रंगों का त्यौहार होली इस साल 25 मार्च को मनाई जाएगी। हिंदू पंचांग के अनुसार होली का पावन त्यौहार फाल्गुन महीने की पूर्णिमा को मनाया जाता है। लेकिन इस बार होली के दिन कुछ अलग भी होने वाला है। इस साल का पहला चंद्रग्रहण 25 मार्च को ही पड़ रहा है।
बता दें कि चंद्रग्रहण के दौरान सूतक लग जाता है और सभी धार्मिक और शुभ कार्यों पर रोक लग जाती है। चलिए जानते हैं इस साल कितने से कितने बजे तक सूतक काल यानी चंद्रग्रहण रहेगा।
इस साल का पहला चंद्रग्रहण 25 मार्च यानी होली के दिन लग रहा है। ज्योतिषों के अनुसार चंद्र ग्रहण सुबह 10:23 से शुरू होकर
दोपहर 03:01 तक रहेगा। इस बार चंद्र ग्रहण की कुल अवधि 4 घंटे 36 मिनट की रहेगी। चंद्र ग्रहण का परमग्रास दोपहर 12: 43 पर है। वहीं चंद्रमा शाम 06:44 पर उदय होगा। ये चंद्रग्रहण ये चंद्र ग्रहण उपच्छाया चंद्रग्रहण होगा।
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होली पर नहीं पड़ेगा कोई असर
खुशी की बात ये है कि ये चंद्रग्रहण भारत में नहीं दिखाई देगा जिसके कारण इसका होली के त्यौहार और होलिका दहन (Holika Dahan 2024) व धार्मिक कार्यों पर इसका प्रभाव नहीं पड़ेगा। भारत में चंद्रग्रहण नहीं दिखाई देने के कारण यहां सूतक भी मान्य नहीं होगा।
इन देशों में दिखाई देगा चंद्रग्रहण
भारत के अलावा ये चंद्रग्रहण को इंग्लैंड, आयरलैंड,स्पेन, पुर्तगाल, इटली, जर्मनी, फ्रांस, हालैंड, बेल्जियम, दक्षिण नॉर्वे, स्विटजरलैंड,
उत्तरी व दक्षिणी अमेरिका, जापान, रूस का पूर्वी भाग, और अफ्रीका में दिखाई देगा।
हालांकि इस चंद्रग्रहण का असर भारत में नहीं होगा लेकिन फिर भी धर्मशास्त्रों के अनुसार सूतक के समय सावधानी बरतनी बहुत जरूरी है। बतातें चलें कि चंद्रग्रहण के शुरू होने से नौ घंटे पहले सूतक काल लग जाता है। जिसमें हमारे शास्त्रों में शुभ कार्य निषेध बताए गए हैं।
सूतक काल में ना करें ये काम
सूतक काल शुरू होने से ग्रहण की समाप्ति तक किसी भी मंदिर में पूजा-पाठ वर्जित होती है। इस समय भगवान को स्पर्श भी नहीं किया जाता। इस समय में गर्भवती महिलाओं को कैंची, चाकू, मशीन, सुई वगैरह के इस्तेमाल से बचना चाहिए। इस समय खाना बनाने और खाने की भी मनाही होती है। हालांकि बुजुर्ग और प्रेगनेंट महिलाओं पर खाने को लेकर कोई मनाही नहीं होती। घर या किचन में खाने की हर चीज में तुलसी का पत्ता डालने का विधान है।
क्या होता है चंद्रग्रहण?
चंद्रग्रहण इस खगोलीय स्थिति को कहते है जब चन्द्रमा पृथ्वी के ठीक पीछे उसकी प्रच्छाया में आ जाता है। ऐसा तभी हो सकता है जब सूर्य, पृथ्वी और चन्द्रमा इस क्रम में लगभग एक सीधी रेखा में अवस्थित हों। इस ज्यामितीय प्रतिबन्ध के कारण चन्द्रग्रहण केवल पूर्णिमा को घटित हो सकता है। चन्द्रग्रहण का प्रकार एवं अवधि चन्द्र आसन्धियों के सापेक्ष चन्द्रमा की स्थिति पर निर्भर करते हैं।