दिल ना उम्मीद तो नहीं, नाकाम ही तो है, लंबी है ग़म की शाम, मगर शाम ही तो है।” ~ फ़ैज़ अहमद फ़ैज़
दिनांक 19 नवंबर, दिन रविवार, और मौका था महापर्वों का। एक तरफ बिहार छठ महापर्व मना रहा था तो दूसरी तरफ पूरा भारत क्रिकेट का महापर्व विश्वकप फाइनल। स्थान अहमदाबाद का नरेंद्र मोदी स्टेडियम जिसके पास टीम इंडिया के समर्थन में उमरा भारतीय प्रशंसकों का नीला समंदर, आसमां के साथ ही जमीं को भी नीला कर दिया था। सारी देश की निगाहें यहीं जमीं थी। भारत और ऑस्ट्रेलिया के बीच होने वाली क्रिकेट विश्वकप 2023 के फाइनल पर। भारत बिना कोई मैच हारे, 10 मैचों के जीत के साथ विजय रथ पर सवार होकर फाइनल में पहुंचा था।
टॉस जीता ऑस्ट्रेलिया ने और भारत को पहले बल्लेबाजी करने का न्योता दिया। कप्तान रोहित शर्मा ने इसे सहज स्वीकार किया और बल्लेबाजी करने मैदान पर उतर गए। भारत ने ऑस्ट्रेलिया को 241 रनों का लक्ष्य दिया । जैसे जैसे शाम ढलती गई और रात काली होती गई भारतीयों की उम्मीद भी खत्म होती चली गई। ऑस्ट्रेलिया ने 6 विकेट से यह फाइनल जीत लिया और हम हार गए। एकबार फिर हम बहुत पास आकर भी बहुत दूर हो गए उस कप से। हमारा विश्वकप जीतने का इंतजार और 4 साल के लिए बढ़ गया।
जैसे – जैसे हम हार के करीब पहुंचते गए, 1 लाख 30 हजार दर्शक से भरा स्टेडियम के साथ-साथ करोड़ो भारतीय क्रिकेट प्रशंसक खामोश होते चले गए। जैसे ही हम हारे और हमारे सामने आंसू संभालते कप्तान रोहित शर्मा का अबतक का सबसे मुश्किल कदम जो ड्रेसिंग रूम के तरफ बढ़ रहा था और अन्य भारतीय खिलाड़ियों का रुआंशा चेहरा सामने आया तो सभी की भावनाएं बेकाबू हो गई और लोग अपनी आंसू रोक नहीं पाए। लेकिन वहां मौजूद सवा लाख दर्शक जल्द ही अपनी भावनाओं पर काबू पाते हुए सबसे कठिन दौर से गुजर रहे हमारे खिलाड़ियों का साहस बढ़ाना शुरू कर दिया।
आखिर ऐसा हम क्यूं न करे।
सर और किरदार हमेशा ऊंचा रखा है आपने ,अच्छे बुरे दिन तो आते जाते रहेंगे।
आप वही टीम हैं जिन्होंने हमें 45 दिनों तक चलें विश्वकप में चैंपियन की तरह खेलते हुए हमें न जाने कितनी बार झूमने का मौका दिया और विश्वास दिलाया कि हम विश्वकप जीत सकते हैं। माना की हम अंतिम दहलीज नहीं पार कर सकें लेकिन आप 140 करोड़ भारतीयों के दिल में जगह बना गए। हमें आप पर हमें गर्व है।
आपकी हार ‘शौर्य का मुद्दा है, शोक का कदापि नही। आप शूरवीर ‘ मैदान में लड़े है,, किसी से डरे नहीं।।
हम आपको धन्यवाद देते हैं कि आपने हमें इतनी खुशियां दी। हम आपके सफल मेहनत, प्रयास के साक्षी रहे हैं। हम नहीं भूल सकते कप्तान रोहित शर्मा आपके बेखौफ बल्लेबाजी, कुशल नेतृत्व और प्रतिबद्धता को, कोहली आपके विराट पारी को, शुभमन गिल और के एल राहुल आपके धैर्य को, श्रेयस आपके तेज बल्लेबाजी को। शमी आपको जो करोड़ो भारतीयों का विश्वास बन गए थे कि आप आओगे और विकेट दिलाओगे। बुमराह और सिराज आपके लहराती गेंदों को, स्पिनर्स जडेजा और कुलदीप आपके रन गति को रोकने को। लेकिन मुझे यहां याद आते हैं वो कप्तान जो विकेट के पीछे से स्पिनर के दम पर खेल बदल देते थे जिनकी कमी आज एकबार फिर महसूस हुई। जिनके कप्तानी में हम विश्वकप अंतिम बार जीते थें। एम एस धोनी ।
सबसे कठिन दौर से गुजरने वालों में कोच राहुल द्रविड़ जो टीम के पीछे दीवार की तरह खड़े रहें। राहुल द्रविड़ ही वो एकलौते ऐसे व्यक्ति थे जो 2003 के साथ-साथ 2023 के फाइनल में ऑस्ट्रेलिया से हार को नजदीक से देखा। वो परदे के पीछे से कप्तान रोहित शर्मा के साथ बड़े ख़ामोशी से रणनीति बनाकर भारत को इस मुकाम तक लाएं। जब सबसे बुरे दौर फाइनल में हारने के बाद प्रेस के सामने खुद आकर धैर्य के साथ सभी सवालों का जवाबा दिया और सभी खिलाड़ियों की सराहना की।
राहुल द्रविड़ की सराहना क्रिकेट कमेंटेटर और पत्रकार हर्षा भोगले ने X पर की है। उन्होंने लिखा है कि इसके बाद की सुबह। निराशा. लेकिन एक जागरूकता यह है कि हमने इस टीम को लगातार 10 मैचों में विशेष क्रिकेट खेलते देखा है। और राहुल द्रविड़ को बहुत-बहुत धन्यवाद; जब टीम जीत रही थी तब पृष्ठभूमि में रहे, जब टीम हारी तो आगे रहे। खिलाड़ियों का समर्थन किया, रोहित के साथ एक शानदार संयोजन बनाया और, हमेशा की तरह, सरल और शालीन बने रहे।
माना की हमारा, आपका दिल टूटा है, ये हार लंबे दिनों तक चुभेगी, कुछ दिन मन नहीं लगेगा, लेकिन हम फिर खरे होंगे।
…टूटे तारों पर कब अम्बर शोक मनाता है, जो बीत गई सो बात गई ~ हरिवंशराय बच्चन
प्रधानमंत्री मोदी हार के बाद भारतीय ड्रेसिंग रूम में खिलाड़ियों से मिले
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