Economic Survey 2025: भारत के आर्थिक सर्वे 2024-25 के अनुसार, देश में महंगाई के मोर्चे पर आम नागरिकों को राहत मिलने के संकेत मिले हैं, हालांकि वैश्विक आर्थिक अनिश्चितता के चलते कुछ जोखिम अभी भी बरकरार हैं। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने संसद में आर्थिक सर्वे पेश करते हुए कहा कि वित्त वर्ष 2024-25 के दौरान खुदरा महंगाई दर को 5.4 प्रतिशत तक लाने में सफलता मिली है, जो पिछले चार वर्षों का सबसे निचला स्तर है।
महंगाई पर नियंत्रण:
सर्वे के मुताबिक, 2024-25 की चौथी तिमाही में सब्जियों की कीमतों और खरीफ फसल के बेहतर आवक से खाद्य महंगाई में कमी आने की उम्मीद जताई जा रही है। बेहतर रबी फसल के चलते 2025-26 में खाद्य वस्तुओं की महंगाई को नियंत्रित किया जा सकेगा। हालांकि, खराब मौसम और अंतरराष्ट्रीय बाजार में कृषि उत्पादों के दामों में वृद्धि के चलते कुछ जोखिम बने हुए हैं।
खुदरा महंगाई और मुद्रा की कमजोरी
सर्वे में यह भी कहा गया है कि डॉलर के मुकाबले रुपये की कमजोरी, महंगाई में उतार-चढ़ाव और विदेशी निवेश में गिरावट जैसे कारकों के कारण भारत की मैक्रोइकोनॉमिक स्थिरता पर खतरा मंडरा रहा है। इसके बावजूद, सरकार ने अपनी नीतियों से महंगाई को नियंत्रित करने में सफलता पाई है, और आगामी महीनों में महंगाई में और राहत मिल सकती है।
कंज्यूमर फूड प्राइस इंडेक्स में वृद्धि:
2024-25 के पहले नौ महीनों में कंज्यूमर फूड प्राइस इंडेक्स (CFPI) 8.4 प्रतिशत पर पहुंच गया था, जो कि 2023-24 में 7.5 प्रतिशत था। इसके पीछे प्रमुख कारण सब्जियों और दालों की कीमतों में वृद्धि है। हालांकि, सर्वे का मानना है कि आने वाले महीनों में खाद्य महंगाई में कमी आ सकती है, जिससे आम जनता को राहत मिलेगी।
आर्थिक विकास का अनुमान
आर्थिक सर्वे 2024-25 में यह भी उल्लेख किया गया है कि वित्त वर्ष 2025-26 के दौरान भारत की GDP ग्रोथ रेट 6.3 प्रतिशत से 6.8 प्रतिशत के बीच रहने का अनुमान है। इसके साथ ही, सर्वे में यह कहा गया कि 2047 तक भारत को एक विकसित देश बनाने के लिए अगले एक या दो दशकों तक 8 प्रतिशत की दर से आर्थिक विकास की आवश्यकता होगी।
श्रम सुधारों का असर:
आर्थिक सर्वे में यह भी बताया गया कि श्रम सुधारों के चलते श्रमिकों के अधिकारों की रक्षा की जा सकी है, जिससे रोजगार के अवसर भी बढ़े हैं। इससे न केवल श्रमिकों का जीवन स्तर सुधरेगा, बल्कि रोजगार बाजार में भी सकारात्मक बदलाव देखने को मिलेगा।
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आर्थिक सर्वे 2024-25 ने भारत की आर्थिक स्थिति को लेकर सकारात्मक संकेत दिए हैं, हालांकि वैश्विक आर्थिक अनिश्चितता और कुछ घरेलू चुनौतियाँ अभी भी बनी हुई हैं। महंगाई में राहत की उम्मीद जताई जा रही है, लेकिन विदेशी निवेश और मुद्रा में कमजोरी जैसे जोखिम बने हुए हैं। इसके बावजूद, सरकार के सुधार प्रयासों और नीतियों से आने वाले वर्षों में आर्थिक विकास को बढ़ावा मिलने की संभावना है।