पाकिस्तानी महिला से शादी के चलते सीआरपीएफ से बर्खास्त किए गए जवान मुनीर अहमद ने अपने ऊपर लगे आरोपों पर चुप्पी तोड़ते हुए कहा है कि उन्होंने विभाग को शादी की पूरी जानकारी समय रहते दे दी थी। न्यूज एजेंसी ANI से बातचीत में मुनीर अहमद ने दावा किया कि उन्होंने 2022 में ही अधिकारियों से शादी की अनुमति मांगी थी, लेकिन अनुमति में देरी के कारण उन्होंने मई 2024 में वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए शादी कर ली।
जम्मू-कश्मीर निवासी मुनीर अहमद ने बताया कि उन्होंने पाकिस्तान के सियालकोट की रहने वाली मीनल से निकाह किया है, जो उनकी ममेरी बहन हैं। उन्होंने बताया कि उनके परिवारों के बीच यह रिश्ता बचपन में ही तय हो गया था। बंटवारे से पहले दोनों परिवार जम्मू-कश्मीर में ही रहते थे। उन्होंने कहा, “मीनल मेरे मामा की बेटी हैं, हमारे रिश्ते को पारिवारिक मंजूरी मिली हुई थी।”
शादी से पहले विभाग को दी थी जानकारी
मुनीर के मुताबिक, उन्होंने 31 दिसंबर 2022 को विभाग को एक पत्र भेजकर शादी की अनुमति मांगी थी। इसके जवाब में 24 जनवरी 2023 को विभाग ने कुछ और जानकारियाँ मांगी जैसे कि शादी की तारीख और स्थान। उन्होंने दोबारा पत्र भेजकर पूरी जानकारी साझा की। यह पत्र सीआरपीएफ के जम्मू रेंज DIG से होते हुए दिल्ली मुख्यालय तक गया। करीब पांच महीने बाद उन्हें एक जवाब मिला, जिसमें सिर्फ यही लिखा था कि जवान ने शादी के बारे में विभाग को सूचित किया है।
पारिवारिक मजबूरी और वीज़ा में अड़चन
मुनीर अहमद ने बताया कि उनके पिता कैंसर के मरीज हैं और वहीं मीनल को भारत का वीज़ा नहीं मिल रहा था। दोनों परिवारों ने तय किया कि शादी को आगे टालने का कोई मतलब नहीं है। ऐसे में मई 2024 में वीडियो कॉल के जरिए शादी संपन्न कर दी गई। मीनल को बाद में 28 फरवरी 2025 को भारत आने का वीजा मिला। इसके तुरंत बाद लॉन्ग टर्म वीज़ा (LTV) के लिए आवेदन किया गया और संबंधित अधिकारियों को इसकी सूचना भी दी गई।
“मीडिया से पता चला बर्खास्तगी का”
मुनीर अहमद ने कहा कि उन्हें सीआरपीएफ से बर्खास्त किए जाने की जानकारी मीडिया रिपोर्टों के जरिए मिली। बाद में उन्हें विभाग से एक औपचारिक पत्र मिला जिसमें उनकी बर्खास्तगी की पुष्टि की गई थी। उन्होंने कहा, “यह मेरे और मेरे परिवार के लिए बड़ा झटका था क्योंकि मैंने हर जरूरी सूचना समय पर विभाग को दी थी।”
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मुनीर के इस बयान से साफ है कि उन्होंने विभागीय प्रक्रियाओं का पालन करने की कोशिश की, लेकिन अनुमति में हुई देरी और परिस्थितियों के चलते उन्हें यह कदम उठाना पड़ा। फिलहाल यह मामला चर्चा में बना हुआ है और इसकी गंभीरता को देखते हुए यह देखना होगा कि आगे विभागीय स्तर पर कोई पुनर्विचार होता है या नहीं।