देहरादून के अंकिता भंडारी हत्याकांड मामले में उत्तराखंड की एक अदालत ने शुक्रवार को पौड़ी जिले में 2022 में हुई 19 वर्षीय रिसेप्शनिस्ट की हत्या के मामले में तीनों आरोपियों को दोषी करार दिया।
ऋषिकेश के पास स्थित वनंतर रिसॉर्ट के मालिक पुलकित आर्य और उसके दो कर्मचारी सौरभ भास्कर और अंकित गुप्ता को अंकिता भंडारी की हत्या का दोषी पाया गया है। अंकिता की हत्या 18 सितंबर 2022 को की गई थी।
एक ऐतिहासिक फैसले में, जिसने उत्तराखंड को झकझोर देने वाले और देशभर में आक्रोश फैलाने वाले एक सनसनीखेज मामले में आंशिक न्याय की उम्मीद जगाई है, पौड़ी जिले के कोटद्वार की अदालत ने 19 वर्षीय रिसेप्शनिस्ट अंकिता भंडारी की निर्मम हत्या के मामले में तीन दोषियों, पुलकित आर्य, सौरभ भास्कर और अंकित गुप्ता को आजीवन कठोर कारावास की सजा सुनाई है।
अपर जिला एवं सत्र न्यायाधीश रीना नेगी द्वारा दिया गया यह फैसला लगभग तीन साल लंबी कानूनी लड़ाई का परिणाम है, जिसमें राजनीतिक प्रभाव, दुर्व्यवहार और प्रारंभिक जांच में प्रणालीगत विफलताओं के आरोप सामने आए थे। अदालत ने प्रत्येक आरोपी पर 50,000 का जुर्माना भी लगाया और अंकिता के परिजनों को ₹4 लाख का मुआवजा देने का आदेश दिया।
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कब क्या हुआ?
अंकिता भंडारी, पौड़ी गढ़वाल के डोभ श्रीकोट की निवासी, यमकेश्वर स्थित वनंतर रिज़ॉर्ट में रिसेप्शनिस्ट के रूप में कार्यरत थीं। यह रिज़ॉर्ट पुलकित आर्य के स्वामित्व में था, जो कि भाजपा के पूर्व राज्य मंत्री विनोद आर्य का बेटा है।
18 सितंबर 2022 की रात अंकिता का अपने मालिक पुलकित और दो अन्य कर्मचारियों सौरभ भास्कर (मैनेजर) और अंकित गुप्ता (सहायक मैनेजर) से कथित तौर पर तीखा विवाद हुआ। अभियोजन के अनुसार, अंकिता पर एक VIP गेस्ट को ‘विशेष सेवाएं’ देने का दबाव बनाया जा रहा था, जिसका उसने विरोध किया था। इस बात की जानकारी उसने अपने दोस्तों और एक पूर्व सहयोगी को भी दी थी।
उसी रात तीनों आरोपियों ने अंकिता को ऋषिकेश के पास चिल्ला नहर में धक्का दे दिया, जिससे उसकी मौत हो गई।
उसका शव छह दिन बाद 24 सितंबर 2022 को बरामद हुआ, जिस पर कई चोटों के निशान थे, जिसने जनता के आक्रोश को और भड़का दिया।
राजनीतिक प्रभाव और देशव्यापी आक्रोश
यह मामला इसलिए भी सुर्खियों में रहा क्योंकि मुख्य आरोपी पुलकित आर्य का संबंध सत्ता पक्ष के प्रभावशाली परिवार से था। पुलकित के पिता विनोद आर्य उस समय त्रिवेंद्र सिंह रावत सरकार में राज्य मंत्री रह चुके थे और उसका भाई अनिकेत आर्य, उत्तराखंड ओबीसी आयोग का उपाध्यक्ष था।
घटना के बाद दोनों को भाजपा से निष्कासित कर दिया गया। इस घटना ने कार्यस्थलों पर महिलाओं की सुरक्षा और राजनीतिक हस्तक्षेप को लेकर कई सवाल खड़े कर दिए।
जांच में लापरवाही और जनता का गुस्सा
अंकिता की गुमशुदगी की सूचना 19 सितंबर 2022 को पुलकित ने खुद राजस्व पुलिस को दी थी, लेकिन वहां तैनात अधिकारी वैभव प्रताप ने कोई त्वरित कार्रवाई नहीं की और छुट्टी पर चले गए। इस वजह से मामला 22 सितंबर को रेगुलर पुलिस के पास ट्रांसफर हुआ। अंकिता के पिता वीरेंद्र सिंह भंडारी को शिकायत दर्ज कराने के लिए कई थानों के चक्कर लगाने पड़े, लेकिन कोई मदद नहीं मिली।
इस बीच रिज़ॉर्ट का एक हिस्सा जिला प्रशासन द्वारा ध्वस्त कर दिया गया, जिससे सबूत नष्ट करने के आरोप लगे।
JCB चालक ने अदालत में गवाही दी कि 23 सितंबर को उसे दो बार बुलाकर गेट, बाउंड्री वॉल और दो कमरे गिराने के आदेश दिए गए, जो कथित तौर पर भाजपा विधायक रेनू बिष्ट और तत्कालीन SDM प्रमोद कुमार के निर्देश पर था।
इस मामले ने उत्तराखंड में बड़े पैमाने पर विरोध प्रदर्शन को जन्म दिया। ऋषिकेश-बद्रीनाथ हाईवे को जाम किया गया और रिज़ॉर्ट के हिस्सों में आगजनी की गई।
जनता ने CBI जांच की मांग की, क्योंकि उन्हें राज्य की SIT (विशेष जांच टीम) पर भरोसा नहीं था। SIT ने दिसंबर 2022 में 500 पन्नों की चार्जशीट दाखिल की, जिसमें 100 गवाहों की गवाही और 30 से अधिक दस्तावेजी साक्ष्य शामिल थे।
फिर भी, अंकिता के माता-पिता, कांग्रेस पार्टी और ‘जस्टिस फॉर अंकिता’ समिति ने जांच में प्रभावशाली लोगों को बचाने का आरोप लगाया।