संसद की संयुक्त संसदीय समिति JPC में वक्फ बिल पर जोरदार हंगामा हुआ। यह हंगामा तब हुआ जब भाजपा सांसद निशिकांत दुबे ने विपक्षी दलों के व्यवहार पर कड़ी प्रतिक्रिया दी। दुबे ने कहा, “मैंने कभी विपक्ष को रोकने की कोशिश नहीं की, लेकिन आज जिस तरह से मुझे बोलने का मौका नहीं दिया गया और बदतमीजी की गई, वह अस्वीकार्य है।”
इस हंगामे के बीच, समिति ने वक्फ संपत्तियों की स्थिति पर कुछ राज्यों, जैसे कर्नाटका, राजस्थान और मध्य प्रदेश, से प्राप्त जानकारी को असंतोषजनक बताया। समिति के अध्यक्ष और भाजपा सांसद जगदंबिका पाल ने स्पष्ट किया कि इन राज्यों के प्रतिनिधियों को 15 दिन का समय दिया गया है ताकि वे अपना जवाब प्रस्तुत कर सकें। यदि आवश्यक हुआ तो इन राज्यों के प्रतिनिधियों को दोबारा भी बुलाया जा सकता है। समिति ने इन राज्यों से वक्फ संपत्तियों के पंजीकरण, उनकी प्रकृति (वक्फ बाय यूज़र या वक्फ बाय डीड), इन संपत्तियों से उत्पन्न होने वाली आय और संपत्तियों की प्रकृति में बदलाव के बारे में विस्तृत जानकारी मांगी थी।
इससे पहले, 8 अगस्त को वक्फ संशोधन विधेयक लोकसभा में पेश किया गया था, जिसके बाद इस समिति का गठन किया गया था। विपक्षी दलों ने इस विधेयक में प्रस्तावित संशोधनों पर कड़ी आपत्ति जताई थी और इसे मुस्लिम समुदाय के धार्मिक अधिकारों का उल्लंघन बताया था। वहीं, सत्तारूढ़ भाजपा का कहना है कि इस संशोधन से वक्फ बोर्ड की कार्यप्रणाली में पारदर्शिता आएगी और उन्हें जवाबदेह बनाया जाएगा।
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विधेयक को लेकर जारी यह विवाद अब भी थमता हुआ नहीं दिखाई दे रहा है, और राजनीतिक हलकों में इसे लेकर लगातार बयानबाजी जारी है।