कांग्रेस ने दिल्ली की आम आदमी पार्टी सरकार में हुए शराब घोटाले में भाजपा के भी शामिल होने ओर कैग की रिपोर्ट में कई महत्वपूर्ण सवाल नजरअंदाज करने का आरोप लगाते हुए व्यापक जांच की मांग की है।
नई दिल्ली स्थित कांग्रेस कार्यालय में पत्रकार वार्ता करते हुए दिल्ली प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष देवेंद्र यादव और पार्टी के वरिष्ठ नेता संदीप दीक्षित ने मांग की कि शराब घोटाले की जांच का दायरा व्यापक किया जाए। कांग्रेस द्वारा भाजपा के खिलाफ दी गई लिखित शिकायत की भी जांच हो। इसी के साथ शराब घोटाले को लेकर सार्वजनिक मंच पर चर्चा की जाए। कांग्रेस नेताओं ने कैग रिपोर्ट की जांच के लिए पीएसी के जल्द गठन की मांग पर जोर दिया।
देवेंद्र यादव ने कहा कि विधानसभा में शराब नीति से जुड़ी कैग की रिपोर्ट पेश की गई। कांग्रेस को पहले से संदेह था कि इस नीति में बहुत सारी अनियमितताएं हैं, जिससे सरकार के राजस्व पर असर पड़ने वाला है। दिल्ली प्रदेश कांग्रेस कमेटी ने जांच एजेंसियों को शराब नीति से जुड़ी लिखित शिकायत भी दी थी, जिसमें भाजपा के संलिप्त होने के भी सबूत थे।
कैग रिपोर्ट पर सवाल उठाते हुए देवेंद्र यादव ने कहा, भाजपा के बड़े नेताओं और तत्कालीन उप-राज्यपाल की भूमिका से जुड़े कुछ महत्वपूर्ण सवाल हैं, जो इस कैग रिपोर्ट में नजरअंदाज कर दिए गए। कैग की रिपोर्ट में कई अनसुलझे प्रश्न हैं, जिनमें प्रमुख हैं कि एक साल के अंदर तीन आबकारी निदेशकों को बदलने का निर्णय क्यों और किसने लिया। दिल्ली में शराब के नए ब्रांड्स को बढ़ावा दिए जाने पर कोई जांच क्यों नहीं हुई।
केजरीवाल सरकार की शराब नीति को लागू करने की अनुमति तत्कालीन उपराज्यपाल ने दी थी, आज तक इसपर कोई जांच क्यों नहीं हुई। उन्होंने सवाल किया कि मास्टर प्लान का उल्लंघन कर, शराब के ठेके खोलने के लाइसेंस कैसे दिए गए। कॉर्पोरेशन की अनुमति के बिना, शराब के ठेके नहीं खोले जा सकते और उस समय एमसीडी में भाजपा का राज था।
जिन शराब की कंपनियों को ठेके मिले, उन्होंने भाजपा और आम आदमी पार्टी को इलेक्टोरल बॉन्ड के जरिए पैसे दिए। इन सभी सवालों की जांच होनी चाहिए। देवेंद्र यादव ने कैग रिपोर्ट को लूट, झूठ और फूट का कच्चा चिट्ठा बताया। उन्होंने कहा, कैग रिपोर्ट में सामने आया है कि दिल्ली की जनता से टैक्स के रूप में वसूली गई उसकी मेहनत की कमाई को लुटाया गया।
आम आदमी पार्टी की सरकार लगातार झूठ बोलती रही कि सरकार के राजस्व को बढ़ाया जा रहा है, लेकिन सच यह है कि विशेषज्ञ समिति की सिफारिशों को नजरअंदाज करते हुए 2002 करोड़ रूपये की लूट को अंजाम दिया गया। यह आम आदमी पार्टी और भाजपा की आपसी मिलीभगत का ही नतीजा है कि कैग रिपोर्ट पर विधानसभा में चर्चा नहीं हो पा रही है। दोनों पार्टियां इस पर चर्चा करने से बचती दिख रही हैं।
देवेंद्र यादव ने कहा, कांग्रेस चाहती है कि कैग रिपोर्ट की पीएसी में जांच हो और जो भी लोग लूट में शामिल थे, उन्हें सजा मिले। उन्होंने जल्द से जल्द पीएसी यानी लोक लेखा समिति के गठन की मांग की, और कहा कि पारंपरिक रूप से पीएसी की अध्यक्षता विपक्ष के नेता ही करते हैं, लेकिन दिल्ली में सत्ताधारी दल का व्यक्ति ही इसकी अध्यक्षता करता आया है। तो कई ऐसे पहलू हैं, जो इसकी चर्चा में नहीं आ पाएंगे। इसलिए इस कैग रिपोर्ट और आने वाली रिपोर्ट्स पर सार्वजनिक मंच पर भी चर्चा होनी चाहिए।
वहीं संदीप दीक्षित ने कहा कि कैग रिपोर्ट में कहा गया कि शराब नीति जिस मंशा के साथ बनाने की बात हुई थी, उसे बार-बार बदला गया। शुरू में अधिक से अधिक लोगों की भागीदारी की बात की गई थी, लेकिन जहां पहले 77 लोगों की भागीदारी थी, वह बाद में घटकर 14 हो गई। यह 14 ऐसी संस्थाएं हैं, जो आपस में संबंध रखती हैं। कुछ देश के ऐसे हिस्सों से आती हैं, जहां के राजनेता या उनके परिवार के लोग आम आदमी पार्टी की सरकार के साथ संबंध बनाकर चलते हैं।
इसलिए संदेह की स्थिति बनती है और इस पर गहराई से चर्चा होनी चाहिए। उन्होंने कहा, आम आदमी पार्टी बार-बार कहती थी कि दिल्ली में 30-40 प्रतिशत से ऊपर शराब बिकती है, लेकिन उसकी सरकार ने प्रति बोतल आबकारी शुल्क न लगाकर 30-40 प्रतिशत की चोरी को कानूनी वैधता दे दी।
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संदीप दीक्षित ने कहा कि दिल्ली में नई आबकारी नीति के तहत कुछ ऐसे ब्रांड्स को प्रमोट किया गया, जिन्हें एनसीआर में पसंद नहीं किया जाता। इसके अलावा, दिल्ली में कई ब्रांड्स को दबाया भी गया। सरकार की तरफ से बाजार प्रतिस्पर्धा में ऐसा करना भ्रष्ट आचरण के अंतर्गत आता है। दिल्ली में उन ब्रांड्स को प्रमोट किया गया, जिनके कारखाने पंजाब में थे और जहां आम आदमी पार्टी की सरकार है। इस मामले में भी आपराधिक जांच की जानी चाहिए।