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Cow Dung Export: 50 रुपये प्रति किलो निर्यात हो रहा गाय का गोबर, क्यों अरब देश इसे खरीदते हैं?

Cow Dung Export: गाय के गोबर के उपयोग और इसके निर्यात में वृद्धि हुई है। कुवैत और अन्य अरब देश भारत से गाय का गोबर खरीदते हैं। जानिए- अरब देश इसे क्यों खरीदते हैं?

Kiran rautela by Kiran rautela
22 December 2024
in दुनिया, भारत
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अरब देश भारत से क्यों खरीद रहे हैं गाय का गोबर?

अरब देश भारत से क्यों खरीद रहे हैं गाय का गोबर?

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Cow Dung Export: भारत में गाय का विशेष महत्व है, देश में गाय को पूजा जाता है और गाय के दूध और गोबर को भी पूजा में प्रयोग किया जाता है। इसी बीच खबर आई है कि अरब देशों और कुवैत में भी गाय के गोबर की मांग बढ़ गई है। आकड़ों से ये बात समाने आई है कि बीते कई सालों में गाय के गोबर के निर्यात में तेजी आई है। खासकर खाड़ी देशों में गाय के गोबर का इस्तेमाल कई तरह से किया जा रहा है।

गाय के गोबर की क्या अहमियत है? 

ये इसकी कीमत से पता चल जाएगी। रिपोर्ट्स के अनुसार गाय का गोबर 40-50 रूपए प्रति किलो के हिसाब से निर्यात हो रहा है और भविष्य में इसकी कीमतें और बढ़ सकती हैं। खबर है कि अरब देशों में गाय के गोबर का पाउडर बनाकर इसका प्रयोग खजूर की फसल में किया जा रहा है जिससे खजूर की अच्छी-खासी बढ़त हो रही है।

Cow dung is being exported at Rs 50 per kg, why do Arab countries buy it?
Cow dung is being exported at Rs 50 per kg why do Arab countries buy it

कुवैत और अन्य अरब देशों में भारत से गाय के गोबर का निर्यात

हाल के वर्षों में गाय के गोबर के उपयोग और इसके निर्यात में वृद्धि हुई है। कुवैत और अन्य अरब देश भारत से गाय का गोबर खरीदते हैं, और इसका उपयोग विभिन्न उद्देश्यों के लिए किया जाता है।

यह भी पढ़ें- Cotton Farming: क्या है कपास की HDPS परियोजना? किसानों के लिए है वरदान

गाय के गोबर का उपयोग

गाय का गोबर जैविक खाद के रूप में उपयोग होता है, जो मिट्टी की उर्वरता बढ़ाने और प्राकृतिक तरीके से फसलों के उत्पादन के लिए आदर्श है। अरब देशों में बंजर और रेतीली भूमि को उपजाऊ बनाने के लिए इसका प्रयोग किया जाता है। भारतीय परंपरा और संस्कृति के अनुसार, गाय का गोबर पवित्र माना जाता है। कुवैत और अन्य अरब देशों में रहने वाले भारतीय प्रवासी इसे धार्मिक कार्यों, पूजा और त्योहारों में उपयोग करते हैं। गोबर से बायोगैस उत्पादन और ऊर्जा के अन्य स्रोतों के रूप में इसका प्रयोग किया जाता है। इससे अरब देशों में स्वच्छ ऊर्जा का प्रोत्साहन मिलता है।

Cow dung is being exported at Rs 50 per kg, why do Arab countries buy it?
Cow dung is being exported at Rs 50 per kg

उद्योगों में भी हो रहा प्रयोग

गोबर का उपयोग कागज, ईंट, और अन्य जैविक उत्पादों के निर्माण में किया जा रहा है। इसके साथ-साथ गंध नियंत्रण और पर्यावरण संरक्षण के लिए भी गोबर आधारित उत्पादों की मांग बढ़ी है।

भारत में गाय के गोबर का उत्पादन बड़े पैमाने पर होता है, और यह आसानी से उपलब्ध है। गोबर के उत्पाद जैसे गोबर से बनी खाद, गोबर केक (उपले), और अन्य उत्पाद अरब देशों में निर्यात किए जाते हैं। यह निर्यात भारत के ग्रामीण अर्थव्यवस्था को बढ़ावा देता है और किसानों की आय में वृद्धि करता है।

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क्यों अरब देश इसे खरीदते हैं?

रासायनिक खादों की तुलना में जैविक खाद सस्ती और अधिक पर्यावरण-अनुकूल होती है। जैविक खेती और स्वच्छ ऊर्जा के प्रति रुचि बढ़ने से गोबर उत्पादों की मांग में वृद्धि हुई है। भारतीय प्रवासी धार्मिक और सांस्कृतिक उद्देश्यों के लिए गोबर आधारित उत्पादों का उपयोग करते हैं।

निर्यात का आर्थिक महत्व

गोबर और गोबर उत्पादों का निर्यात भारत के लिए एक नया आर्थिक अवसर है। यह ग्रामीण क्षेत्रों में रोजगार सृजन और पर्यावरण-अनुकूल उत्पादों के विकास को बढ़ावा देता है। गाय के गोबर के निर्यात ने भारतीय ग्रामीण उत्पादकों और अरब देशों के उपयोगकर्ताओं के बीच एक नया व्यापारिक संबंध स्थापित किया है। यह न केवल आर्थिक रूप से लाभकारी है, बल्कि पर्यावरण के अनुकूल टिकाऊ समाधान भी प्रदान करता है।

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Kiran rautela
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