कामाख्या मंदिर घोटाला: प्रवर्तन निदेशालय (ED), गुवाहाटी ज़ोनल कार्यालय ने कामाख्या मंदिर घोटाले का खुलासा किया है। मनी लॉन्ड्रिंग निवारण अधिनियम (PMLA), 2002 के तहत की गई जांच में पाया गया कि 2003 से 2019 के बीच बोर्ड के अधिकारियों द्वारा लगभग ₹7.62 करोड़ का गबन किया गया था।
नीलाचल पहाड़ी पर स्थित कामाख्या मंदिर देवी कामाख्या, शक्ति के अवतार को समर्पित है। यह हिंदुओं के लिए एक प्रमुख तीर्थ स्थल है और विशेष रूप से अंबुबाची मेले के दौरान हर साल लाखों श्रद्धालु यहां आते हैं। इसकी सांस्कृतिक और धार्मिक महत्ता इसे किसी भी वित्तीय कुप्रबंधन का अत्यधिक संवेदनशील मुद्दा बनाती है।
ईडी के बयान के अनुसार, इस घोटाले में कामाख्या मंदिर के लिए निर्धारित धनराशि का दुरुपयोग किया गया, जिसमें विद्युत सामग्री, सीमेंट, सफाई रसायन, श्रमिकों और अन्य सेवाओं की आपूर्ति के लिए फर्जी कंपनियों को ठेके दिए गए। इसके अलावा, अधिकारियों ने डिप्टी कमिश्नर से ₹50,000 से अधिक के खर्चों के लिए पूर्व-अनुमोदन की अदालत-निर्देशित प्रक्रिया से बचने के लिए बड़े बिलों को छोटे-छोटे हिस्सों में बांट दिया।
यह जांच गुवाहाटी की अपराध जांच विभाग (CID) द्वारा भारतीय दंड संहिता (IPC), 1860 के तहत दर्ज एक प्राथमिकी (FIR) से शुरू हुई थी। इसके तहत ईडी ने दिवंगत रिजु प्रसाद शर्मा (पूर्व प्रशासक, कामाख्या देबोत्तर बोर्ड), धीरज शर्मा और नबा कंता शर्मा के निवासों पर छापेमारी की। छानबीन के दौरान ईडी ने बोर्ड अधिकारियों और उनके परिवार के सदस्यों के नाम पर ली गई लगभग ₹1.82 करोड़ की बीमा पॉलिसियों को जब्त किया, साथ ही अचल संपत्तियों और व्यावसायिक संस्थाओं से संबंधित दस्तावेज भी बरामद किए।
छापेमारी के दौरान अधिकारियों को इस घोटाले से जुड़े व्यक्तियों के 27 से अधिक बैंक खातों की जानकारी भी मिली। ईडी मंदिर की निधियों के गबन की जांच को आगे बढ़ा रहा है।
इससे अलग, ईडी के कोचीन ज़ोनल कार्यालय ने PMLA, 2002 के तहत एर्नाकुलम और इडुक्की जिलों में ₹7.94 करोड़ की चल-अचल संपत्तियों को अनंतिम रूप से कुर्क कर लिया है। यह मामला शेल्जी जॉर्ज (डिप्टी मैनेजर, टी डिवीजन, SUPPLYCO) और अन्य के खिलाफ है। सतर्कता और भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो द्वारा दर्ज प्राथमिकी में पाया गया कि हेलीबुरिया टी एस्टेट्स लिमिटेड और शेल्जी जॉर्ज ने चाय बोर्ड द्वारा आयोजित ई-नीलामी में हेरफेर करने की साजिश रची थी। उन्होंने फर्जी कंपनियों के माध्यम से चाय की कीमतें बढ़ा दीं, जिससे SUPPLYCO को ₹8.91 करोड़ का नुकसान हुआ।
कामाख्या देबोत्तर बोर्ड:
कामाख्या देबोत्तर बोर्ड असम के गुवाहाटी में स्थित भारत के सबसे प्रतिष्ठित शक्तिपीठों में से एक, कामाख्या मंदिर के प्रबंधन के लिए गठित एक प्रशासनिक निकाय था। इसका मुख्य उद्देश्य मंदिर के सुचारू संचालन, वित्तीय प्रबंधन और धार्मिक अनुष्ठानों की देखरेख करना था।
बोर्ड की प्रमुख जिम्मेदारियां:
मंदिर प्रबंधन: दैनिक पूजा, त्योहारों और मंदिर परिसर के रखरखाव की निगरानी।
वित्तीय प्रशासन: दान, चढ़ावे और अन्य आय स्रोतों का प्रबंधन।
संपत्ति प्रबंधन: मंदिर की अचल संपत्तियों, निधियों और अन्य संसाधनों की देखरेख।
बोर्ड का पतन और भंग होना:
समय के साथ बोर्ड पर वित्तीय कुप्रबंधन, भ्रष्टाचार और प्रशासनिक अक्षमता के आरोप लगते रहे। मंदिर निधियों के दुरुपयोग, दान राशि की हेराफेरी और संदेहास्पद खर्चों को लेकर गंभीर चिंताएँ उठीं। जनता और कानूनी दबाव के चलते अंततः कामाख्या देबोत्तर बोर्ड को भंग कर दिया गया और मंदिर का प्रबंधन “मां कामाख्या देवालय” नामक एक नए निकाय को सौंप दिया गया, जिसे पारदर्शिता और जवाबदेही बहाल करने के उद्देश्य से गठित किया गया था।
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