बिहार के पटना साहिब से सांसद और बीजेपी नेता रविशंकर प्रसाद ने राष्ट्रपति महोदया के अभिभाषण के बाद विपक्ष की ओर से की गई आलोचनाओं पर कड़ी प्रतिक्रिया व्यक्त की। उन्होंने कहा कि राष्ट्रपति महोदया ने पद की गरिमा को बढ़ाया है और उनके अभिभाषण के बाद विपक्ष की एक बड़ी पार्टी की प्रमुख नेता ने जो बयान दिया, उसे उन्होंने बेहद दुर्भाग्यपूर्ण और अपमानजनक बताया। उन्होंने विशेष रूप से ‘पुअर लेडी’ शब्द का उल्लेख करते हुए इसकी निंदा की और कहा कि यह बयान राजनीति में मर्यादा की कमी को दर्शाता है।
राष्ट्रपति के अभिभाषण पर विपक्ष की प्रतिक्रिया
रविशंकर प्रसाद ने कहा कि राष्ट्रपति के अभिभाषण के बाद विपक्ष की ओर से जिस तरह के बयान आए, वह दुखद है। उन्होंने ‘पुअर लेडी’ शब्द का विरोध करते हुए कहा कि यह शब्द न केवल अपमानजनक है बल्कि राष्ट्रपति पद की गरिमा को भी ठेस पहुंचाने वाला है। उन्होंने विपक्ष से यील्ड करने की मांग की, लेकिन यील्ड करने से इनकार करते हुए राष्ट्रपति भवन की ओर से जारी बयान को भी सदन में पढ़ा और विपक्ष की आलोचना की।
भारत के पहले राष्ट्रपति राजेंद्र प्रसाद पर टिप्पणी
रविशंकर प्रसाद ने भारत के पहले राष्ट्रपति डॉ. राजेंद्र प्रसाद का उदाहरण देते हुए बताया कि किस तरह उन्हें कभी राष्ट्रपति बनने का अवसर नहीं दिया गया। उन्होंने बताया कि पंडित नेहरू खुद राजेंद्र प्रसाद को राष्ट्रपति बनाना नहीं चाहते थे, जबकि राजेंद्र प्रसाद ने गांधी जी के आह्वान पर अपनी वकालत की नौकरी छोड़ दी थी। उन्होंने कहा कि इस परिवार को यह समझना चाहिए कि देश पर राज करना कोई ‘इनटाइटलमेंट’ नहीं है, बल्कि यह एक सम्मान की बात है।
इमरजेंसी और विपक्षी सरकार की आलोचना
रविशंकर प्रसाद ने इमरजेंसी की घटना का भी उल्लेख किया और कहा कि इमरजेंसी को बगैर कैबिनेट अप्रूवल के लागू किया गया था। उन्होंने यह भी कहा कि जब ज्ञानी जैल सिंह राष्ट्रपति थे, तब राजीव गांधी सरकार के साथ उनका व्यवहार किसी से छिपा नहीं है। प्रसाद ने यह भी आरोप लगाया कि अगर विपक्ष का बस चलता तो प्रणब मुखर्जी को राष्ट्रपति नहीं बनने दिया जाता। उन्होंने यह कहा कि हमारी सरकार ने प्रणब मुखर्जी के साथ सम्मानपूर्वक काम किया।
हिंदुस्तान कभी सनातन धर्म का अपमान सहन नहीं करेगा
रविशंकर प्रसाद ने कुंभ मेले में हुए हादसे पर दुख व्यक्त करते हुए कहा कि जांच चल रही है और उन्होंने संभावित साजिश की ओर इशारा किया। उन्होंने कहा कि सनातन धर्म को कमजोर करने का कोई भी प्रयास सफल नहीं होगा। “हिंदुस्तान कभी सनातन धर्म का अपमान सहन नहीं करेगा,” रविशंकर प्रसाद ने कहा। उन्होंने यह भी बताया कि कुंभ में अब तक 35 करोड़ से अधिक श्रद्धालुओं ने स्नान किया है, जो भारत की धार्मिक विविधता और श्रद्धा को दर्शाता है।
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रविशंकर प्रसाद ने अपने बयान में विपक्ष पर जोरदार हमला किया और राष्ट्रपति के पद की गरिमा को बचाने की आवश्यकता पर बल दिया। उन्होंने इतिहास के संदर्भ में विपक्षी दलों के व्यवहार की आलोचना करते हुए यह स्पष्ट किया कि भारतीय राजनीति में सम्मान और मर्यादा की आवश्यकता है। साथ ही, सनातन धर्म और कुंभ मेले की स्थिति पर भी अपनी टिप्पणियाँ दीं, यह संकेत देते हुए कि देश की सांस्कृतिक धरोहर को किसी भी तरह से कमजोर करने का प्रयास सफल नहीं होगा।