इजरायल पर आतंकी संगठन हमास ने 7 अक्टूबर को सुबह-सुबह हमला कर दिया और उसके सीमा में घुसपैठ कर लोगों पर हमला किया एवं कई लोगों को बंदी बना लिया। इसके जवाबी करवाई में इजरायल ने भी आतंकी संगठन हमास के ठिकानो पर हमला करना शुरू कर दिया जोकि अबतक चल रहा है। इस लड़ाई में अबतक 3000 लोगों की मौत हो चुकी है। कई सौ लोग बंदी हैं और 5000 से अधिक लोग घायल हैं।
भारत समेत कोई भी देश फिलिस्तीन का नाम नहीं ले रहा
भारत समेत कई बड़े देशों ने इजरायल का समर्थन खुलकर किया है। इसका मतलब यह नहीं है कि भारत फिलिस्तीन का विरोध कर रहा है। इजरायल पर हमला एक आतंकी संगठन हमास ने किया है, न की फिलिस्तीन ने और इस हमले के कारण फिलिस्तीन के जायज मांगों को दबाना सही नहीं है। इस आतंकी हमला के खिलाफ भारत खुलकर इजरायल के समर्थन में आ गया है। यहां ध्यान देने वाली बात यह है कि आप देखेंगे की भारत समेत कोई भी देश फिलिस्तीन का नाम नहीं ले रहा है। इसका कारण फिलिस्तीन का जायज मांग और असल में फिलिस्तीन का विक्टिम होना है। इसका प्रमाण आप ऊपर दिए गए नक्से में भी देख सकतें है। भारत को कश्मीर के मुद्दे पर और वैश्विक राजनीति में अरब देशों का साथ चाहिए इसलिए भारत फिलिस्तीन का विरोध नहीं करेगा। इस बात की तस्दीक आपको आगे पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी के भाषण में भी मिलेगी।
भारत इजरायल के संयुक्त राष्ट्र में प्रवेश के खिलाफ वोट दिया था
1948 में जब फिलिस्तीन को दो भागों में बांटकर इजरायल बना था तो भारत इजरायल के संयुक्त राष्ट्र में प्रवेश के खिलाफ वोट दिया था। भारत फिलस्तीन मुक्ति संगठन को मान्यता देने वाला पहला गैर अरब देश था और इज़राइल को मान्यता देने वाला अंतिम गैर इस्लामी देशों में से एक था। फिलिस्तीन एक अरब देश था और अभी भी है, भले ही इसकी जनसंख्या और क्षेत्रफल कम हो गई हो, जहां पर दूसरे देशों से यहूदी आकर बसें और फिलिस्तीन की धरती पर एक अलग राष्ट्र की स्थापना यहूदियों ने इजरायल के रूप में की।
अटल बिहारी वाजपेयी ने फिलिस्तीन को समर्थन में क्या कहा था ?
पूर्व प्रधानमंत्री और उस समय के विदेश मंत्री अटल बिहारी वाजपेयी ने 1977 में दिल्ली के एक जनसभा को संबोधित करते हुए कहा था कि “ये कहा जा रही है कि जनता पार्टी की सरकार यहां बनी है वो अरबों का साथ नहीं देगी इजरायल का साथ देगी, आदरणीय मोरारजी भाई इस इस्थिति को स्पष्ट कर चुके हैं, गलतफहमी को दूर करने के लिए मैं कहना चाहता हूँ, हम हर एक प्रश्न को गुण और अवगुण के आधार पर देखेंगे, लेकिन मध्यपूर्व के बारे में यह स्थिति साफ है कि अरबों के जिस जमीन पर इजरायल कब्ज़ा करके के बैठा है वह उसे खाली करना पड़ेगा।
जो नियम हम पर लागू होता है वही औरों पर भी लागू होगा
आक्रमणकारी आक्रमणों के फलों का उपभोग करें, ये हमें अपने सम्बन्ध में स्वीकार नहीं है (यहां वो भारत- पाकिस्तान और पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर का जिक्र कर रहे हैं), तो जो नियम हम पर लागू होता है वही औरों पर भी लागू होगा। अरबों की जमीन खाली होनी चाहिए और फिलिस्तीन में जो फिलिस्तीनी हैं उनके उचित अधिकारों की प्रस्थापना होनी चाहिए। इजरायल के अस्तित्व को सोवियत रूस और अमेरिका ने भी स्वीकार किया है और हमने भी स्वीकार किया है। मध्यपूर्व का एक ऐसा हल निकालना पड़ेगा जिसमे आक्रमण का परिमार्जन हो और स्थाई शांति का आधार बने।
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