भारत दौरे पर आए अमेरिकी प्रतिनिधिमंडल ने धर्मशाला में तिब्बत के आध्यात्मिक गुरु दलाई लामा से मुलाकात की। कल मंगलवार की शाम को अमेरिकी संसद की पूर्व अध्यक्ष नैन्सी पेलोसी और अमेरिकी प्रतिनिधिमंडल के सदस्यों ने धर्मशाला में निर्वासित तिब्बती संसद को संबोधित भी किया। यह अमेरिकी दौरा और महत्वपूर्ण हो जाता है क्यूंकि हाल ही में अमेरिकी सीनेट ने तिब्बत पर एक बिल को मंजूरी दी, जिसके जरिये अमेरिका तिब्बत पर चीन की दावे को चुनौती देगा।
चीन ने जताई आपत्ति
भारत में चीनी दूतावास के प्रवक्ता ने अमेरिकी प्रतिनिधिमंडल के दौरे पर आपत्ति जताते हुआ कहा कि यह सभी जानते हैं कि 14वें दलाई लामा कोई शुद्ध धार्मिक व्यक्ति नहीं हैं, बल्कि धर्म की आड़ में चीन विरोधी अलगाववादी गतिविधियों में लगे एक राजनीतिक निर्वासित व्यक्ति हैं। हम अमेरिकी पक्ष से दलाई समूह की चीन विरोधी अलगाववादी प्रकृति को पूरी तरह से पहचानने, ज़िज़ांग से संबंधित मुद्दों पर चीन के प्रति अमेरिका द्वारा की गई प्रतिबद्धताओं का सम्मान करने, दुनिया को गलत संकेत भेजने से रोकने का आग्रह करते हैं।
https://twitter.com/ChinaSpox_India/status/1803070745444016242
चीनी दूतावास के प्रवक्ता ने आगे कहा कि ज़िज़ांग प्राचीन काल से ही चीन का हिस्सा रहा है। ज़िज़ांग के मामले पूरी तरह से चीन के घरेलू मामले हैं और किसी भी बाहरी हस्तक्षेप की अनुमति कभी नहीं दी जाएगी। किसी को भी और किसी भी ताकत को चीन को नियंत्रित करने और दबाने के लिए ज़िज़ांग को अस्थिर करने का प्रयास नहीं करना चाहिए। ऐसे प्रयास कभी सफल नहीं होंगे.
हम अमेरिकी पक्ष से ज़िज़ांग को चीन के हिस्से के रूप में मान्यता देने और “ज़िज़ांग की स्वतंत्रता” का समर्थन न करने की अपनी प्रतिबद्धताओं का पालन करने का आग्रह करते हैं। चीन अपनी संप्रभुता, सुरक्षा और विकास हितों की दृढ़ता से रक्षा के लिए दृढ़ कदम उठाएगा।