उत्तर प्रदेश की राजनीति में एक बार फिर दिलचस्प मोड़ देखने को मिल रहा है। एनडीए की सहयोगी पार्टी अपना दल (एस) ने एलान किया है कि वह आगामी 2026 के यूपी पंचायत चुनाव में भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) के साथ गठबंधन नहीं करेगी। पार्टी प्रमुख और केंद्रीय मंत्री अनुप्रिया पटेल ने प्रयागराज में स्पष्ट शब्दों में कहा कि उनकी पार्टी प्रदेश की हर पंचायत सीट पर अकेले दम पर चुनाव लड़ेगी।
यह निर्णय ऐसे समय पर आया है जब केंद्र की मोदी सरकार में अनुप्रिया पटेल मंत्री हैं और उनके पति आशीष पटेल उत्तर प्रदेश की योगी सरकार में कैबिनेट मंत्री के रूप में कार्यरत हैं। इसके बावजूद, गांव की सियासत में अपना दल (एस) ने बीजेपी से सीधी टक्कर लेने का ऐलान कर दिया है।
अनुप्रिया पटेल का बड़ा एलान
प्रयागराज में पार्टी कार्यकर्ताओं को संबोधित करते हुए अनुप्रिया पटेल ने कहा: “ग्राम पंचायत से लेकर जिला पंचायत तक की हर सीट पर अपना दल (एस) अपने प्रत्याशी उतारेगा। गठबंधन को लेकर कोई बातचीत नहीं हुई है, और हमारे कार्यकर्ताओं को पूरा मौका मिलेगा चुनाव लड़ने का।”
इस बयान से यह साफ हो गया है कि 2026 के पंचायत चुनाव में अपना दल (एस) बीजेपी से अलग होकर स्वतंत्र रणनीति के तहत चुनावी मैदान में उतरेगा।
पार्टी की तैयारियों का खाका
- अपना दल (एस) पंचायत चुनाव के लिए बूथ स्तर पर कमेटियों को मजबूत कर रहा है।
- पार्टी के कार्यकर्ता ग्राम पंचायत, वार्ड सदस्य और जिला पंचायत सदस्य के पदों पर चुनाव लड़ने की तैयारी में जुटे हैं।
- संगठनात्मक स्तर पर ग्राम और तहसील स्तर पर बैठकों का दौर शुरू हो चुका है।
केंद्र और राज्य में साथ, गांव में अलग रास्ता
भले ही 2014 से अब तक लोकसभा और विधानसभा चुनावों में बीजेपी और अपना दल (एस) की साझेदारी ने अच्छा प्रदर्शन किया हो, लेकिन स्थानीय निकाय और पंचायत चुनावों में अपना दल (एस) ने हमेशा अलग राह चुनी है।
- 2021 के जिला पंचायत चुनावों में भी पार्टी ने अकेले चुनाव लड़ा था।
- शहरी निकायों में भी पार्टी का रुख स्वतंत्र रहा है।
इस बार भी यही रणनीति अपनाई जा रही है, जिससे साफ है कि अपना दल (एस) ग्रामीण राजनीति में अपनी स्वतंत्र पहचान मजबूत करना चाहता है।
क्या होगा असर?
- पंचायत चुनावों में अलग लड़ने का फैसला बीजेपी-अपना दल गठबंधन की ताकत पर असर डाल सकता है।
- यह कदम गांव स्तर पर नई सियासी जंग का संकेत भी है, जहां दोनों पार्टियों के उम्मीदवार आमने-सामने होंगे।
- 2026 के पंचायत चुनाव के नतीजे 2027 के विधानसभा चुनावों की दिशा भी तय कर सकते हैं।
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अनुप्रिया पटेल का यह कदम न सिर्फ पंचायत चुनाव में अपना दल (एस) की महत्वाकांक्षा को दर्शाता है, बल्कि यूपी की राजनीति में गठबंधन धर्म और जमीनी स्तर की रणनीति के बीच बढ़ते टकराव का भी संकेत है। अब देखना यह होगा कि क्या गांव की सियासत में यह ‘अलग राह’ पार्टी को मजबूती देगी या बीजेपी के साथ टकराव में नुकसानदायक साबित होगी।