यूपी पंचायत चुनाव: उत्तर प्रदेश में 2026 में प्रस्तावित पंचायत चुनावों को लेकर हलचल तेज हो गई है। राज्य निर्वाचन आयोग ने तैयारियों का आगाज़ कर दिया है और शासन स्तर पर भी गतिविधियां तेज़ हो गई हैं। माना जा रहा है कि यह चुनाव 2027 में होने वाले विधानसभा चुनावों का सेमीफाइनल साबित हो सकता है, इसलिए सभी राजनीतिक दल अभी से सक्रिय हो गए हैं।
गांवों का होगा परिसीमन
आगामी पंचायत चुनावों से पहले प्रदेश में ग्राम पंचायतों और राजस्व ग्रामों का परिसीमन शुरू हो चुका है। शासन ने जिलों को निर्देश दिए हैं कि वे अपने-अपने क्षेत्रों में आंशिक पुनर्गठन के प्रस्ताव 5 जून 2025 तक भेज दें। यह कवायद इसलिए ज़रूरी हो गई है क्योंकि पिछले पंचायत चुनाव के बाद कई ग्रामीण क्षेत्र नगर पंचायतों और नगर निगमों में शामिल हो चुके हैं। इससे पंचायतों की सीमाएं और संरचना प्रभावित हुई है।
चुनाव से पहले बदल जाएगी सियासी ज़मीन
ग्राम पंचायतों का नया नक्शा तैयार होने से सियासी गणित भी बदल सकता है। परिसीमन के बाद कुछ क्षेत्र पंचायतों से बाहर होंगे तो कुछ नए जुड़ेंगे। ऐसे में उम्मीदवारों की रणनीति और दलों की चुनावी तैयारी भी नए सिरे से करनी होगी।
ई-टेंडर के ज़रिए मतपेटिकाओं की खरीद
राज्य निर्वाचन आयोग ने 67 जिलों में मतपेटिकाओं की आपूर्ति के लिए ई-टेंडर प्रक्रिया शुरू कर दी है। ये टेंडर 75 जिलों में से पहले चरण के अंतर्गत जारी किए गए हैं। इस कदम से यह साफ है कि आयोग ने चुनावी तैयारियों को धरातल पर उतारना शुरू कर दिया है।
जनवरी-फरवरी 2026 में हो सकते हैं चुनाव
सूत्रों के अनुसार पंचायत चुनाव 2026 की शुरुआत यानी जनवरी या फरवरी में कराए जा सकते हैं। इसे लेकर समयसीमा तय करने और प्रक्रियाओं को व्यवस्थित करने का काम तेज़ी से चल रहा है।
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उत्तर प्रदेश में पंचायत चुनाव सिर्फ स्थानीय सरकार चुनने का माध्यम नहीं हैं, बल्कि यह राजनीतिक दलों के लिए एक बड़ी परीक्षा भी हैं। 2026 के पंचायत चुनाव, 2027 के विधानसभा चुनाव की दिशा तय कर सकते हैं। ऐसे में इन चुनावों को नजरअंदाज करना किसी भी राजनीतिक पार्टी के लिए जोखिम भरा हो सकता है। परिसीमन और तैयारी की मौजूदा प्रक्रिया आने वाले महीनों में प्रदेश की राजनीतिक तस्वीर को नया आकार दे सकती है।