CAG रिपोर्ट: नियंत्रक और महालेखा परीक्षक (CAG) की ताजा रिपोर्ट में दिल्ली की शराब नीति से जुड़े नियमों में गंभीर खामियों का खुलासा हुआ है। रिपोर्ट के अनुसार, दिल्ली सरकार को करीब ₹2,026.91 करोड़ का नुकसान हुआ, क्योंकि आबकारी विभाग की नीतियों और उनके क्रियान्वयन में पारदर्शिता की कमी रही।
दिल्ली सरकार का कुल कर राजस्व का लगभग 14% आबकारी विभाग से आता है, जो शराब और नशीले पदार्थों के व्यापार को नियंत्रित और विनियमित करता है। 1 जुलाई 2017 से जीएसटी लागू होने के बाद, शराब ही एकमात्र ऐसा उत्पाद था जिस पर उत्पाद शुल्क लागू रहा, और इस प्रकार आबकारी विभाग का मुख्य राजस्व शराब की बिक्री से आता है।
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कैसे हुआ यह घाटा?
CAG रिपोर्ट में बताया गया है कि शराब नीति में कई अनियमितताएं और लापरवाह फैसले लिए गए, जिससे दिल्ली सरकार को भारी वित्तीय नुकसान हुआ। इनमें से कुछ प्रमुख कारणों में शामिल हैं:
- 941.53 करोड़ का नुकसान – कई जगहों पर खुदरा शराब की दुकानें नहीं खोली जा सकीं।
- 890 करोड़ का घाटा – सरेंडर किए गए लाइसेंसों को दोबारा नीलाम करने में सरकार नाकाम रही।
- 144 करोड़ की छूट – कोविड-19 के दौरान शराब कारोबारियों को दी गई छूट।
- 27 करोड़ का नुकसान – शराब कारोबारियों से उचित सुरक्षा जमा राशि नहीं ली गई।
शराब आपूर्ति और वितरण प्रणाली में खामियां
शराब की आपूर्ति प्रणाली में कई पक्ष शामिल हैं, जैसे निर्माता, गोदाम, सरकारी और निजी शराब की दुकानें, होटल, क्लब, और रेस्तरां। CAG रिपोर्ट के अनुसार, आबकारी विभाग विभिन्न मदों से राजस्व एकत्र करता है, जैसे उत्पाद शुल्क, लाइसेंस शुल्क, परमिट शुल्क, और आयात/निर्यात शुल्क।
लाइसेंस जारी करने में गड़बड़ियां
CAG रिपोर्ट में पाया गया कि आबकारी विभाग ने लाइसेंस जारी करते समय कई नियमों का उल्लंघन किया। दिल्ली आबकारी नियम, 2010 के अनुसार एक ही व्यक्ति या कंपनी को विभिन्न प्रकार के लाइसेंस (जैसे थोक, खुदरा, होटल-रेस्तरां) नहीं दिए जा सकते थे, लेकिन जांच में पाया गया कि कुछ कंपनियों को एक साथ कई प्रकार के लाइसेंस दिए गए।
मूल्य निर्धारण में अनियमितताएं
रिपोर्ट में यह भी खुलासा हुआ कि थोक विक्रेताओं को शराब की कीमत तय करने की स्वतंत्रता दी गई, जिससे कीमतों में हेरफेर किया गया। इससे सरकार को उत्पाद शुल्क के रूप में नुकसान हुआ। जांच में यह भी पाया गया कि कई मामलों में कीमतों की जांच नहीं की गई, जिससे मुनाफाखोरी और कर चोरी की संभावना बनी रही।
शराब की गुणवत्ता और सुरक्षा के मुद्दे
दिल्ली में बिकने वाली शराब की गुणवत्ता सुनिश्चित करना आबकारी विभाग की जिम्मेदारी है। हालांकि, रिपोर्ट में पाया गया कि कई लाइसेंस धारकों ने आवश्यक गुणवत्ता जांच रिपोर्ट नहीं सौंपी। 51% मामलों में विदेशी शराब की टेस्ट रिपोर्ट या तो एक साल से पुरानी थी या फिर उपलब्ध ही नहीं थी।
आबकारी विभाग के खुफिया तंत्र की कमजोरी
रिपोर्ट में यह भी बताया गया कि आबकारी विभाग के खुफिया तंत्र की भूमिका कमजोर रही, खासकर शराब तस्करी और अवैध आपूर्ति को रोकने में। 65% जब्त की गई शराब देसी शराब थी, जिससे यह संकेत मिलता है कि अवैध शराब का व्यापार बड़े पैमाने पर हो रहा था।
कैबिनेट की मंजूरी के बिना नीति में बदलाव
नई आबकारी नीति 2021-22 में भी कई खामियां पाई गईं। सरकार ने निजी कंपनियों को थोक व्यापार का लाइसेंस देने का निर्णय लिया, जिससे सरकारी कंपनियों को बाहर कर दिया गया। कैबिनेट की मंजूरी के बिना नीति में महत्वपूर्ण बदलाव किए गए, जिससे सरकारी खजाने को नुकसान हुआ। इस नीति के कारण सरकार को ₹2,002 करोड़ का नुकसान हुआ।
CAG के सुझाव और आगे की दिशा
CAG ने अपनी रिपोर्ट में सरकार से लाइसेंस प्रक्रिया को पारदर्शी बनाने, कीमतों के निर्धारण में पारदर्शिता सुनिश्चित करने, शराब की गुणवत्ता नियंत्रण को सख्त करने और तस्करी को रोकने के लिए आधुनिक तकनीक का उपयोग करने की सिफारिश की है। इसके साथ ही, सरकार को हुए वित्तीय नुकसान की जिम्मेदारी तय करने और नई नीति में सुधार करने की सलाह दी गई है।
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CAG की रिपोर्ट ने दिल्ली की आबकारी नीति और इसके कार्यान्वयन में गंभीर खामियां उजागर की हैं, जिससे दिल्ली सरकार को भारी वित्तीय नुकसान हुआ है। अब यह देखना होगा कि दिल्ली सरकार इन सिफारिशों पर कैसे अमल करती है और सुधारात्मक कदम उठाती है।