प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी लोकसभा में राष्ट्रपति के अभिभाषण पर धन्यवाद प्रस्ताव पर हुई चर्चा का जवाब दिया. पीएम मोदी ने 14वीं बार राष्ट्रपति के अभिभाषण पर हुई चर्चा में यहां बैठकर शामिल होने को अपना सौभाग्य बताया और इसके लिए जनता का आभार प्रकट किया. प्रधानमंत्री ने कहा कि हमारी सरकार ने नारे नहीं दिए, गरीबों की सच्ची सेवा की. पांच-पांच दशक तक झूठे नारे दिए गए. मिडिल क्लास के सपने ऐसे ही नहीं समझे जाते. इसे समझने के लिए जज्बा चाहिए.
गरीबों की बात बोरिंग ही लगेगी
हमारा फोकस तो हर घर नल से जल पहुंचाने पर है. 12 करोड़ लोगों को नल से जल दिया. हमारा फोकस गरीबों के घर बनाने पर है. जो लोग गरीबों की झोपड़ी में फोटो सेशन कराते हैं, उनको गरीबों की बात बोरिंग ही लगेगी.
हमारे देश में एक प्रधानमंत्री हुआ करते थे, उनको मिस्टर क्लीन कहने का फैशन हो गया था. उन्होंने एक समस्या को पहचाना था और कहा था कि दिल्ली से एक रुपया निकलता है तो गांव में 15 पैसा पहुंचता है. उस समय तक तो पंचायत से पार्लियामेंट तक एक ही पार्टी का राज था. उन्होंने सार्वजनिक रूप से ये कहा था. बहुत गजब की हाथ सफाई थी.
प्रधानमंत्री ने कहा कि जब ज्यादा बुखार चढ़ जाता है तब भी लोग बोलते हैं और ज्यादा हताशा में भी. 10 करोड़ लोग जिनका भारत में जन्म भी नहीं हुआ, वे योजनाओं का फायदा ले रहे थे. हमने इनको हटाया और असली लाभार्थियों को खोज-खोज के लाभ पहुंचाने का अभियान चलाया. हिसाब लगाएं तो तीन लाख करोड़ रुपये गलत हाथों में जाने से बच गया. हाथ किसका था, नहीं कह रहा.
पीएम मोदी ने कहा कि एक प्रधानमंत्री रट गए थे इक्कीसवीं सदी, इक्कीसवीं सदी. आरके लक्ष्मण ने एक कार्टून बनाया था, एक हवाई जहाज था, एक पायलट था और 21वीं सदी लिखा था. ये हवाई जहाज एक ठेले पर रखा हुआ था और मजदूर उसे धक्का लगा रहे थे. ये कार्टून बताता है कि तब के प्रधानमंत्री कितने कटे हुए थे.
प्रधानमंत्री ने कहा कि दिल्ली में कुछ परिवार ऐसे हैं जिन्होंने परिवार के म्यूजियम बना रखे थे. हमने पीएम म्यूजियम बनाया है. हम संविधान को सर्वोपरि रखते हैं, जहर की राजनीति नहीं करते हैं. हम स्टैच्यू ऑफ यूनिटी बनाते हैं.
राहुल गांधी के इंडियन स्टेट वाले बयान पर पीएम मोदी का वार
पीएम मोदी ने कहा कि ये देश का दुर्भाग्य की बात है कि कुछ लोग अर्बन नक्सल की भाषा बोलते हैं. इंडियन स्टेट के खिलाफ लड़ाई की घोषणा करने वाले न संविधान की भावना को समझ सकते हैं न देश की एकता को समझ सकते हैं.
देशवासियों के सामने सवाल रखना चाहता हूं, जरूर चिंतन करेंगे और चौराहे पर चर्चा करेंगे. कोई बताए कि क्या एक ही समय में संसद में एससी वर्ग के एक ही परिवार के तीन सांसद कभी हुए हैं क्या. दूसरा सवाल पूछता हूं, कोई बताए कि क्या एक ही कालखंड में संसद में एसटी वर्ग के एक ही परिवार के तीन एमपी हुए हैं क्या.
विदेश नीति की चर्चा नहीं करेंगे तो मैच्योर नहीं लगेंगे
कुछ लोगों को लगता है कि विदेश नीति की चर्चा नहीं करेंगे तो मैच्योर नहीं लगेंगे. भले ही देश का नुकसान हो जाए. अगर वास्तव में रुचि है तो एक किताब जरूर पढ़ें. इस किताब में जॉन एफ कैनेडी और पंडित नेहरू के बीच हुई बातचीत का विस्तार से जिक्र है. जब देश चुनौतियों से जूझ रहा था तब विदेश नीति के नाम पर क्या खेल हो रहा था, इस किताब के माध्यम से अब सामने आ रहा है.
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सोनिया गांधी पर हमला बोलते हुए कहा कि राष्ट्रपति के अभिभाषण के बाद एक महिला राष्ट्रपति, एक गरीब परिवार की बेटी का सम्मान न कर सके, आपकी मर्जी लेकिन क्या क्या कहकर उनको अपमानित किया जा रहा है. राजनीति, हताशा, निराशा समझ सकता हूं.