केंद्रीय रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह और लोकसभा में कांग्रेस के नेता अधीर रंजन चौधरी के बीच चीन के मुद्दे पर नोकझोंक हो गई। रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ISRO को चंद्रयान -3, आदित्य L1 एवं अन्य कार्यों के लिए बधाई दे रहे थें। इसी बीच कांग्रेस नेता अधीर रंजन चौधरी एवं अन्य विपक्षी सांसदों ने राजनाथ सिंह को टोकते हुए कहा कि चीन पर चर्चा करने की हिम्मत है इस पर रक्षा मंत्री ने कहा कि पूरी हिम्मत है इसके बाद फिर विपक्ष की तरफ से पूछा गया की चीन ने हमारी सीमा पर कितना कब्ज़ा किया इस पर रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने कहा कि इतिहास में मत ले जाओ, अधीर रंजन जी… मैं चर्चा करने को तैयार हूं और सीना चौड़ा करके चर्चा के लिए तैयार हूं।
रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने चंद्रयान -3 की सफलता पर कहा की चंद्रयान-3 की सफलता हमारे लिए निश्चित रूप से एक बहुत बड़ी उपलब्धि है। क्योंकि एक तरफ दुनिया के अधिकांश विकसित देश हैं, जो हमसे कहीं अधिक संसाधन-संपन्न होते हुए भी, चांद पर पहुंचने के लिए प्रयासरत हैं, तो वहीं दूसरी तरफ हम बेहद सीमित संसाधनों से चांद के दक्षिणी ध्रुव पर पहुंचने वाले दुनिया के पहले देश बने हैं। अगर चंद्रयान-3 ने चन्द्रमा पर अपने कदम रखे हैं, तो यह एक ओर इसरो की सफलता तो है ही, साथ ही यह इस बात का भी द्योतक है, कि हमारे देश का वैज्ञानिक वातावरण, जिसमें करोडों-करोड़ भारतीयों का योगदान है, वह अपना आकार ले रहा है।
संस्कृति के बगैर विज्ञान, और विज्ञान के बगैर संस्कृति अधूरी है
ऐसे कुछ लोग हमारे सदन में भी हो सकते हैं, कि हमारी सांस्कृतिक विरासत, और वैज्ञानिक टेम्परामेंट के बीच विरोधाभास है। यहाँ तक कहा जाने लगा, कि अगर आप वैज्ञानिक टेम्परामेंट के हैं, तो आप पीपल की पूजा कैसे कर सकते हैं, आप नीम की पूजा कैसे कर सकते हैं, आप तालाब की पूजा कैसे कर सकते हैं, या फिर आप गाय को माता कैसे कह सकते हैं। भारत में यदि कोई व्यक्ति यह कहता है कि हमारी संस्कृति विज्ञान की विरोधी है तो मुझे लगता है कि उस व्यक्ति को न तो हमारी संस्कृति का “स” पता है, न ही विज्ञान का ‘व’ मालूम है। संस्कृति के बगैर विज्ञान, और विज्ञान के बगैर संस्कृति अधूरी है। संस्कृति और विज्ञान दोनों एक दूसरे से जुड़ने के बाद ही पूर्णता प्राप्त कर सकते हैं। दोनों को एक दूसरे का पूरक कहा जा सकता है, क्योंकि दोनों ही मनुष्यता के लिए जरूरी हैं।
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विशेष सत्र ‘नारी शक्ति वंदन’ विधेयक को समर्पित
संसद का यह विशेष सत्र, ‘नारी शक्ति वंदन’ विधेयक को समर्पित सत्र है। ऐसे में मैं, नारी शक्ति वंदन’ विधेयक को ISRO की महिला वैज्ञानिक , और उनके साथ भारत की पूरी महिला वैज्ञानिक समुदाय को कृतज्ञ राष्ट्र की ओर से प्रस्तुत एक उपहार मानता हूँ। यह सदन और राष्ट्र, ISRO की महिला वैज्ञानिक, और हर भारतीय बेटी को नमन करता है, उनकी सराहना करता है, और उनके प्रति कृतज्ञता प्रकट करता है।