत्री बीजेपी मुख्यालय में प्रेस कॉन्फ्रेंस कर अपनी उपलब्धियां गिना रहे थें उसी शाम ये भीषण हादसा हो जाती है और उनकी कलई खुल जाती है।
कितनी अचरज की बात है कि 2023 में हम खड़े हैं और लाइन पर खड़ी मालगाड़ी पर पीछे से उसी लाइन पर आ रही कोरोमंडल एक्सप्रेस का इंजन मालगाड़ी पर चढ़ जाती है और 5 डिब्बे डेरेल होकर दूसरे लाइन पर चली जाती है जिस पर हावड़ा – बेंगलुरु एक्सप्रेस आ रही होती है और उससे टकरा जाती है और लगभग 300 लोगों की जान चली जाती है और एक हजार लोग घायल हो जाते हैं। वहीं हमारी सरकारें और रेल मंत्री न जाने कितने बार कवच की बात कर, वंदे भारत ट्रेन की ड्रोन से वीडीओ शूट कराकर सोशल मीडिया और इलेक्ट्रोनिक मीडिया पर वाह – वाही लुटते हैं। हमारी सरकारें और रेल मंत्री को पता होना चाहिए की 9-10 वंदे भारत ट्रेन राज्यों के राजधानी से चला देने से उनकी जिम्मेवारी पूरी नहीं हो जाती। उन्हें ये ध्यान रखना होगा की वंदे भारत ट्रेन में सफर करने वालों की संख्या बहुत कम है उन लोगों से जो अलग – अलग जिला मुख्यालय से एवं अन्य जगहों से यात्रा करते हैं अन्य ट्रेनों में ।
सरकार को पुरानी चलने वाली ट्रेनों की सेफ्टी, उसका समय – सारणी ठीक करना होगा। नई तकनीकियों को जोड़ना होगा। जितनी कीमत वंदे भारत ट्रेन और राजधानी एक्सप्रेस में सफर करने वाले लोगों की जिंदगी का होता है उतना ही कीमत अन्य ट्रेनों से सफर करने वाले के जिंदगी का भी होता है। जितनी होर आज नेताओं में लगी है दुर्घटना स्थल पर जाकर फोटो खींचने की अगर उतनी ही ध्यान अगर वेवस्था को सही करने में लगी होती तो आज ये दिन नहीं देखना पड़ता। इतनी बड़ी घटना घट जाने के बाद भी किसी की जिम्मेवारी तय होगी ये कहना मुश्किल है शिवाय इसके की एक जांच कमेटी का गठन कर दिया जाएगा जिसकी रिपोर्ट कभी आएगी ही नहीं।