Heatwave Alert!: देश के कई हिस्सों में तापमान 45 डिग्री सेल्सियस से ऊपर पहुंच चुका है, जिससे हीटवेव (लू) एक बड़ी समस्या बन चुकी है। हीटवेव से बचने के लिए बुनियादी ढांचे की कमी के कारण लाखों लोग मौत, हीटस्ट्रोक और डिहाइड्रेशन के खतरे में हैं। जैसे-जैसे जलवायु परिवर्तन, गर्मी को और अधिक गंभीर बना रहा है, ऐसे में भारत को तत्काल एक मजबूत, राष्ट्रव्यापी हीटवेव शमन ढांचे की स्थापना करनी होगी।
भारत एक हीटवेव हॉटस्पॉट बन चुका है
देश के 80% से अधिक हिस्सों में मार्च से जून के बीच अत्यधिक गर्मी पड़ती है। राजस्थान, उत्तर प्रदेश और मध्य प्रदेश जैसे राज्यों में तापमान लगातार 40 डिग्री सेल्सियस से ऊपर जाता है।
दिल्ली, अहमदाबाद और चेन्नई जैसे शहरी केंद्र ‘अर्बन हीट आइलैंड’ प्रभाव से झुलसते हैं, जहाँ कंक्रीट की भरमार गर्मी को और ज्यादा बढ़ा देती है। वहीं, ग्रामीण क्षेत्रों की अगर बात करें तो वहां भी हालात कुछ बेहतर नहीं हैं।

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भारतीय उष्णकटिबंधीय मौसम विज्ञान संस्थान (IITM) की 2023 की रिपोर्ट के अनुसार, 2050 तक हीटवेव की घटनाएं 30% और बढ़ जाएंगी। जिससे बुजुर्ग, बच्चे और गरीब तबके सबसे ज्यादा प्रभावित होंगे।
भारत की 40% से अधिक आबादी खुले में काम करने वाले लोगों की है, जैसे निर्माण मजदूर, किसान, ठेलेवाले, डिलीवरी पार्टनर और रिक्शा चालक।
2022 में हीटवेव के कारण भारत को लगभग 100 अरब डॉलर का उत्पादकता नुकसान हुआ। ILO के अनुसार, छोटे व्यापार और अनौपचारिक अर्थव्यवस्था इस असर से सबसे अधिक प्रभावित होते हैं।
कृषि उत्पादन गिरता है, और खाद्य सुरक्षा खतरे में पड़ जाती है। बिजली की मांग बढ़ने से ब्लैकआउट होते हैं, जिससे अस्पताल, स्कूल और अन्य संस्थान प्रभावित होते हैं।
2024 में दिल्ली में हीटवेव के कारण एक ही सप्ताह में 200 से अधिक मौतें हुईं, और अस्पतालों व शवगृहों की हालत बुरी हो गई थी। ये घटनाएं प्रणालीगत लापरवाही का संकेत हैं।

ये 5 कदम उठाने जरूरी…
1- कूलिंग सेंटर्स (Cooling Centres)
हर शहर, कस्बे और ग्रामीण क्षेत्र में ऐसे केंद्र बनाए जाएं जहां छांव, पानी, पंखे और प्राथमिक चिकित्सा उपलब्ध हो।
अहमदाबाद के शीतलन केंद्रों ने 2023 की हीटवेव के दौरान कई लोगों की जान बचाई। अब इसे देशभर में लागू करने की ज़रूरत है।
2- गर्मी-सहिष्णु शहरी नियोजन
- प्रतिबिंबित (reflective) छतें,
- हरा-भरा सार्वजनिक स्थान,
- और बेहतर वेंटिलेशन शहरों के तापमान को काफी हद तक घटा सकते हैं।
दिल्ली जैसे शहर, जहां पेड़ केवल 23% क्षेत्र में हैं, अभी भी वैश्विक मानकों से पीछे हैं।
3- सटीक और व्यापक अलर्ट प्रणाली
- गुजरात और ओडिशा में चल रही हीट अलर्ट प्रणाली को राष्ट्रीय स्तर पर लागू करना चाहिए।
- स्थानीय भाषाओं में जन जागरूकता अभियान,
- SMS और मोबाइल ऐप के ज़रिए गांवों तक अलर्ट पहुंचाना ज़रूरी है।
4- सस्ते कूलिंग सिस्टम
- सब्सिडी वाले पंखे,
- इवापोरेटिव कूलर,
- या सामुदायिक कूलिंग स्टेशन गरीब तबकों के लिए राहत साबित हो सकते हैं।
- 2021 की एक रिपोर्ट के अनुसार, भारत के 88% घरों में एयर कंडीशनिंग नहीं है।
5- स्वास्थ्य क्षेत्र की तैयारी
हीटवेव के समय के लिए विशेष प्रशिक्षण प्राप्त मेडिकल स्टाफ की मौजूदगी। पर्याप्त दवाइयां, ओआरएस, और IV फ्लूड्स की उपलब्धता और स्पष्ट चिकित्सा प्रोटोकॉल होने चाहिए।