आगामी लोकसभा चुनाव 2024 के लिए सत्ता पक्ष और विपक्ष के द्वारा अपनी-अपनी रणनीति सामने लाया जा रहा है। एक बार फिर नेताओं द्वारा चुनाव का मुद्दा सेट किया जा रहा है और जनता का मुद्दा गायब है। एक तरफ सत्ता पक्ष महिला आरक्षण और हिंदुत्व के मुद्दे को लेकर आगे बढ़ रही है तो उसके काट में विपक्ष ने जातिगत जनगणना के मुद्दे को आगे बढ़ाया है। जाति जनगणना पर पहला कदम उठाया है बिहार सरकार ने। गांधी जयंती के अवसर पर बिहार सरकार ने जातिगत जनगणना की रिपोर्ट सार्वजानिक कर दी। नीतीश कुमार का ये कदम पुरे देश में एक नई राजनीति की शुरुआत के तौर पर देखा जा रहा है।
बिहार सरकार के इस कदम के बाद विपक्ष की यानि INDIA गठबंधन की जहां-जहां सरकार है वहां के मुख्यमंत्री ने अपने राज्य में जातिगत जनगणना कराने का एलान कर दिया है। कांग्रेस ने भी बिहार सरकार के इस कदम का स्वागत किया है। कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने कहा कि बिहार की जातिगत जनगणना से पता चला है कि वहां OBC + SC + ST 84% हैं। केंद्र सरकार के 90 सचिवों में सिर्फ़ 3 OBC हैं, जो भारत का मात्र 5% बजट संभालते हैं! इसलिए, भारत के जातिगत आंकड़े जानना ज़रूरी है। जितनी आबादी, उतना हक़ – ये हमारा प्रण है। राहुल गांधी ने चुनावी राज्य मध्यप्रदेश में भी राहुल गांधी ने वादा किया है कि सरकार में आने के बाद कांग्रेस की सरकार जातिगत जनगणना करेगी।
कांग्रेस की राजनीति एक नई मोड़ ले रही
कांग्रेस का जातिगत जनगणना कराने का वादा और महिला आरक्षण में OBC, ST/SC महिलाओं के लिए आरक्षण के अंदर आरक्षण मांगना बता रहा है कि कांग्रेस की राजनीति एक नई मोड़ ले रही है। एक समय कांग्रेस का नारा हुआ करता था “न जात पर, न पात पर, मुहर लगेगी हाथ पर ” से अब महिला आरक्षण में कोटा के अंदर कोटा की मांग करना और जातिगत आरक्षण की मांग कर “जिसकी जितनी आबादी उसकी उतनी हक़” के नारे तक आ गई है।
https://twitter.com/RahulGandhi/status/1708788188142239822
कांग्रेस ओबीसी के बीच अपनी पैठ बनाने कोशिश कर रही
कांग्रेस मंडल की राजनीति में पिछड़ गई थी। 1990 में बीपी सिंह की सरकार ने मंडल आयोग की सिफारिश को लागू करने के बाद पिछड़ी जाति (OBC) को सरकारी नौकरी में 27% आरक्षण प्रदान किया था। उसी समय बिहार की राजनीति में लालू यादव का और उत्तर प्रदेश की राजनीति में मुलायम सिंह यादव का उदय हुआ जो पिछड़ी जाति का प्रतिनिधित्व करते थें। 1990-1992 के दौर में मंडल आयोग की सिफारिश का लागू होना, बाबरी मस्जिद का टूटना देश की राजनीति में एक बदलाव लेकर आई। लड़ाई मंडल बनाम कमंडल का होने लगा। एक तरफ बीजेपी थी तो दूसरी तरफ बिहार और उत्तर प्रदेश की क्षेत्रीय पार्टी जिसके नेता लालू यादव, मुलायम सिंह यादव, शरद यादव, मायावती, रामविलास पासवान जैसे नेता थें। इस मंडल बनाम कमंडल की लड़ाई में बिहार और उत्तर प्रदेश से कांग्रेस की सियासी जमीन कब खिसक गई उसे पता भी नहीं चली। कांग्रेस अब बिहार और उत्तर प्रदेश में अपने वजूद की लड़ाई लड़ रही है। कांग्रेस जातिगत जनगणना और महिला आरक्षण के अंदर आरक्षण की मांग कर ओबीसी के बीच अपनी पैठ बनाने कोशिश कर रही है। पिछले दो लोकसभा चुनाव में ओबीसी वोटों का झुकाव बीजेपी के तरफ देखने को मिला है जिसे फिर इंडिया गठबंधन अपने पाले में लेन की कोशिश कर रहा है।
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क्या सबसे बड़ी आबादी वाले हिन्दुवों आगे बढ़ कर अपना हक़ ले लें ? – पीएम मोदी
बीजेपी की तरफ से प्रधानमंत्री मोदी ने कांग्रेस पर पलटवार करते हुए कहा कि कांग्रेस ने एक नया मुद्दा छेड़ा है जिसकी जितनी आबादी उसका उतना हक़। प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि कांग्रेस घोषणा करे की वो अल्पसंख्यक विरोधी है, दक्षिण भारत विरोधी है। इसके साथ ही पीएम मोदी ने बड़ी सावधानी से हिंदुत्व कार्ड खेलते हुए कहा कि क्या आबादी के हिसाब से हक़ मिलेगा ? अल्पसंख्यकों को कांग्रेस हटाना चाहती है क्या, तो क्या सबसे बड़ी आबादी वाले हिन्दुवों आगे बढ़ कर अपना हक़ ले लें ? अगले साल जनवरी के महीने में राम मंदिर का उद्घाटन होने जा रहा है। इसके माध्यम से भाजपा हिंदुत्व के मुद्दे को आगे करके जातिगत जनगणना के मुद्दे की धार को कुंड करना चाहेगी।
https://twitter.com/BJP4Bihar/status/1709226505858146628
बिहार के जातिगत जनगणना में क्या आंकड़ा निकला?
वर्ग के आधार पर
अत्यंत पिछड़ा वर्ग – 36.1%
पिछड़ा वर्ग – 27.12%
अनुसूचित जाति – 19.65%
अनुसूचित जनजाति – 1.68%
सामान्य वर्ग – 15%
धर्म के आधार पर
हिन्दू – 81.99%
इस्लाम – 17.70%
ईसाई – 0.05%
सिख – 0.011%
बौद्ध – 0.0851%
जैन – 0.0096%
अन्य धर्म – 0.1274%
कोई धर्म नहीं – 0.0016%
जाति के आधार पर
यादव – 14.26%
दुसाध – 5.3%
मोची , चमार , रविदास – 5,2%
कोइरी – 4.2%
ब्राह्मण – 3.65%
राजपूत – 3.45%
मुसहर – 3.08%
भूमिहार – 2.86%
कुर्मी – 2.8%
मल्लाह – 2.60%
बनिया – 2.31 %
कायस्थ – 0.60%